गुजरात के भरूच जिले में बड़ा शौचालय घोटाला सामने आया है। दरअसल, भरूच में शौचालय के लिए सरकार को बकायदा आवेदन किया गया। सरकार ने 1,906 शौचालय बनाने के लिए पैसे भी जारी कर दिए गए लेकिन हकीकत में जमीन पर एक भी शौचालय नहीं बनाया गया। यह घोटाला सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी के जरिए सामने आया है। इससे पहले गुजरात में 7.3 करोड़ रुपये के NREGA घोटाले का खुलासा हुआ था।
रिटायर्ड स्कूल टीचर प्रवीण मोदी ने आरटीआई के तहत जानकारी मागी थी। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे अंकलेश्वर नगरपालिका से शादी का प्रमाण पत्र लेने के लिए जो दस्तावेज जमा किए गए हैं, उनका इस्तेमाल शौचालयों के लिए पैसे का आवंटन करने के लिए आवेदन करने में किया गया है। पूर्व अध्यापक प्रवीण मोदी ने इस घोटाले में पांच एजेंसियों और सरकारी अधिकारियों के शामिल होने का शक जताया है।
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भूतिया शौचालय बनाए गए
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने प्रवीण मोदी के हवाले से बताया, 'मुझे जानकारी मिली है कि 2014-2015 में गुजरात नगर वित्त बोर्ड और अन्य सरकारी योजनाओं से धन हड़पने के लिए 'भूतिया शौचालय' बनाए गए थे। मैंने कुछ महीने पहले अंकलेश्वर नगरपालिका से आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि अंकलेश्वर में बड़े घरों और बंग्लों के मालिकों को शौचालय बनाने के लिए मदद राशि मिली है। जब मैंने उनसे संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने मदद के लिए कभी आवेदन ही नहीं किया।'
आरटीआई के जरिए अंकलेश्वर नगरपालिका ने जो जानकारी दी है, उससे पता चलता है कि आनंद कादी ग्रामोद्योग ट्रस्ट, नवचेतना विकास ट्रस्ट, कामदार कल्याण मंडल, महात्मा गांधी ग्राम निर्माण ट्रस्ट और वसुंधरा सार्वजनिक ट्रस्ट ने लोगों के घरों में 1,906 शौचालय बनाए थे।
सैकड़ों लोगों के दस्तावेज चुराए गए
प्रवीण मोदी ने कहा कि शौचालय के नाम पर जो पैसे सरकार से लिए गए थे, ऐसे लग रहा था कि वो टॉयलेट कभी बने ही नहीं। उन्होंने कहा, 'मैं मुख्यमंत्री, कलेक्टर, डीएसपी और सतर्कता विभाग में शिकायत दर्ज कराऊंगा, इस घोटाले को अंजाम देने के लिए सैकड़ों लोगों के दस्तावेज चुराए गए हैं।'
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फ्रॉड हो गया लोगों को मालूम ही नहीं
इसमें बताया गया है कि अंकलेश्वर की एक सोसाइटी में रहने वाले नीरव और कृमा हजारीवाला की शादी साल 2011 में हुई थी। नीरव ने बताया, 'हमने 2012 में अपने विवाह प्रमाणपत्र के लिए अपने आधार कार्ड जमा किए थे। शौचालय के लिए आवेदन करने में उनका गलत इस्तेमाल किया गया है। हम वात्सल्य सोसाइटी में रहते हैं, जिसमें 30 बंग्ले हैं। इस घोटाले ने हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया क्योंकि लोगों को लगा कि हमने सरकारी पैसे के लिए आवेदन किया है। सरकार और पुलिस को हमारे दस्तावेज चुराने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।'
सरकारी कार्यालयों पर कैसे भरोसा करें?
इसके अलावा अखबार ने एक अन्य कपल का उदाहरण दिया है। फोरम और रोमा पटेल को फर्जी तरीके से उनके आधार कार्ड के नाम पर दो शौचालयों के लिए बजट आवंटित किया गया था। अंकलेश्वर की एक पॉश सोसाइटी के बंगले में रहने वाले फोरम पटेल ने कहा, 'अगर आधार कार्ड का इस तरह दुरुपयोग किया जाता है, तो हम सरकारी कार्यालयों पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? घोटालेबाजों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।'
वहीं, लिस्ट में जिन 1,906 शौचालयों के लिए पैसे दिए गए हैं, उनमें से कई अलग-अलग धर्मों के दो अलग-अलग परिवारों को बजट आवंटित किए गए हैं। प्रवीण मोदी ने सवाल उठाते हुए कहा कि अलग-अलग धर्मों के परिवार एक ही घर या इमारत में कैसे रह सकते हैं? आवंटन के आधार पर यह घोटाला बड़ा लगता है।