कर्नाटक के शाहपुर में एक सरकारी स्कूल में एक नौवीं क्लास की छात्रा ने स्कूल के बाथरूम में एक बच्चे को जन्म दिया है। इस घटना के बाद लापरवाही के आरोप में स्कूल के प्रिंसिपल, हॉस्टल वार्डन, पीटी टीचर और साइंस टीचर को संस्पेड कर दिया गया है। हैरानी की बात है कि हॉस्टल के स्टाफ ने नियमों की अनदेखी की और लड़कियों के पीरियड साइकिल पर निगरानी नहीं रखी।
पुलिस को दी गई जानकारी के अनुसार, 17 साल की बच्ची ने सभी क्लास पूरी होने के बाद घर जाने के समय बच्चे को जन्म दिया। हैरानी की बात यह है कि स्कूल में किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं हुई। स्कूल प्रशासन पर कार्रवाई जिला बाल संरक्षण अधिकारी निर्मला के शाहपुर पुलिस स्टेशन में की गई शिकायत के बाद की गई है।
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क्या बोले अधिकारी?
डिप्टी कमिश्नर हर्षल भोयर ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और बताया कि स्कूल ने इस घटना की जानकारी जिला प्रशासन को नहीं दी। उन्होंने कहा कि मामले की जांच बाल विवाह समेत और भी कई पहलुओं पर की जा रही है। उन्होंने बताया कि स्कूल ने इस घटना को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। स्कूल प्रशासन ने लड़की की हालत के बारे में नहीं सोचा।
मां और बच्चा दोनों हेल्दी हैं। दोनों को एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आयोग ने जिला बाल संरक्षण अधिकारी को घटना की पूरी जानकारी देने को कहा है। उन्होंने साथ में बताया कि आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज कर लिया है। इस मामले को संवेदनशील बताते हुए और कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है।
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नियम क्या कहता है?
नियम कहता है कि हॉस्टल में बच्चियों के देखभाल के लिए एक नर्स होनी चाहिए। उस नर्स को सभी बच्चियों की हेल्थ और पीरियड साइकल की निगरानी करनी होती है। डिप्टी कमिश्नर ने कहा, 'हैरानी की बात है कि बच्चियों के पीरियड्स की मॉनिटरिंग भी नहीं हो रही थी। स्कूल के स्टाफ ने लड़की की हालत के बारे में तब तक नहीं सोचा जब तक उस बच्ची ने बाथरूम में एक बच्ची को जन्म नहीं दे दिया।'