हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक अभूतपूर्व घटना घटी है। दरअसल, पिछले कुछ सालों से प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के द्वारा छापे मारकर रुपये पकड़ने के सौकड़ों मामले आए हैं। लेकिन इस बीच ईडी खुद ही रिश्वतखोरी के एक मामले में फंस गई है। ईडी की यह रिश्वतखोरी किसी और ने नहीं पकड़ी बल्कि भारत की सबसे बड़ी क्राइम एजेंसी सीबीआई ने पकड़ी है।
सीबीआई ने शिमला में ईडी के दफ्तर पर छापा मारकर रिश्वतखोरी मामले में 1.14 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद की है। सूत्रों के अनुसार, आरोपी ईडी के सहायक निदेशक रैंक के अधिकारी फरार हैं, जबकि उनके भाई को सीबीआई ने एक निजी व्यक्ति से रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया है।
तीन अधिकारियों के तबादले
सीबीआई के छापे के बाद, ईडी ने शिमला शाखा के कम से कम तीन अधिकारियों का तबादला कर दिया है। इस लिस्ट में वह सहायक निदेशक भी शामिल है जो अब भी फरार है। यह कार्रवाई सीबीआई चंडीगढ़ की टीम ने की है। सहायक निदेशक के कार्यालय को घंटों खंगालने के बाद सीबीआई ने कई फाइलें और अन्य दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए हैं। बताया जा रहा है कि आरोपी अवैध वसूली की रकम भी साथ ले गए हैं।
सीबीआई की टीमें दबिश दे रही हैं
अब ईडी अधिकारी और आरोपियों की तलाश में सीबीआई की टीमें दबिश दे रही हैं। इसके अलावा सहायक निदेशक के शिमला स्थित आवास पर भी रेड मारी गई है। शिमला में ईडी के सहायक निदेशक के पास धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) से संबंधित एक केस की जांच भी चल रही है।
आरोप है कि केस को निपटाने के बदले में सहायक निदेशक की ओर से बिचौलिए के जरिये आरोपियों से लाखों रुपये मांगे गए थे। इसको लेकर आरोपियों की ओर से चंडीगढ़ में सीबीआई को लिखित शिकायत दी गई थी। मामला ईडी के सहायक निदेशक से जुड़ा था, ऐसे में आलाधिकारियों के निर्देशानुसार जांच के लिए स्पेशल टीम गठित की गई।
बिचौलिए के साथ निदेशक फरार
शिकायतकर्ता पक्ष व बिचौलिए के बीच सीबीआई ने एक मीटिंग भी करवाई। इसमें उनके बीच पैसों के लेनदेन को लेकर रिकॉर्डिंग भी करवाई गई। इसकी भनक ईडी के सहायक निदेशक को भी लग गई और वह बिचौलिए के साथ फरार हो गया। सोमवार को ही चंडीगढ़ सीबीआई की ओर से उसके खिलाफ भ्रष्टाचार सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया था।