हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बिजली महादेव मंदिर पर बन रहे रोपवे का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। रोपवे के विरोध को लेकर इतिहास में पहली बार बिजली महादेव मंदिर में आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन बंद कर दिए गए हैं। यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। बिजली महादेव संघर्ष समिति इस प्रोजेक्ट का जमकर विरोध कर रही हैं। विरोध प्रदर्शन समिति के लोगों ने 25 जुलाई को रैली निकाली थी। इस रोष रैली में हजारों की संख्या में लोग प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं। मंडी की सांसद कंगना रनौट ने भी कुछ समय पहले एक कार्यक्रम में इस प्रोजेक्ट का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि अगर देव समाज के लोग नहीं चाहते तो यह प्रोजेक्ट बंद होना चाहिए।
बिजली महादेव संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुरेश नेगी का कहा कि रोपवे बनाकर जनता की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रोपवे बनने से पर्यावरण को भी नुकसान होगा। इस प्रोजेक्ट का विरोध पीएम मोदी के करीबी राम सिंह समेत कई भाजपा नेता भी कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का विरोध मंडी के सेरी मंच से लेकर कुल्लू के रामशीला तक किया जा रहा है।
कंगना से लोग हुए नाराज
भाजपा के पार्वती मंडल के अध्यक्ष संजय पंडित ने कहा,'कंगना जब बिजली महादेव आई थीं तो यहां की जनता ने उनके सामने अपना दुखड़ा सुनाया था और तब कंगना ने आश्वासन दिया था कि नितिन गडकरी से बात करके समाधान निकाला जाएगा। मगर अब कंगना फोन भी नहीं सुन रही हैं।' संजय पंडित के इस बयान से खलबली मच गई है।
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APMC के पूर्व अध्यक्ष ने किया विरोध
APMC (Agricultural Produce Market Committee ) कुल्लू के पूर्व अध्यक्ष राम सिंह ने कहा कि, देव समाज से जुड़े लोगों एवं संस्थाओं को एक होकर चलना होगा। उन्होंने कारदार संघ के अध्यक्ष को भी चेताया कि वह देव समाज से जुड़े लोगों का सम्मान करें और उनकी मुहिम में साथ चलें। उन्होंने कहा कि, सभी जगह कहा जा रहा है प्रोजेक्ट केंद्र सरकार का है। अगर ऐसा है तो इसके विरोध की आवाज दिल्ली तक किसी ने नहीं पहुंचाई। उन्होंने कहा कि वह इस विरोध की आवाज दिल्ली पहुंचाएंगे।
क्यों हो रहा विरोध प्रर्दशन?
- बिजली महादेव संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुरेश नेगी ने बताया कि घाटी की जनता नहीं चाहती कि यहां रोपवे बनाया जाए। यह देव आस्था के साथ खिलवाड़ है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान होगा।
- खराहल घाटी के ग्रामीणों का कहना है कि बिजली महादेव ने देव वाणी में कहा कि उन्हें रोपवे स्वीकार नहीं है। देव आस्था वाले लोग इसलिए इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं।
- इस रोपवे के लिए खराहल घाटी में बड़ी संख्या में देवदार के पेड़ काटे जा रहे हैं। ग्रामीणों को डर है कि इससे भविष्य में लैंडस्लाइड जैसी घटनाएं बढ़ेंगी।
- प्रोजेक्ट बनने के बाद काफी संख्या में लोग बिजली महादेव पहुंचना शुरू होंगे। इससे गंदगी फैलेगी।
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रोपवे के 3 फायदे?
- बिजली महादेव के लिए अगर रोपवे बनता है, तो कुल्लू की खराहल घाटी के टॉप पर स्थित बिजली महादेव मंदिर पहुंचने के लिए लोगों को ट्रैफिक जाम का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- 3 घंटे का सफर महज 7 मिनट में पूरा होगा। इस से रोजाना 36 हजार यात्रियों की आवाजाही संभव होगी। यह ऑल वेदर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
- देशभर से कुल्लू आने वाले पर्यटक आसानी से बिजली महादेव पहुंच सकेंगे।
कितना लंबा बनेगा रोपवे
इस रोपवे का निर्माण नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) कर रहा है। 2.3 किलोमीटर लंबे इस रोपवे को 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह रोपवे 'पर्वत माला प्रोजेक्ट' के तहत मंजूर किया गया था। इसमें एक केबल कार में 10 लोग बैठ सकेंगे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मार्च 2024 में इस प्रोजेक्ट का वर्चुअली शिलान्यास किया और इस प्रोजेक्ट के लिए 272 करोड़ रुपए मंजूर किए थे।