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चंपई सोरेन को क्यों किया गया हाउस अरेस्ट? बेटा भी हिरासत में

झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन को हाउस अरेस्ट किया गया है। उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को हिरासत में लिया गया है। आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर प्रशासन ने यह कदम उठाया है।

Champai Soren.

पूर्व सीएम चंपई सोरेन। (Photo Credit: PTI)

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन को रविवार को उनके घर पर नजरबंद किया गया है। रांची में रिम्स-2 के लिए प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आदिवासी संगठनों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर प्रशासन ने यह कदम उठाया है। पुलिस का कहना है कि कानून-व्यवस्था की समस्या से बचने की खातिर चंपई सोरेन को नजरबंद किया गया है। विरोध प्रदर्शन से पहले रांची में बड़ी संख्या में पुलिसबल की तैनाती की गई है। कई स्थानों पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं।

 

चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन और उनके समर्थक रांची जा रहे थे। पुलिस ने रास्ते से ही उनको हिरासत में ले लिया है। रांची शहर के पुलिस उपाधीक्षक केवी रमन का कहना है कि आदिवासी संगठनों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर कानून-व्यवस्था बनाए रखने की खातिर यह एहतियाती कदम उठाया गया हैवह अभी घर पर ही रहेंगे। उनसे इस मामले में सहयोग करने को कहा गया है।

 

 

घर पर नजरबंद करने पर चंपई सोरेन ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह कदम पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। आदिवासियों और उनके विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने की वजह से उन्हें नजरबंद करने का आदेश दिया गया है। उन्होंने बताया, 'जब डीएसपी साहब यहां आए और कहा कि आज मुझे हिलना नहीं है, मतलब घर से बाहर नहीं निकलना है तो मैं समझ गया कि वो मुझे कहीं जाने नहीं देंगे। मैंने ठीक कहा, अगर प्रशासन और सरकार ने कोई फैसला लिया है तो हम उसका उल्लंघन नहीं करेंगे।'

रिम्स-2 के भूमि अधिग्रहण का विरोध क्यों?

पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने रविवार सुबह साढ़े 11 बजे नगड़ी स्थित रिम्स-2 की जमीन पर हल चलाने का ऐलान किया था। उनके 'हल चलाओ, रूपा रूपो' कार्यक्रम से पहले ही पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया है। रांची आने वाले प्रदर्शनकारियों को रोका जा रहा है।

 

प्रशासन ने नगड़ी और आसपास सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की है। ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है। नगड़ी स्थित जमीन पर लंबे समय से विवाद है। सरकार ने इसी जमीन पर रिम्स-2 को बनाने का प्रस्ताव रखा है। आदिवासी संगठनों ने सरकार पर हितों की अनदेखी का आरोप लगाया और उनका कहना है कि यह उनकी पुश्तैनी जमीन है। 

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