असम के ग्वालपाड़ा जिले में गुरुवार को पैकन आरक्षित वन क्षेत्र में अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान स्थिती तनावपूर्ण हो गई। दरअसल, वन क्षेत्र से पुलिस अतिक्रमण हटाने गई थी, तभी ग्रामीणों ने पुलिस के ऊपर पथराव कर दिया, जिसके दौरान पुलिस ने भी जवाबी गोलीबारी कर दी। इस गोलीबारी में एक शख्स की मौत हो गई और दो अन्य लोग घायल हो गए।
पुलिस और वन विभाग के 15 अधिकारी भी घायल हुए हैं। असम पुलिस के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पुलिस के शीर्ष अधिकारियों और डीएम ने घटनास्थल पर पहुंच कर मोर्चा संभाला।
ग्रामीणों ने लाठियों से हमला किया
ग्वालपाड़ा जिले कमिश्नर प्रदीप तिमुंग ने बताया कि वन रक्षकों और पुलिस कर्मियों पर ग्रामीणों ने लाठियों से हमला किया। उन्होंने बताया कि ये लोग पैकन आरक्षित वनक्षेत्र में शनिवार को अतिक्रमण रोधी अभियान के बाद एक हिस्से की घेराबंदी करने गए थे। जिले के कृष्णाई रेंज के पैकन आरक्षित वनक्षेत्र में लगभग 135 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण रोधी अभियान से 1,080 परिवार प्रभावित हुए हैं और बेदखल किए गए लोगों में ज्यादातर बांग्ला भाषी मुसलमान हैं।
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नहर खोदना चाहता था प्रशासन
उन्होंने कहा, 'भविष्य में अतिक्रमण न हो यह सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग एक नहर खोदना चाहता था। कल यह काम शांतिपूर्ण ढंग से किया गया लेकिन आज सुबह जब टीम पहुंची तो इलाके के लोगों ने उन पर पत्थरों और लाठियों से हमला कर दिया।' उन्होंने बताया कि पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने के लिए गोलियां चलानी पड़ीं, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। प्रदीप तिमुंग ने बताया कि पथराव में कई पुलिसकर्मी और वनकर्मी घायल हो गए।
सीएम ने राहुल गांधी को ठहराया जिम्मेदार
वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस घटना के लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है। सीएम ने एक्स पर कहा, 'राहुल गांधी असम आए और खुलेआम अतिक्रमणकारियों को वन भूमि पर कब्जा करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके बेतुके बयान से उत्साहित होकर, आज एक हिंसक भीड़ ने पैकन रिजर्व फॉरेस्ट पर जबरन अतिक्रमण करने की कोशिश करते हुए हमारे पुलिस और वन कर्मियों पर हमला कर दिया।'
सीएम ने घटना की जानकारी देते हुए कहा, 'अपनी ड्यूटी निभाते हुए, 21 बहादुर पुलिस अधिकारियों और वन रक्षकों को गंभीर चोटें आई हैं। कोई विकल्प नहीं होने पर, पुलिस को व्यवस्था बहाल करने के लिए गोली चलानी पड़ी - जिसके चलते एक अतिक्रमणकारी की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हो गई। राहुल गांधी के असम के एक दिवसीय दौरे की यह विनाशकारी देन है। उनके गैर-जिम्मेदाराना बयानों ने सीधे तौर पर लोगों की जान जोखिम में डाल दी है और हमारे राज्य में शांति भंग कर दी है। असम के लोग इस विश्वासघात को न तो भूलेंगे और न ही माफ करेंगे।'
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केस दर्ज किया जाएगा
मुख्यमंत्री हिमंता ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए आगे कहा कि सुरक्षाकर्मियों पर हमले में शामिल लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'अगर कोई पुलिस पर हमला करता है तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।' मुख्यमंत्री ने कहा कि वहां से अतिक्रमण हटाने का काम पहले ही पूरा हो चुका है और प्रशासन अब वन क्षेत्र को दोबारा लेने के लिए पौधारोपण शुरू करेगा।
कमिश्नर प्रदीप तिमुंग ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि अतिक्रमण रोधी अभियान कुछ दिन पहले ही शांतिपूर्ण ढंग से पूरा हो गया था तो अब प्रतिरोध क्यों हो रहा है। उन्होंने कहा, 'हमें कारण का विश्लेषण करना होगा। हमलावरों में बेदखल किए गए लोग और अन्य क्षेत्रों के निवासी भी शामिल हैं।'