दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली में 2020 के दंगों में कथित साजिश मामले में आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य को जमानत देने से एक बार फिर इनकार कर दिया। इसके अलावा हाई कोर्ट ने सात अन्य आरोपियों द्वारा दायर जमानत याचिकाओं को भी खारिज कर दिया। जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शलिंदर कौर की पीठ ने शरजील इमाम, उमर खालिद, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुनाया।
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने 2022, 2023 और 2024 में दायर याचिकाओं पर नौ जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अभियोजन पक्ष ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा था कि यह स्वतःस्फूर्त दंगों का मामला नहीं है, बल्कि ऐसा मामला है, जहां दंगों की 'पहले साजिश रची गई ' और 'एक भयावह मकसद' था और 'सोच-समझकर’ ऐसा किया गया।
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बताया रिहा होने के हकदार
याचिकाकर्ताओं ने इस दौरान कहा कि वे पहले ही चार साल से ज्यादा का समय हिरासत में बिता चुके हैं और मुकदमे की धीमी गति के कारण उन्हें लंबे समय तक जेल में रखना अनुचित है। उन्होंने यह भी दावा किया कि वे अपने सह-आरोपियों नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा के समान आधार पर जमानत पर रिहा होने के हकदार हैं, जिन्हें 2021 में हाई कोर्ट ने जमानत दी थी।
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2020 में क्या हुआ था?
उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों का कथित तौर पर मुख्य षड्यंत्रकारी होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया था।
दिल्ली दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा घायल हो गए थे। संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।