जम्मू कश्मीर में सरकार गठन से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कई वादे किए थे और लोगों को पार्टी से काफी उम्मीदें भी हैं। कश्मीर में टूरिज्म लोगों की आय का एक बड़ा साधन है लेकिन पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से लोग कश्मीर जाने में डर रहे हैं। ऐसे में अब स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है और वे जम्मू कश्मीर की सरकार से उम्मीदें लगाए हुए हैं। इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला का गुरुवार को एक बयान आया है। उन्होंने कहा है कि रातोंरात बदलाव की उम्मीद करना अवास्तविक है, क्योंकि पिछले दशक की रुकावटों को तुरंत ठीक नहीं किया जा सकता है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला गुरुवार को उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के रेशी गुंड इलाके में एक सभा को संबोधित करने पहुंचे थे। इस सभा में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने शासन के एक परिवर्तनकारी युग की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि प्रभावी शासन को आकार देने में सक्रिय नागरिक भागीदारी का महत्व है। फारूक अब्दुल्ला लोगों से सक्रिय रूप से प्रशासन के कार्यों में सहयोग की अपील कर रहे थे।
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'रातोंरात बदलाव नहीं होता'
अब्दुल्ला ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि बदलाव की एक प्रक्रिया है जिसमें समय लगता है। उन्होंने कहा, 'सरकार का कार्यकाल पांच साल का है और यह उम्मीद करना अवास्तविक है कि नई बनी सरकार और प्रशासन रातोंरात क्षेत्र को बदल देगी। पिछले एक दशक में हमारे क्षेत्र ने जो विकास संबंधी रुकावटें झेली हैं, उन्हें कुछ ही पलों में ठीक नहीं किया जा सकता। इसका कोई जादुई समाधान नहीं है।' फारुक अब्दुल्ला लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि बदलाव के लिए आपको सब्र के साथ काम करना होगा।
जम्मू कश्मीर में जब चुनाव हुए थे तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कई वादे किए थे। इन वादों के बारे में बात करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ये सारे वादे पूरे होंगे। उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पिछले दशकों में कठिनाइयों का सामना किया है। मैं यह कहना चाहूंगा कि सरकार चुनाव के दौरान जारी किए गए पार्टी घोषणापत्र में किए गए सभी वादों को पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।' उन्होंने कहा कि निरंतर प्रयासों और सक्रिय सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से, हमारी सरकार ने इन लंबे समय से आ रही चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से एक स्पष्ट योजना बनाकर काम शुरू किया है।
'एकतरफा फैसले नहीं ले सकते'
जम्मू कश्मीर अब एक पूर्ण राज्य नहीं है। यह एक केंद्र शासित प्रदेश है, जिसमें विधानसभा का प्रावधान है। इसी सरकार के मुखिया उमर अब्दुल्ला हैं और उन्हे कई अहम फैसलों के लिए केंद्र सरकार और गवर्नर की राय माननी जरूरी है। नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख ने कहा कि पूर्ण बहुमत होने के बावजूद, सरकार एकतरफा निर्णय नहीं ले रही है। उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार सबको साथ लेकर चलने के लिए प्रतिबद्ध है। सराकर की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि नीतियां तैयार करने से पहले सभी की आवाज सुनी जाए। इस सहयोगी दृष्टिकोण के साथ, मुझे विश्वास है कि हमारा क्षेत्र अपनी गति फिर से हासिल करेगा। हमारे नागरिक जल्द ही सभी मोर्चों पर महत्वपूर्ण सुधार का अनुभव करेंगे।'
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जम्मू कश्मीर सुरक्षा की नजर से एक संवेदनशील राज्य रहा है। 2019 में इस राज्य से आर्टिकल 370 खत्म कर दिया गया था और इसे एक केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था। पिछले साल यहां विधानसभा के चुनाव हुए जिनमें फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस को पूर्ण बहुमत के साथ जीत मिली थी। फारूक के बेटे उमर अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने थे। सरकार के सामने चुनौती है कि वह किस तरह से राज्य और केंद्र के बीच समन्वय स्थापित करके चले। केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण पूर्ण बहुमत होने के बाद भी सरकार एकतरफा फैसले नहीं ले सकती। सरकार बने अभी 6 महीने से कुछ ही अधिक समय हुआ है। पहलगाम हमले के बाद सरकार की चुनौती और बड़ी हो गई है।