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बांग्लादेश से आए हजारों लोगों को जमीन का मालिक क्यों बना रही UP सरकार?

बांग्लादेश से आकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बसे शरणार्थियों को योगी सरकार जमीन का मलिकाना हक देगी। पिछले कई सालों से इन जमीनों पर खेती करने वाले परिवारों के पास कोई कानूनी अधिकार नहीं था।

CM Yogi Adityanath.

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ। ( Photo Credit: PTI)

पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) से आकर यूपी में बसने वाले शरणार्थियों को योगी सरकार जमीन का मलिकाना हक देगी। लगभग छह दशक बाद उनकी यह मांग पूरे होने जा रही है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के कालीनगर और पूरनपुर तहसीलों के 25 से अधिक गांवों में लगभग 2196 परिवार बांग्लादेश से आकर बसे हैं। अब सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इन्हें जमीन का मलिकाना हक मिलेगा।

 

पीलीभीत के तातारगंज, बामनपुर, बैला, सिद्ध नगर, शास्त्री नगर और नेहरू नगर में बांग्लादेश से आकर बसने वाले शरणार्थियों की अच्छी खासी संख्या है। जिन जमीनों पर यह परिवार बसे हैं, अब 62 साल बाद उसका स्वामित्व मिलेगा। पीलीभीत के अलावा लखीमपुर खीरी, बिजनौर और रामपुर जिलों में भी शरणार्थी बसे हैं। प्रदेश में लगभग 10000 शरणार्थी परिवार हैं, जो बांग्लादेश से आकर यहां बसे हैं। 1960 से 1971 के बीच इन परिवारों ने पूर्वी पाकिस्तान में हालात बिगड़ने के बाद भारत में शरण ली थी। 

 

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सरकार ने जमीन की थी आवंटित

1960 में सरकार ने शरणार्थियों को घर और खेती के लिए जमीन का आवंटन तो किया था लेकिन मालिकाना हक नहीं दिया था। कानूनी अधिकार नहीं होने कारण इन परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। पीलीभीत के जिलाधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि जैसे ही अंतिम दिशानिर्देश मिलेंगे, वैसे ही प्रशासन बिना किसी देरी के प्रक्रिया शुरू कर देगा। यूपी सरकार के फैसले पर पीलीभीत के प्रभारी मंत्री बलदेव सिंह औलख ने सीएम योगी का आभार व्यक्त किया।

शासन को भेजी गई 1466 आवेदकों की सत्यापन रिपोर्ट

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पीलीभीत के 25 गांवों में रहने वाले 2196 शरणार्थी परिवारों में से 1466 आवेदकों की सत्यापन रिपोर्ट पहले ही सरकार को भेजी जा चुकी है। कुछ दिन पहले लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में हुई बैठक में सत्यापित शरणार्थी परिवारों को तुरंत मलिकाना हक के कागजात जारी करने का निर्णय लिया गया। सरकार के इस कदम से कालीनगर और पूरनपुर तहसीलों के 25 से अधिक गावों में बसे शरणार्थियों को सीधे फायदा होगा।

मलिकाना हक न मिलने से क्या दिक्कत?

सरकार से जमीन मिलने के बाद शरणार्थी परिवार दशकों से खेती-किसानी में जुटे थे। खेतों में ही किसानों ने अपने घर बना लिए थे। मगर समस्या यह थी कि राजस्व रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज नहीं था। इस वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। कुछ भूमि वन विभाग के नाम पर दर्ज है। कुछ मामलों में लोगों को विवादों का भी सामना करना पड़ रहा। 

 

मलिकाना हक मिलने से क्या फायदा होगा?

  • राजस्व रिकॉर्ड में नाम आएगा
  • कानूनी तौर पर जमीन उनकी होगी
  • विवादों से छुटकारा मिलेगा
  • सरकारी योजनाओं का लाभ
  • बैंक से लोन मिलने में आसानी

शरणार्थियों की लगभग 2 लाख आबादी

पीलीभीत में अधिकांश परिवार शारदा डैम की तलहटी पर बसे हैं। कई लोगों की जमीन डैम में समा चुकी है। अब उनके मन में सवाल उठ रहा है कि क्या उन्हें अपनी जमीन वापस मिलेगी? शारदा डैम की तलहटी पर कुल 12 गांव बंगाली शरणार्थियों के हैं। एक अनुमान के मुताबिक पीलीभीत में बंगाली शरणार्थियों की संख्या लगभग 2 लाख है।

 

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इन गावों में बसे शरणार्थी

  • चंदिया हजारा
  • मटैया लालपुर
  • रमनगरा
  • पुरौना ताल्लके महराजपुर
  • गभिया सहराई
  • नगरिया खुर्द कला
  • चंदिया सिंहपुर
  • तातारगंज
  • बामनपुर
  • बैला
  • सिद्ध नगर,
  • शास्त्री नगर
  • नेहरू नगर

सीएम योगी ने क्या कहा?

एक जुलाई को सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा था, 'पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से विस्थापित होकर प्रदेश के विभिन्न जिलों में बसाए गए परिवारों को विधिसम्मत भू-स्वामित्व का अधिकार पूरी संवेदनशीलता के साथ देने हेतु यूपी सरकार पूर्णतः प्रतिबद्ध है। इस दिशा में दशकों से पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हजारों परिवारों को सम्मानपूर्वक उनके अधिकार देने हेतु आज संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। यह सिर्फ पुनर्वास नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, मानवता और राष्ट्रीय जिम्मेदारी भी है, जो दशकों से उपेक्षित विस्थापित परिवारों के लिए एक नई उम्मीद और गरिमापूर्ण जीवन के नए द्वार खोलने वाला सिद्ध होगा।'

 

 

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