मध्य प्रदेश में साइबर क्राइम के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उन्होंने सब को डरा दिया है। लोगों में डर है कि कभी भी उनके बैंक खाते खाली हो सकते हैं। आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पिछले चार साल में मध्य प्रदेश के लोग किस तरह से साइबर फ्रॉड का शिकार हुए हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने जो आंकड़े जारी किए हैं उनके अनुसार, प्रदेश में पिछले 4 सालों में लोगों ने 1,054 करोड़ रुपये गंवा दिए लेकिन पुलिस सिर्फ 2 करोड़ रुपये ही रिकवर कर पाई।
मध्य प्रदेश के गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में मई 2021 से जुलाई 2025 के बीच 1054 करोड़ रुपये की ठगी हुई और इसमें से पुलिस सिर्फ 1.94 करोड़ रुपये ही वापस ला पाई है। रिकवर की गई राशि कुल ठगी का 0.18 प्रतिशत भी नहीं है। वहीं हर साल सोशल मीडिया के जरिए अपराध के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म साइबर अपराध के सबसे बड़े हथियार बनते जा रहे हैं। इससे सबसे ज्यादा युवा प्रभावित हो रहे हैं।
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कैसे हुआ खुलासा?
चौंकाने वाले यह आंकड़े विधानसभा के मॉनसून सत्र में कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह के सवाल के जवाब में सामने आए। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री लोगों से डिजिटल लेनदेन करने को कहते हैं लेकिन राज्य ठगी का एक प्रतिशत भी वापस नहीं ला सका। यह साइबर आपातकाल जैसी स्थिति है।' पुलिस विभाग के सीसीटीएनएस के डेटा के अनुसार, पिछले 4 साल में ECIR यानी एनफोर्समेंट केस इनफार्मेशन रिपोर्ट के दर्ज आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि 2023 को छोड़कर हर साल 4 लाख से ज्यादा ECIR दर्ज हो रहीं हैं।
सोशल मीडिया के जरिए हो रहा क्राइम
विधानसभा में ही एक दूसरे सवाल के जवाब में पता चला है कि सोशल मीडिया के जरिए अपराध का चलन बढ़ता जा रहा है। राज्य में पिछले 4 सालों में साइबर अपराध के 37 प्रतिशत से 53 प्रतिशत तक मामलों में सोशल मीडिया शामिल है। 2022 में 1021 में से 542 मामले, 2023 में 428, 2024 में 396, और 2025 में अब तक 511 में से 242 केस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप से जुड़े पाए गए। यह मामले साइबरबुलिंग, सेक्स्टॉर्शन, ब्लैकमेल और नकली प्रोफाइल के जरिए धोखाधड़ी से संबंधित हैं।
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लोग परेशान हैं क्योंकि उनके अकाउंट सुरक्षित नहीं हैं। उनके मोबाइल फोन हैक हो रहे हैं और सोशल मीडिया के जरिए उनकी निजी जिंदगियों को निशाना बनाया जा रहा है। लोगों को फंसाने के लिए साइबर ठग डर और लालच दोनों का सहारा लेता है। साइबर ठगी का सबसे ज्यादा शिकार युवा ही बन रहे हैं। 2022 में 70 प्रतिशत, 2023 में 76 प्रतिशत, 2024 में 65 प्रतिशत, और 2025 में अब तक 67 प्रतिशत पीड़ित युवा हैं।