प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) काफी ऐक्टिव मोड में है। ईडी ने गुरुग्राम में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसमें कुछ युवाओं ने अवैध कॉल सेंटर चलाकर अमेरिकी नागरिकों को ठगने का काम करते थे। उन्होंने 2-3 साल में 15 मिलियन डॉलर (लगभग 130 करोड़ रुपये) से ज्यादा की ठगी की।
बुधवार को ईडी ने गुरुग्राम और नई दिल्ली में सात जगहों पर तलाशी अभियान चलाया। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई। जांच में पता चला कि अर्जुन गुलाटी, दिव्यांश गोयल और अभिनव कालरा नाम के तीन मुख्य आरोपी नोएडा और गुरुग्राम में अवैध कॉल सेंटर चला रहे थे। ये लोग खुद को तकनीकी सहायता देने वाली कंपनी बताकर लोगों को ठगते थे।
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130 करोड़ की ठगी
ईडी के मुताबिक, इन आरोपियों ने पीड़ितों के बैंक खातों को अनधिकृत तरीके से ऐक्सेस किया और उनके पैसे को कई विदेशी खातों में ट्रांसफर किया। बाद में, कई प्रक्रियाओं से लेन-देन के जरिए ये पैसे भारत वापस लाए गए। नवंबर 2022 से अप्रैल 2024 के बीच इन लोगों ने लगभग 130 करोड़ रुपये की ठगी की।
तलाशी के दौरान ईडी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड मिले, जो इस धोखाधड़ी के तरीके को समझने में मददगार साबित हुए। इन सभी को जब्त कर लिया गया है। साथ ही, इस साइबर घोटाले से जुड़े मुख्य लोगों के बयान भी दर्ज किए गए हैं।
30 खाते फ्रीज
ईडी ने आरोपियों से जुड़े 30 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है और आठ लग्जरी कारों के साथ-साथ कई कीमती घड़ियां भी जब्त की हैं। जांच में पता चला कि आरोपी ठगी से कमाए पैसों से शानदार घरों में रहते थे और उन्होंने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति बनाई।
यह जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक एफआईआर के आधार पर शुरू हुई थी। सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता, 1860 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत मामला दर्ज किया था।
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जांच जारी है
एफआईआर में कहा गया कि अज्ञात आरोपियों ने आपराधिक साजिश के तहत नई दिल्ली और आसपास के इलाकों में अवैध कॉल सेंटर चलाए और मुख्य रूप से अमेरिकी नागरिकों को तकनीकी सहायता के नाम पर ठगा। ईडी का कहना है कि जांच अभी जारी है और इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं।