छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि लछनपुर के एक सरकारी मिडिल स्कूल के उन बच्चों में से प्रत्येक बच्चे को 25,000 रुपये का मुआवजा दिया जाए, जिन्हें 28 जुलाई को मिड-डे मील में कुत्ते का चाटा हुआ भोजन परोसा गया था। यह घटना बालोदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक के सरकारी मिडिल स्कूल में हुई थी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार और स्वयं सहायता समूह की लापरवाही के कारण बच्चों को ऐसा भोजन दिया गया, जो खाने लायक नहीं था। कोर्ट को बताया गया कि 84 बच्चों में से प्रत्येक को रेबीज की तीन-तीन खुराकें दी गई हैं और वे स्कूल जा रहे हैं। फिर भी, सरकार की जिम्मेदारी थी कि बच्चों को साफ और सुरक्षित भोजन मिले।
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कोर्ट ने क्या कहा?
19 अगस्त को कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, 'यह सरकारी स्कूल है और मिड-डे मील की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह को दी गई थी। लेकिन भोजन कुत्ते ने गंदा कर दिया गया था, जो बच्चों के लिए ठीक नहीं था। यह सरकार की लापरवाही है। इसलिए, हम आदेश देते हैं कि सरकार प्रभावित बच्चों को एक महीने के अंदर 25,000 रुपये का मुआवजा दे।’
यह मामला 4 अगस्त को एक समाचार के बाद कोर्ट के सामने आया था। खबर में बताया गया कि लछनपुर के सरकारी मिडिल स्कूल में बच्चों को कुत्ते का चाटा हुआ भोजन परोसा गया। अभिभावकों के दबाव के बाद बच्चों को रेबीज की वैक्सीन दी गई। कोर्ट ने कहा, 'बच्चों को भोजन देना कोई साधारण काम नहीं है। यह सम्मान के साथ करना चाहिए। मासूम बच्चों को कुत्ते से गंदा भोजन देना गलत है। सरकार स्कूलों के लिए इतना पैसा खर्च करती है, फिर भी ऐसी गलतियां चिंता का विषय हैं।’
प्रिंसिपल को हटाया
19 अगस्त को सुनवाई में स्कूल शिक्षा विभाग ने कोर्ट को बताया कि ‘जय लक्ष्मी स्व सहायता समूह’ को मिड-डे मील के काम से हटा दिया गया है। साथ ही, 6 अगस्त को स्कूल के इंचार्ज प्रिंसिपल और क्लस्टर प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया। कुछ अन्य शिक्षकों को भी निलंबित किया गया है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि बच्चे लछनपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नियमित जांच के दायरे में हैं।
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कोर्ट ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि सरकार अब सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील देने में और सावधानी बरतेगी।’ इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।