दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने राजधानी के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए एक नया विधेयक सदन में पेश किया है। सोमवार को शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने विधानसभा में 'दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025' पेश किया। इस बिल का मकसद शिक्षा को बिजनेस बनने से रोकना और स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसना है।
इस विधेयक को लेकर दिल्ली में बहस छिड़ गई है। सरकार का दावा कर रही है कि है कि इसका उद्देश्य मनमानी फीस वृद्धि को रेकना है, वहीं विपक्षी दलों का तर्क है कि यह प्राइवेट स्कूल के मैनेजमेंट को सशक्त बनाएगा और इससे जवाबदेही को कमजोर होगी।
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मानसून सत्र के पहले दिन पेश हुआ बिल
आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों ने सोमवार को दिल्ली विधानसभा परिसर में इस विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन किया। पार्टी के नेताओं ने इस विधेयक को एक 'दिखावा' बताया। उन्होंने बताया कि विधेयक को प्राइवेट स्कूल मालिकों को फायदा पहुंचाने के इरादे से बनाया गया है। दिल्ली स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता विधेयक 2025 विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन पेश किया गया था।
आइए इस विधेयक के प्रावधानों और प्रस्तावित त्रिस्तरीय विनियामक तंत्र के बारे में विस्तार से जानते हैं...
विधेयक के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
- वार्षिक फीस वृद्धि सीमा
- स्कूल प्रति शैक्षणिक वर्ष केवल एक बार फीस बढ़ा सकते हैं और इसके लिए उन्हें पहले ही अप्रूवल लेना होगा।
- फीस में कोई भी वृद्धि करने से पहले नियामक समिति को एक औपचारिक आवेदन देना होगा।
- लेखापरीक्षित से वित्तीय डिस्क्लोजर करवाना जरूरी होगा।
- स्कूलों को फीस बढ़ाने का प्रस्ताव देने से पहले अपना ऑडिटेड वित्तीय स्टेटमेंट, स्कूल के बुनियादी ढांचे की लागत की जानकारी और व्यय रिपोर्ट प्रस्तुत करना जरूरी होगा।
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दिल्ली स्कूल शिक्षा विधेयक 2025 में ऐसे कई प्रावधान शामिल हैं जिनके तहत स्कूलों को अभिभावकों को एक्स्ट्रा या अनुचित फीस वापस करने का आदेश दिया जा सकता है। अगर कोई स्कूल इसका उल्लंघन करता है तो ऐसी स्थिति में, शिक्षा निदेशक बढ़ी हुई फीस वापस लेने के आदेश जारी कर सकते हैं।
- विधेयक के मुताबिक उल्लंघन करने पर सरकार स्कूल पर दंड और जुर्माना लगा सकती है।
- कानून का पालन नहीं करने पर स्कूल के ऊपर 5 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- कई गंभीर मामलों में, स्कूलों की मान्यता तक रद्द की जा सकती है।
स्कूल की शिकायत करने का सिस्टम क्या है?
- किसी स्कूल द्वारा मनमानी करने पर अभिभावक और हितधारक सीधे फीस समितियों में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- विधेयक में त्रि-स्तरीय नियामक ढांचा होगा
- इस विधेयक में फीस वृद्धि और शिकायतों की निगरानी और फैसले के लिए एक त्रि-स्तरीय ढांचा बनाया जा रहा है।
- स्कूल-स्तरीय शुल्क समिति
- त्रि-स्तरीय में स्कूल के प्रिंसिपल, मैंनेजमेंट प्रतिनिधि, अभिभावक और शिक्षक शामिल होंगे।
- यह समिति प्रस्तावित फीस वृद्धि का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया शुरू करती है। हालांकि, इसकी सिफारिशें बाध्यकारी नहीं होतीं और इन्हें अगले स्तर पर भेज जा सकता है।
विपक्ष का विरोध
बता दें कि विधेयक का विरोध करते हुए दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष की नेता आतिशी के नेतृत्व में ‘आप’ विधायकों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया। पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने बीजेपी सरकार पर अभिभावकों के बजाय प्राइवेट स्कूलों के हितों की रक्षा करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया, 'यह विधेयक पारदर्शिता के बारे में नहीं है। यह प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि को सुविधाजनक बनाने के बारे में है। बीजेपी ने इस विधेयक को अप्रैल से ही लटका रखा है ताकि स्कूल बेरोकटोक फीस बढ़ा सकें।'