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धोनी को चाहिए 'कैप्टन कूल' का ट्रेडमार्क, आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

महेंद्र सिंह धोनी ने हाल ही में एक आवेदन दिया है कि उन्हें 'कैप्टन कूल' का ट्रेडमार्क चाहिए। क्या आप जानते हैं कि धोनी को इसकी जरूरत क्यों पड़ गई?

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महेंद्र सिंह धोनी, File Photo Credit: PTI

2007 टी-20 वर्ल्डकप में पाकिस्तान के खिलाफ हाई वोल्टेज़ फाइनल में जोगिंदर शर्मा को बॉलिंग देकर भारत को चैंपियन बनाना हो या फिर 2012 में ऑस्ट्रेलिया से 4-0 की हार के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीनियर खिलाड़ियों को डिफेंड करना हो या फिर ख़ुद के लिए खेलने जैसे आरोपों का सामना करना हो। मैदान से लेकर डगआउट तक और सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक। धोनी ने हर सवाल, परिस्थिति और आरोपों का जवाब अपने शांत स्वभाव से दिया है। या यूं कह लें कि धोनी उस कहावत का पर्याय बने रहे हैं जिसमें कहा गया कि कर्म इतनी शांति से करो कि सफलता शोर मचा दे। शायद यही कारण है धोनी के करोड़ों फैंसे ने उन्हें 'कैप्टन कूल' कहकर बुलाया।

 

सिर्फ बुलाया नहीं बल्कि कैप्टन कूल शब्द को धोनी की आइडेंटिटी बना दिया। आप धोनी के फैन हो सकते हैं या नहीं भी, मगर किसी के मुंह से कैप्टन कूल निकल भर जाए आपके ज़हन में नाम सबसे पहले आएगा धोनी का ही। ऐसे में धोनी ने भी सोचा होगा कि इस अनऑफिशियल कैप्टन कूल को क्यों न ऑफिशियल कर लिया जाए।। मैं भी खुश, फैंस भी खुश और एक अचीवमेंट भी चस्पा। हुआ भी बिल्कुल यही। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पोर्टल के अनुसार धोनी की ओर से कैप्टन कूल रजिस्टर्ड कराने के लिए आवेदन दिया गया था, जिसे 16 जून 2025 के दिन  ट्रेडमार्क रजिस्ट्री ने भी स्वीकार कर लिया। यानी अब अगर 16 जून 2025 से अगले 120 दिनों तक कोई तीसरा पक्ष इस आवेदन के खिलाफ विरोध या आपत्ति दर्ज नहीं कराता तो धोनी हमेशा के लिए ऑफिशियल तौर पर कैप्टन कूल हो जाएंगे। फिर इस नाम को कोई दूसरा इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।

धोनी को क्यों चाहिए ट्रेडमार्क?

 

ईएसपीएन क्रिकइंफो के अनुसार, धोनी ने यह आवेदन जून 2023 में दायर की थी। उस समय रजिस्ट्री ने उन्हें बताया था कि एक दूसरी कंपनी, प्रभा स्किल स्पोर्ट्स (ओपीसी) प्राइवेट लिमिटेड ने पहले ही 'कैप्टन कूल' नाम से ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड करवा लिया है। इसके जवाब में धोनी ने उस ट्रेडमार्क को हटवाने के लिए एक याचिका दायर की। उनका कहना था कि यह कंपनी उनके नाम और कैप्टन कूल की लोकप्रियता का गलत फायदा उठाना चाहती है।

 

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अपने आवेदन में धोनी ने कहा- 'इस कंपनी ने गलत इरादे से ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड कराया है ताकि लोगों को गुमराह कर सके और मेरे नाम से पैसा कमा सके, जो कि गैरकानूनी है।' करीब चार सुनवाइयों के बाद धोनी का यह आवेदन स्वीकार किया गया है यानी अब धोनी और उनके फैंस को इंतज़ार है जब वह ऑफिशियल तौर पर कैप्टन कूल हो जाएंगे।

 

मगर ज़हन में एक सवाल यह भी आता है कि किसी भी ट्रेडमार्क को रजिस्टर्ड कराने से आखिर फायदा क्या है? यह होता केसै है? धोनी के अलावा बाकी किन-किन खिलाड़ियों के पास पहले से ट्रेडमार्क है? आइए सब समझ लेते हैं।

धोनी को क्या फायदा होगा?

 

ट्रेडमार्क एक नाम, शब्द, लेबल, डिवाइस या नंबर का विज़ुअल रूप है। जिसे कोई बिजनेस या अपने सामान या किसी अन्य तरह की सेवाओं या कामों को दूसरे के सामान, सेवाओं या कामों से अलग करने के लिए इस्तेमाल करता है। एक लाइन में आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि आपसे जुड़ी किसी भी चीज़ को ट्रेडमार्क बाकियों से अलग करता है। ट्रेडमार्क में कोई शब्द या निशान, कोई आकार, लोगो या सिंबल, कलेक्टिव मार्क यानी बहुत सारे मार्क्स का कोलाज जैसी चीज़ें शामिल हो सकती हैं। भारत में कोई भी शख्स ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड कर सकता है, बशर्ते उसे कोई और इस्तेमाल न कर रहा हो। इसके लिए भारत सरकार की वेबसाइट मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री पर जाकर आवेदन देना होता है। आवेदन देने के लिए 4500 रुपये से 9000 रुपये तक फीस निर्धारित है। जिसमें छोटे उद्योग, पर्सनल नाम या लोगो, स्टार्टअप या फिर प्रोपराइटरशिप के लिए 4500 रुपये देने होते हैं। बाकी के व्यापार के लिए 9000 रुपये फीस देनी होती है। आवेदन स्वीकार होने के 120 बाद तक अगर कोई तीसरा पक्ष आपत्ति या विरोध दर्ज नहीं कराता तो आवेदनकर्ता को ट्रेडमार्क ऐक्ट 1999 और ट्रेडमार्क रूल 2017 के तहत ट्रेडमार्क दे दिया जाता है। यह ट्रेडमार्क 10 साल के लिए होता है और इसे रिन्यू करवाया जा सकता है।

 

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अब अगर बिना किसी विरोध के महेंद्र सिंह धोनी को ‘कैप्टन कूल’ का ट्रेडमार्क मिल गया तो इस नाम का इस्तेमाल धोनी के अलावा कोई नहीं कर सकेगा, न व्यापार में, न फिल्मों के नाम में न किसी भी तरह की अन्य चीज़ों में। जबकि धोनी इस मशहूर नाम का इस्तेमाल करके अपनी कई फर्म शुरू कर सकते हैं, फिल्में बना सकते हैं, किताब लिख सकते हैं या फिर कोई स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स या एकेडमी की शुरुआत कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात जब कोई शख्स कई अलग-अलग कामों या कंपनियों को कंट्रोल करता है, फिर उन सभी कंपनियों के नाम एक ही होते हैं तो जनता का विश्वास बढ़ता है। जनता को फ्रॉड का डर नहीं होता है।

 

किसी विशेष ट्रेडमार्क को रजिस्टर्ड कराने के बाद आप सिर्फ व्यापार नहीं करते बल्कि उसके ज़रिए आप अपने विचारों को लोगों को तक पहुंचाते हैं, उदाहरण के तौर पर जनता महेंद्र सिंह धोनी को ‘कैप्टन कूल’ कहती है तो धोनी अपनी इसी कूलनेस के इर्द-गिर्द जनता से जुड़ने का ज़रिया ढूंढ सकते हैं, फैंस के साथ लाइव जुड़कर अपने अनुभवों को साझा कर सकते हैं। धोनी उन बातों को क्लियर कर सकते हैं जिसपर धोनी को नहीं पसंद करने वाले नाराज़ रहते हैं। जैसे आईपीएल 2025 में अच्छा न खेल पाना या फिर 2019 वर्ल्ड कप में रन आउट हो जाना जैसी बातें।

 

किसी भी ट्रेडमार्क को रजिस्टर्ड करने में सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप मार्केट में या फिर समाज में बिल्कुल अलग नज़र आते हैं। किसी भी काम या व्यापार को स्थापित करने के लिए नए नाम की ज़रूरत नहीं होती, लोगों को आपका नाम पहले से पता होता है। आपकी पहचान पता होती है। माने अगर धोनी परिवार के किसी सदस्य या दोस्त या किसी अन्य को ‘कैप्टन कूल’ नाम इस्तेमाल करने की अनुमित देते हैं, तो उसे भी अपने काम को बढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

 

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ट्रेडमार्क मार्केट में आपकी प्रतिष्ठा की रक्षा भी करता है। उदाहरण के तौर पर लेम्बॉर्गिनी एक हाई क्लास लग्ज़री स्पोर्ट्स कार का ब्रांड है, जिसकी कीमत बहुत ज़्यादा है। अब अगर कम कीमत वाली ऑटो मोबाइल का निर्माता लेम्बॉर्गिनी ब्रैंड को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करता है तो फर्म की प्रतिष्ठा का काफी नुकसान होगा। मगर लेम्बॉर्गिनी की अपनी मार्केट वेल्यू है, वह पुरानी है और नाम के मालिकाना हक पर एकाधिकार कंपनी का है। माने दूसरी कंपनी इसे अपने साथ नहीं जोड़ सकती। इस तरह ट्रेडमार्क आपकी फर्म के साथ किसी को धोखाधड़ी करने से भी रोकता है।

पहले भी खूब लिए गए ट्रेडमार्क

 

क्रिकेट की दुनिया में जिस तरह महेंद्र सिंह धोनी ‘कैप्टन कूल’ के नाम से जाने जाते हैं और उन्होंने इस ट्रेडमार्क के लिए आवेदन किया है, इसी तरह फुटबॉल जगत में बड़ा नाम क्रिस्टियानो रोनाल्डो के नाम भी एक ट्रेडमार्क दर्ज है। CR7, जिसका इस्तेमाल रोनाल्डो कपड़े और परफ्यूम्स के ब्रांड के तौर पर करते हैं। इसकी तरह  CR7 के नाम से रोनाल्डो के कई होटल्स भी चलते हैं।

 

रोनाल्डों की ही तरह पूर्व महान धावक उसेन बोल्ड के नाम भी एक ट्रेडमार्क दर्ज है, ‘Lightning Bolt’। इसी तरह टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स ने अपने नाम को ही ट्रेडमार्क बनाया है। उन्होंने अपने नाम का एक लोगो बनवाया है। इसका इस्तेमाल सेरेना फैशन और बिजनेस में करती हैं। यहां एक बात जान लेनी बहुत ज़रूरी है कि अगर सेरेना विलियम्सन ने अपने नाम को ट्रेडमार्क बनाया है तो ऐसा नहीं है कि किसी और का नाम सेरेना विलियम्सन नहीं हो सकता, बिल्कुल हो सकता है, बशर्ते इस नाम से कोई व्यापार, किताब, फिल्म या किसी तरह की मार्केटिंग में इस्तेमाल न किया जाए।

 

ख़ैर, एक बार फिर महेंद्र सिंह धोनी पर लौटते हैं और आपको बताते हैं कि धोनी को साल 2025 में ही एक बड़ी अचीवमेंट मिली। जब उन्हें 10 जून को ICC ने हॉल ऑफ फेम में शामिल किया। यह सम्मान पाने वाले धोनी 11वें भारतीय खिलाड़ी बने। धोनी ने इस सम्मान पर कहा था- ‘ICC हॉल ऑफ फेम में आना बहुत बड़ा सम्मान है। दुनियाभर के दिग्गज खिलाड़ियों की सूची में अपना नाम देखना गर्व की बात है, ये पल मैं हमेशा संजोकर रखूंगा।’

 

अब बात करते हैं धोनी के कुछ फैसलों और रिकॉर्ड्स की, जिसके कारण फैंस उन्हें ‘कैप्टन कूल’ कहते हैं।

 

2007 टी-20 वर्ल्डकप और जोगिंदर को आखिरी ओवर दिया -2007 T20 वर्ल्ड कप फाइनल पाकिस्तान के खिलाफ खेला जा रहा था। आखिरी ओवर में पाकिस्तान को 13 रन चाहिए थे। ऐसे में धोनी ने कम अनुभव वाले गेंदबाज जोगिंदर शर्मा को आखिरी ओवर दिया और उन्होंने मैच जिता दिया।

 

2011 वनडे वर्ल्डकप फाइनल में बैटिंग ऑर्डर बदला- श्रीलंका से वर्ल्ड कप फाइनल में जब भारत मुश्किल में था, तब धोनी ने फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह से पहले खुद बैटिंग करने का फैसला लिया, उन्होंने नाबाद 91 रन बनाकर भारत को 28 साल बाद विश्व कप जिताया।

 

2012 टेस्ट सीरीज 4-0 से हारे और मीडिया की तीखे सवालों पर शांत रहे- 2012 भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे में भारत को 4-0 से हार मिली थी लेकिन धोनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में न तो टीम को कोसा, न ही नाराजगी दिखाई। उन्होंने जर्नलिस्ट के सवाल पर शांत होकर कहा कि सीखना जरूरी है।

 

2016 बांग्लादेश के खिलाफ रनआउट से जिताया- 2016 T20 वर्ल्ड कप में बांग्लादेश को आखिरी गेंद पर 2 रन चाहिए थे। धोनी ने ग्लव्स उतारकर खुद रनआउट के लिए दौड़ लगाई और मैच जिता दिया।

 

2018 में वापसी के बाद चेन्नई सुपर किंग्स को चैंपियन बनाया- 2 साल के बैन के बाद CSK की टीम लौटी, सभी ने टीम को 'डैड्स आर्मी' कहा लेकिन धोनी ने बेहद ठंडे दिमाग और अनुभव के साथ टीम को संभाला।

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