गुजरात के अहमदाबाद में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों के खिलाफ ऐक्शन शुरू हो गया है। अहमदाबाद नगर निगम ने चंडोला तालाब के चारों ओर बसे अवैध बांग्लादेशियों को झुग्गियों और घरों को तोड़ना शुरू कर दिया है। इसके लिए 50 से 70 बुलडोजर, लगभग 200 ट्रक और 2 हजार से ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह पटेल ने भी इस बारे में उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की है। गुजरात हाई कोर्ट ने भी इस कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस अभियान के लिए सोमवार रोत से ही तैयारियां शुरू कर दी गई थीं और मंगलवार सुबह से ही ध्वस्तीकरण अभियान शुरू कर दिया गया है। हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले लोगों की दलील है कि यहां रहने वाले लोगों के बांग्लादेश होने के ठोस सबूत नहीं हैं।
जिस इलाके में यह ध्वस्तीकरण हो रहा है उसे 'सियासतनगर बंगाल वास' के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में एक सर्वे में सामने आया था कि यहां अवैध निर्माण हुआ है और इस इलाके में कई अवैध बांग्लादेशी रहते हैं। ज्वाइंट कमिश्नर शरद सिंघल के मुताबिक, 'जैसा कि आप जानते हैं कि आसपास चंडोला तालाब है। 2009 में यहां से लोगों को हटाया गया था लेकिन फिर से अवैध रूप से निर्माण कर लिया गया। अहमदाबाद नगर निगम ने एक सर्वे किया था और इस सर्वे में पाया गया कि इन लोगों ने तालाब की जमीन पर मिट्टी डालकर अवैध तरीके से झोपड़े बनाए हैं। ध्वस्तीकरण अभियान जारी है। कुल 50 जेसीबी मशीनें यहां काम कर रही हैं और पुलिस के 2000 जवानों को तैनात किया गया है।'
यह भी पढ़ें- स्पाइवेयर इस्तेमाल करने में गलत क्या, SC ने पेगासस केस में क्यों कहा?

क्यों हो रहा है ध्वस्तीकरण?
दरअसल, पूरे देश की तरह गुजरात में भी अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान की जा रही है और उन्हें निकाला जा रहा है। इसी क्रम में हाल ही में उमरगाम की पुलिस ने 7 बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में भी लिया था। इस बारे में वलसाड पुलिस के एसपी करणराज वघेला ने बताया, 'एक गारमेंट फैक्ट्री के लोगों से पूछताछ की गई और 6 पुरुषों और एक महिला को हिरासत में लिया गया। ये सभी बांग्लादेशी हैं। पहले ये लोग नेपाल गए और वहां से अवैध तरीके से पश्चिम बंगाल में घुसे और फिर गुजरात आ गए। उनसे पूछताछ की गई है, जल्द ही उन्हें डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।'
हाई कोर्ट ने नहीं दी राहत
इस ध्वस्तीकरण को रोकने के लिए गुजरात हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर दी गई थी। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि यहां रहने वाले लोगों के बांग्लादेश होने के सबूत नहीं मिले हैं। इन लोगों का यह भी कहना था कि नियमों और प्रक्रिया का पालन किए बिना ही तोड़फोड़ की जा रही है। हालांकि, हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा, 'देश की सुरक्षा के लिहाज से यह कार्रवाई जरूरी है। यहां रहने वाले चार बांग्लादेशियों के अलकायदा से जुड़े होने का खुलासा भी हुआ है।'
यह भी पढ़ें- सुलग रही बंधवाड़ी लैंडफिल साइट, कितना खतरनाक है जहरीला धुआं?

बता दें कि पिछले कुछ दिनों में गुजरात में हजारों संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें से सैकड़ों अवैध बांग्लादेशी भी पाए गए हैं। ऐसे में इन सभी को बांग्लादेश भेजने की प्रक्रिया भी जारी है। कई लोगों के पास से फर्जी आधार कार्ड, फर्जी वोटर आईडी और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। कई तो ऐसे भी हैं जो आराम से गुजरात भी बोल लेते हैं। चंडोला के आसपास का यह इलाका आपराधिक गतिविधियों के लिए बदनाम रहा है। पुलिस उन लोगों की भी तलाश कर रही है जिन्होंने इन लोगों को बसने में मदद की और अवैध दस्तावेज उपलब्ध करवाए।
इसी के बारे में गुजरात के गृहमंत्री हर्ष संघवी ने कहा था, 'अवैध घुसपैठियों को पनाह देने वाले एक-एक लोग कान खोलकर सुन लें। अगर एक भी घुसपैठिए को पनाह दी तो उनका भी हाल बहुत ही खराब किया जाएगा। मैं सभी लोगों को यह संदेश देना चाहता हूं कि या तो खुद चलकर थाने में जाकर सरेंडर हो जाएं, वरना गुजरात पुलिस 'ना भूतो ना भविष्यति' मोड में ऐक्शन लेने को तैयार है।'