प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 20 अक्टूबर 2024 को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से मध्य प्रदेश के रीवा में बने एयरपोर्ट का वर्चुअल उद्घाटन किया था। उस वक्त एमपी के डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल ने कहा था कि विंध्य की आने वाली पीढ़ियां रीवा एयरपोर्ट के लोकार्पण के ऐतिहासिक पल को लंबे समय तक याद रखेंगी। अब 10 महीने बाद एयरपोर्ट की चर्चा है। वजह-इसकी बाउंड्री वॉल का पहली ही बारिश में ढह जाना। बाउंड्री वॉल का एक हिस्सा गिरने के बाद एयरपोर्ट निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठना लाजिमी है।
मध्य प्रदेश के रीवा में एयरपोर्ट का निर्माण 500 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक भारी बारिश के बाद जमीन धंस गई। इस कारण एयरपोर्ट के बाउंडी वॉल का एक हिस्सा ढह गया है। रीवा में बना एयरपोर्ट मध्य प्रदेश का छठा हवाई अड्डा है। मध्य प्रदेश में सरकार ने 25 हवाई पट्टियों को भी विकसित किया है।
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18 महीने में तैयार हुआ था एयरपोर्ट
पांच गांव की लगभग 323 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के बाद 500 करोड़ रुपये की लागत से एयरपोर्ट को महज 18 महीने में तैयार किया गया था। अभी यहां से दो फ्लाइट का संचालन होता है। पहली फ्लाइट रीवा से भोपाल और खुजराहो तक और दूसरी जबलपुर जाती है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से लाइसेंस प्राप्त इस एयरपोर्ट पर 72 सीटों के विमान को भी चलाने की योजना है। अभी सिर्फ 19 सीटर विमान का संचालन होता है।
999 में हवाई यात्रा
उद्घाटन के वक्त मध्य प्रदेश सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि रीवा हवाई अड्डा यात्री विमानों के साथ-साथ मालवाहक उड़ानों की सुविधा भी प्रदान करेगा। यह हवाई अड्डा विंध्य क्षेत्र के परिदृश्य और भविष्य को बदलेगा। आम लोगों को 999 रुपये में किफायती हवाई यात्रा की सुविधा मिलेगी। विंध्य के उद्योगपतियों को निर्यात के लिए कंटेनर सुविधाएं मिलेंगी। उन्होंने रीवा-भोपाल फ्लाइट को हरी झंडी भी दिखाई थी।
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रीवा में बाढ़ जैसे हालात
रीवा शहर में मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। जिले के कई इलाके जलमग्न हैं और नदियां उफान पर हैं। गुढ़ विधायक नागेंद्र सिंह के आवास में भी पानी घुस चुका है। भाजपा विधायक के आवास के पास से गुजर रही नदी उफान पर है। पिछले 24 घंटे में जनपद में हुई लगभग 8 इंच बारिश ने लोगों की और मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बिछिया और बीहर नदी उफान पर हैं। नदियों के दोनों छोर पर बाढ़ जैसी स्थिति हैं। घरों में पानी घुसने के बाद लोग छतों पर रहने को मजबूर हैं।