असम में अब कोई अस्पताल बिल जमा न करने पर शव को लौटाने से इनकार नहीं कर सकेंगे। इसे लेकर हिमंता बिस्वा सरकार ने नियम बना दिया है। यह नियम 1 अगस्त से लागू होंगे। इसके बाद कोई भी अस्पताल बिल नहीं भरने पर परिजन को मृतक का शव देने से मना नहीं कर पाएंगे। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने खुद इस फैसले की जानकारी दी है।
गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इस फैसले की जानकारी देते हुए सीएम हिमंता ने बताया कि कोई भी प्राइवेट नर्सिंग होम या अस्पताल बिन जमा नहीं होने पर शव को अपने पास नहीं रख सकते।
उन्होंने कहा कि बिल बकाया होने पर शव को रोककर रखना मानवीय गरिमा का उल्लंघन है और इसका कोई कानूनी आधार नहीं है। सीएम सरमा ने कहा, 'शवों को बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता। यह मानवीय गरिमा के खिलाफ है। अस्पतालों को बकाया बिल के कारण शव को न लौटाने का कोई अधिकार नहीं है।'
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क्या है असम कैबिनेट का फैसला?
- असम कैबिनेट ने SOP के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है, जो प्राइवेट नर्सिंग होम और अस्पतालों पर लागू होगी। यह नियम 1 अगस्त से लागू हो जाएंगे।
- किसी भी मरीज की मौत होने पर अस्पताल और नर्सिंग होम को 2 घंटे के भीतर उसका शव परिजनों को सौंपना होगा। भले ही बिल बकाया हो।
- अगर कोई नर्सिंग होम या अस्पताल बकाया बिल होने पर शव लौटाने से इनकार करता है तो 4 घंटे के अंदर पुलिस और डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी को इसकी जानकारी देनी होगी।
इससे क्या-क्या होगा?
- मरीज क्या कर सकते हैं?: बिल न भरने पर अगर अस्पताल शव देने से मना करते हैं तो हेल्पलाइन नंबर 104 पर फोन कर शिकायत कर सकते हैं। इसके बाद अधिकारी मौके पर पहुंचेंगे और शव छुड़वाएंगे। साथ ही अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू करेंगे।
- उल्लंघन होने पर क्या होगा?: अगर कोई अस्पताल या नर्सिंग होम नियम तोड़ते हैं तो 3 से 6 महीने के लिए लाइसेंस सस्पेंड किया जा सकता है। 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा। बार-बार ऐसा करने पर ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है और रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया जा सकता है।
- अस्पताल क्या कर सकते हैं?: बिल बकाया है तब भी शव लौटाना होगा। अधिकारियों ने साफ किया है कि अस्पताल के पास अपना बकाया बिल लेने का कानूनी रास्ता होगा। अगर कोई बाद में बिल देने से मना करता है तो अदालत जाने का अधिकार होगा।
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यह फैसला क्यों लिया गया?
हाल ही में कई ऐसे मामले आए हैं, जब बिल न चुकाने पर अस्पताल की तरफ से शव देने से इनकार कर दिया है। कुछ मामलों में शव लेने के लिए परिजनों को कथित तौर पर रातोरात पैसों का इंतजाम करना पड़ा। कुछ मामलों में परिजनों से कथित तौर पर ब्लैंक चेक पर साइन भी करवाए गए। इस पर ही रोक लगाने के लिए इन नियमों को लाया गया है।
हालांकि, इसे लेकर केंद्रीय स्तर पर पहले से ही बकायदा गाइडलाइंस हैं। 2018 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइंस जारी की थी। इसके मुताबिक, कोई भी अस्पताल या डॉक्टर बिल न चुका पाने पर शव को सौंपने से इनकार नहीं कर सकते। अगर कोई ऐसा करता है तो 1 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।