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2 टियर टेस्ट सिस्टम क्या है, लागू हुआ तो किसे होगा नुकसान?

ICC की एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में 2 टियर टेस्ट सिस्टम पर गहन चर्चा हुई थी। इसे अगले WTC साइकल में लागू किया जा सकता है।

Shubman Gill Yashasvi Jaiswal

इंग्लैंड के खिलाफ ओवल टेस्ट में जीत के बाद जश्न मनाते भारतीय खिलाड़ी। (Photo Credit: BCCI/X)

टेस्ट क्रिकेट एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रहा है। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) 2 टियर सिस्टम लागू करने पर विचार कर रहा है। पिछले महीने सिंगापुर में हुई ICC की एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में इस पर काफी गहन चर्चा हुई थी।

 

क्रिकेट की ग्लोबल गवर्निंग बॉडी ने इसके लिए एक वर्किंग ग्रुप भी बनाया है, जिसकी अगुवाई न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर रोजर ट्वोज कर रहे हैं। यह वर्किंग ग्रुप अगले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) साइकल के लिए सुझाव और अन्य मुद्दों पर काम करेगी। अगला WTC साइकल जुलाई 2027 में शुरू होगा। WTC 2027-29 में टीमों की संख्या 9 से बढ़ाकर 12 किए जाने की संभावना है।

 

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अगले WTC में क्या-क्या बदलेगा?

WTC में फिलहाल 9 टीमें हिस्सा लेती हैं। अगली बार से जिम्बाब्वे, अफगानिस्तान और आयरलैंड को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। ये तीनों टीमें ICC की फुल मेंबर्स हैं। हालांकि टीमों की संख्या बढ़ने के बाद आईसीसी 2-टियर सिस्टम लागू करेगा। 6-6 टीमों को डिवीजन 1 और डिवीजन 2 में बांटा जाएगा। डिवीजन 1 में मजबूत टीमें रहेंगी, जो 5-5 दिन का टेस्ट मैच खेलेंगी। वहीं डिवीजन 2 वाली टीमें 4 दिवसीय टेस्ट मैच में हिस्सा लेंगी।

क्यों लाया जा रहा है यह सिस्टम?

टेस्ट क्रिकेट में 2-टियर सिस्टम पर 2009 से बहस चल रही है। मगर बोर्ड मेंबर्स की राय अलग होने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका है। अब इसे लागू करने की जरूरत इसलिए पकड़ रही है क्योंकि छोटी टीमें भी ज्यादा से ज्यादा टेस्ट मैच खेल सकें। साथ ही उन्हें 2 से ज्यादा मैचों की टेस्ट सीरीज खेलने में भी सुविधा होगी।

 

भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमें 5 दिन का ही टेस्ट मैच खेलेंगी। साथ ही इन 3 बड़ी टीमों को एक ही डिवीजन में रखे जाने की संभावना है, जिससे ये आपस में हर तीन साल में भिड़ेंगे। फिलहाल ये तीनों टीमें चार में दो बार आमने-सामने होती हैं।

 

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साल के अंत तक हो ICC लेगा फैसला

टेस्ट क्रिकेट में 2-टियर सिस्टम पर इस साल के अंत तक फैसला हो जाएगा। रोजर ट्वोज की अध्यक्षता वाली वर्किंग कमिटी कुछ ही महीनों में क्रिकेट कैलेंडर में बदलाव करने के लिए ICC से सिफारिश करेगी। ICC के नए कमर्शियल साइकल के मीडिया राइट्स के लिए अगले साल टेंडर जारी होने की उम्मीद है। इससे पहले टेस्ट क्रिकेट के 2-टियर सिस्टम पर स्पष्टता जरूरी है।

2-टियर सिस्टम से किसे होगा नुकसान?

इस सिस्टम से छोटी टीमों के अलावा वेस्टइंडीज, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी टीमों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। अमीर क्रिकेट बोर्ड्स से नहीं खेलने पर इनकी कमाई पर असर पड़ेगा। ये टीमें ICC टेस्ट रैंकिंग और WTC पॉइंट्स टेबल में टॉप-6 नहीं नजर आती हैं, जिससे माना जा रहा है कि ये डिवीजन 2 में ही रहेंगी और इन्हें बड़ी टीमों से खेलने का मौका नहीं मिलेगा।


2-टियर
सिस्टम से इंग्लैंड में भी टेंशन का माहौल है। इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ECB) के अध्यक्ष रिचर्ड थॉम्पसन पहले ही इस पर चिंता जता चुके हैं। ECB परेशान है कि अगर वह डिवीजन 2 में आ गया तो उसे भारत और ऑस्ट्रेलिया से खेलने का मौका गंवाना पड़ सकता है और उसकी कमाई गिर जाएगी। इंग्लैंड की टीम सबसे मजबूत टेस्ट टीमों में से है लेकिन WTC पॉइंट्स टेबल में वह कभी टॉप-3 में भी नहीं रह पाई है।

 

इंग्लैंड ने 2019-21 साइकल में पांचवें, 2021-23 में चौथे और 2023-25 में भी चौथे पायदान पर फिनिश किया था। अगर WTC पॉइंट्स टेबल को ही आधार बनाकर 2-टियर सिस्टम लागू किया जाता है तो इसकी संभावना है कि इंग्लैंड डिवीजन 2 में पड़ जाए। इसी कारण सबसे ज्यादा नुकसान उसे ही उठाना पड़ेगा। 

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