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कभी धौला-कुंआ से निकलती थी यमुना, ये है आज आए भूकंप केंद्र का इतिहास

दिल्ली में आए भूकंप का केंद्र धौला-कुआं था। हालांकि, धौला-कुआं कैसे भूकंप का केंद्र बना और इस जगह का इतिहास क्या है, आइए जानते हैं।

Image of Dhaula Kuan

धौला कुंआ फ्लाई-ओवर।(Photo Credit: PTI File Photo)

दिल्ली-NCR में सोमवार सुबह 5.35 दिल्ली के भूकंप के झटके महसूस हुए थे, जिसकी तीव्रता 4.0 मैग्नीट्यूड मापी गई थी। बता दें कि इस भूकंप का केंद्र धौला-कुंआ था। बता दें दिल्ली के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में मौजूद धौला कुआं न सिर्फ एक व्यस्त चौराहा है, बल्कि इसका इतिहास, आधुनिकता और अपने भूभाग के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र भारत की राजधानी के सबसे महत्वपूर्ण जगहों में से एक माना जाता है, जो सालों से अपने परिवर्तन के कारण सुर्खियों में रहा है।

इतिहास की झलक

धौला कुआं का नाम प्राचीन काल के एक कुएं से पड़ा, जिसकी दीवारें सफेद चूने (धौला) से पुती हुई थीं। यह कुआं मुगलों या उससे भी पहले के किसी शासक के समय का हिस्सा था। धीरे-धीरे इस जगह ने एक प्रमुख स्थल का रूप ले लिया, जो समय के साथ दिल्ली की ऐतिहासिक और आधुनिक धरोहरों से जुड़ता गया।

 

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ब्रिटिश राज के दौरान यह क्षेत्र मुख्य रूप से छावनी (कैंटोनमेंट) की तरह विकसित हुआ। भारतीय स्वतंत्रता के बाद, जब नई दिल्ली का तेजी से विकास हुआ, तो धौला कुआं को एक बड़े परिवहन जंक्शन के रूप में बसाया गया। यहां से कई जरूरी सड़कें निकलती हैं, जो दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों को जोड़ती हैं।

 

आज का धौला कुआं

वर्तमान में धौला कुआं दिल्ली के सबसे व्यस्त और आधुनिक इलाकों में से एक है। यहां एक ओर दिल्ली छावनी (कैंट) क्षेत्र है, तो दूसरी ओर बड़े-बड़े शिक्षा संस्थान, जैसे आईआईटी दिल्ली और सरकारी आवास भी मौजूद हैं।

 

इसके अलावा, धौला कुआं दिल्ली एयरपोर्ट, गुरुग्राम और सेंट्रल दिल्ली को जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों में से एक है। यहां दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन भी गुजरती है, जो इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को जोड़ती है।

भूकंप का केंद्र क्यों?

हाल के वर्षों में धौला कुआं का नाम भूकंप संबंधी गतिविधियों के कारण चर्चा में रहा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि दिल्ली सिस्मिक जोन IV में आता है, जो मध्यम से उच्च तीव्रता वाले भूकंपों के लिए संवेदनशील माना जाता है। धौला कुआं के नीचे की सतह में मौजूद पृथ्वी दरारें इस क्षेत्र को और ज्यादा जोखिमपूर्ण बनाती हैं। साथ ही यहां की धरती पर की गई स्टडी से पता चलता है कि कभी यमुना नदी इस क्षेत्र से होकर बहती थी, जिससे यहां की जमीन में पहले से मौजद चट्टानों की परतें भी हैं। ये परतें भूकंप के झटकों को ज्यादा तीव्रता से महसूस करवाती हैं।

 

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धौला कुआं के आसपास लगातार नई इमारतें, सड़कें, फ्लाईओवर और मेट्रो का निर्माण किया जा रहा है। इस बढ़ती इन्फ्रास्ट्रक्चर गतिविधि से ज़मीन की प्राकृतिक स्थिरता प्रभावित हो रही है, जिससे हल्के झटकों को भी महसूस किया जाता है।

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