बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो चुके हैं। कांग्रेस पार्टी भी अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। कांग्रेस ने इन चुनावों में युवाओं को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए हाल ही में युवा नेता कन्हैया कुमार के नेतृत्व में 'पलायन रोको नौकरी दो' यात्रा निकाली है। इसके बाद पार्टी की नजर अब ओबीसी वोटबैंक पर है। ओबीसी वोटों को साधने के लिए कांग्रेस के ओबीसी विभाग ने ‘जाति नहीं, जमात’ अभियान की शुरुआत की है। कांग्रेस के ओबीसी विभाग के अध्यक्ष अनिल जयहिंद इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।
बिहार के जातिगत सर्वे के अनुसार, राज्य में अति पिछड़ों की आबादी 36 प्रतिशत है। जब से नीतीश कुमार ने सत्ता में आए हैं तब से इनको नीतीश कुमार का मजबूत वोटबैंक माना जाता है। कांग्रेस की नजर अब इसी वोटबैंक पर है। पार्टी के ओबीसी विभाग के अध्यक्ष अनिल जयहिंद ने बताया कि पार्टी इस अभियान के तहत अति पिछड़ी जातियों के बीच यह जागरूकता पैदा करने का प्रयास कर रही है कि वे जाति नहीं, बल्कि जमात (वर्ग) के रूप में अपने वोट का इस्तेमाल करें।
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‘जाति नहीं, जमात’ अभियान
कांग्रेस का ‘जाति नहीं, जमात’ अभियान अपने पुराने वोटबैंक को वापिस पाने की कोशिश है। बिहार में अति पिछड़ों की आबादी 36 प्रतिशत है और यह नीतीश कुमार का मजबूत वोटबैंक है। कांग्रेस का कहना है कि नीतीश कुमार की पार्टी बिखर रही है और ऐसे में यह जरूरी है कि कांग्रेस इन जातियों का समर्थन फिर से हासिल करे, ताकि वे बीजेपी की तरफ न चले जाएं। पार्टी के ओबीसी विभाग के अध्यक्ष अनिल जयहिंद ने कहा कि पार्टी अति पिछड़ों को कांग्रेस के टिकट में उनकी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी देगी। यह अभियान अनिल जयहिंद के नेतृत्व में चल रहा है जिन्हें हाल ही में कांग्रेस ने ओबीसी विभाग का अध्यक्ष बनाया है।
ओबीसी वोटबैंक को हासिल करने के लिए ही कांग्रेस ने ‘जाति नहीं, जमात’ अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के जरिए कांग्रेस अति पिछड़ी जाति के लोगों के बीच जाकर बैठकें कर रही है और उनको कांग्रेस के साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। अनिल जयहिंद ने कहा, 'आपको पता है कि अति पिछड़ा वर्ग किन्हीं कारणों से शायद आरजेडी की तरफ नहीं जाएगा, लेकिन वे कांग्रेस की तरफ आ रहे हैं। इससे ‘इंडिया’ गठबंधन मजबूत होगा।'
अति पिछड़ों को टिकट देगी कांग्रेस
अनिल जयहिंद ने कहा, 'अति पिछड़ों को टिकट देने में पार्टियों की कुछ प्रैक्टिकल दिक्कतें रही हैं। मान लीजिए किसी अति पिछड़ी जाति की आबादी तीन प्रतिशत है, फिर भी जरूरी नहीं है कि कई क्षेत्रों में उनकी आबादी 30-35 प्रतिशत हो। ऐसे में उस जाति के उम्मीदवार को टिकट देने से लोग हिचकते हैं।' उन्होंने कहा, ‘हम इस चलन को तोड़ना चाहते हैं। हमारा यह कहना है कि अति पिछड़ी जातियों को जाति नहीं, बल्कि जमात बनकर वोट करना है। मान लीजिए कि नोनिया जाति के किसी व्यक्ति को टिकट मिले तो दूसरी अति पिछड़ी जातियों को लगना चाहिए कि यह उनके वर्ग का व्यक्ति है।'
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कांग्रेस की ओबीसी वोट बैंक पर नजर
कांग्रेस लगातार ओबीसी वर्ग को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। राहुल गांधी कह चुके हैं कि पार्टी ओबीसी वोटों के बिना सत्ता में वापसी नहीं कर पाएगी। इस साल राहुल गांधी बिहार के तीन दौरे कर चुके हैं। इस दैरान भी राहुल का फोकस अनुसूचित जाति, पिछड़े और अति पिछड़ों पर रहा है। कांग्रेस ने बिहार में कुछ महीने पहले ही अगड़ी जाति से आने वाले अखिलेश सिंह को हटा कर दलित नेता राजेश कुमार को बिहार कांग्रेस की कमान सौंपी है।
अनिल जयहिंद ने कहा, 'राहुल गांधी जी जिस बुलंद आवाज से ओबीसी के मुद्दे उठा रहे हैं, उतनी बुलंदी से कोई दूसरा नेता नहीं उठा रहा है। राहुल जी के कारण ओबीसी अब कांग्रेस से जुड़ रहा है।' अनिल ने यह भी कहा कि पार्टी की इस मुहिम का असर हो रहा है और ऐसे में पार्टी के टिकटों में अति पिछड़ों को उनकी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी मिल सकेगी।
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पिछले चुनावों में कैसा प्रदर्शन था?
महागठबंधन ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 37.23 फीसदी वोट हासिल कर 110 सीटों पर जीत हासिल की थी। आरजेडी को 23.11 फीसदी और कांग्रेस को 9.48 फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस का प्रदर्शन इन चुनावों में निराशाजनक रहा था और 70 सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं 2024 के लोकसभा चुनावों में महागठबंधन ने 39.21 फीसदी वोट हासिल कर 40 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की। आरजेडी का वोट 22.14 फीसदी और कांग्रेस का 9.20 फीसदी रहा।