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बचपन में छूटा पिता का साथ, तंगहाली में बना स्विंग का सुल्तान

दुनिया के सबसे सफलतम तेज गेंदबाजों में से एक वसीम अकरम ने बचपन में कई रातें खाली पेट गुजारी। उनके माता-पिता अलग हो गए थे। इस कारण वह अपने नाना के यहां रहते थे। जानें गुरबत की जिंदगी से निकलकर स्विंग का सुल्तान बनने की उनकी कहानी।

Wasim Akram

वसीम अकरम (Photo Credit: ICC/X)

दुनिया में कई ऐसे मशहूर क्रिकेटर हुए हैं, जिनका बचपन बेहद गरीबी में बीता। इन्हीं में से एक हैं पाकिस्तान के पूर्व महान तेज गेंदबाज वसीम अकरम। 3 जून 1966 के रोज लाहौर में जन्मे वसीम अकरम का परिवार उस समय बिखर गया जब उनके माता-पिता ने अलग रहने का फैसला किया। वसीम दो भाई और एक बहन थे। पिता का साथ छूटने के बाद वह अपनी बहन और मां के साथ लाहौर में ही अपने नाना के यहां रहने लगे। उनके नाना सब्जी बेचकर परिवार का पेट पालते थे। अपनी आत्मकथा 'सुल्तान: ए मेमॉयर' में वसीम ने लिखा है कि घर में पैसे कम ही होते थे और न जाने हम लोगों ने कितनी रातें भूखे पेट गुजारी।

 

खालिद महमूद ने पहचाना टैलेंट

 

वसीम अकरम बचपन में लाहौर की गलियों में क्रिकेट खेला करते थे। वसीम की धारदार गेंदबाजी देख खालिद महमूद ने उन्हें लाहौर के एक क्लब में एंट्री दिला दी। खालिद महमूद फर्स्ट क्लास क्रिकेटर थे। उनकी मदद से क्लब में शामिल होने के बाद वसीम अकरम ने कई नेशनल-लेवल ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लिया, जहां उन्हें गेंदबाजी एक्शन से लेकर रन-अप ठीक करने तक की कोचिंग मिली। इसी तरह की एक ट्रेनिंग कैंप में उन्हें दिग्गज बल्लेबाज जावेद मियांदाद को गेंदबाजी करने का मौका मिला। वसीम ने तत्कालीन पाकिस्तानी कप्तान मियांदाद को अपनी पैनापन से प्रभावित किया जिसके बाद उनके लिए नेशनल टीम के दरवाजे खुल गए। 

 

वसीम ने नवंबर 1984 में 18 साल की उम्र में ODI से अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत की। इसके दो महीने बाद यानी जनवरी 1985 में उन्होंने न्यूजीलैंड दौरे पर टेस्ट डेब्यू किया। अपने टेस्ट करियर के दूसरे ही मैच में उन्होंने 10 विकेट हॉल लेकर धूम मचा दी। इसके बाद उनके हुनर को महान ऑलराउंडर इमरान खान ने निखारा। गेंद को दोनों तरफ मूव कराने की महारथ रखने वाले वसीम को आगे चलकर दुनिया ने 'स्विंग का सुल्तान' नाम दिया। उनकी गेंद जब स्विंग होती तो दिग्गज बल्लेबाजों के पांव जम जाया करते थे और रन सूख जाया करते थे। वह इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले लेफ्टी बॉलर हैं।

 

भारत से है खास कनेक्शन

 

वसीम के पिता चौधरी मोहम्मद अकरम का जन्म अृतसर में हुआ था। बंटवारे के बाद वो लाहौर जाकर बस गए थे। चौधरी मोहम्मद अकरम कोर्ट में प्रूफरीडर की नौकरी करते थे। वसीम 2006/07 में उन्हें उनके पैतृक गांव लेकर गए थे। 2014 में वसीम के पिता का निधन हो गया था। वसीम आज भी अपने पिता के पैतृक गांव के दौरे को याद कर भावुक हो जाते हैं।

 

4-4 बार ली हैट्रिक

 

वसीम अकरम जब तक खेले उन्होंने कभी बल्लेबाजों को चैन की सांस नहीं लेने दी। इंटरनेशनल क्रिकेट में 4 हैट्रिक इसकी बानगी हैं। उन्होंने टेस्ट और ODI में दो-दो बार लगातार तीन गेंदों पर विकेट चटकाए। 19 साल लंबे करियर में उन्होंने 104 टेस्ट मैचों में 414 विकेट झटके, जिसमें 25 बार 5 विकेट हॉल शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने 3 शतक की मदद से 2898 रन बनाए। इस दौरान उनका हाईएस्ट स्कोर 257 रन रहा, जो नंबर 8 पर बैटिंग करते हुए सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड है। वो टेस्ट में 17 दफा प्लेयर ऑफ द मैच बने। यानी लगभग हर छठे टेस्ट में वो प्लेयर ऑफ द मैच चुने गए। वसीम ने 356 ODI में 502 विकेट अपने नाम किए। वो 500 ODI विकेट लेने वाले दुनिया के पहले गेंदबाज बने थे। 2003 वर्ल्ड कप के बाद पाकिस्तान की टीम से ड्रॉप होने के बाद वसीम ने इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायरमेंट ले ली थी।

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