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पुणे पोर्श कार केस: जेल में बंद डॉक्टर अब किडनी रैकेट केस में गिरफ्तार

पुणे पोर्श कांड में सबूतों से छेड़छाड़ के आरोपी डॉ अजय टावरे को पुलिस ने किडनी रैकेट से जुड़े एक केस में हिरासत में लिया है। पढ़िए क्या है पूरा मामला।

dr ajay taware

डॉ अजय , photo credit: social media

महाराष्ट्र के पुणे के ससून जनरल अस्पताल के पूर्व मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अजय टावरे एक नए केस में फंस गए हैं। अजय टावरे वही शख्स हैं जिन्हें पुणे के चर्चित पोर्श कार केस में गिरफ्तार किया गया है। पहले से जेल में बंद डॉ. टावरे को पुलिस ने इस नए केस में भी गिरफ्तार कर लिया है। इस बार उन्हें एक किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए 2022 में एक फर्जी किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट को मंजूरी दी थी। गुरुवार को पुलिस उन्हें अदालत में पेश करेगी। इसके बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
 

 डॉ. अजय टावरे पिछले साल मई में हुई पोर्श कार दुर्घटना केस में सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में यरवडा सेंट्रल जेल में बंद हैं। इस दुर्घटना में एक नाबालिग लड़के ने अपनी कार से एक युवक और युवती को मार दिया था। इस केस में अजय टावरे पर आरोप है कि उन्होंने 17 साल के आरोपी के ब्लड सैंपल के साथ छेड़छाड़ की थी। क्राइम ब्रांच ने अब उसे रूबी हॉल क्लीनिक में 2022 में शरीर के अंगों के अवैध व्यापार रैकेट से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। गुरुवार को पुणे  क्राइम ब्रांच के डिप्टी कमिश्नर निखिल पिंगले ने बताया, 'उन्हें कस्टडी में ले लिया गया है और आज उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।'

 

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किस केस में हुई गिरफ्तारी?


अजय टावरे 2022 में रीजनल ऑथोराइजेशन कमेटी के प्रमुख थे। यह कमेटी किडनी ट्रांसप्लांट को मंजूरी देती थी। पुणे पुलिस ने मई 2022 में 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था और उन पर आरोप था कि उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में गलत तरीके का उपयोग किया था। पुलिस ने बताया, 'यह मामला पुणे के प्रमुख निजी अस्पताल रूबी हॉल क्लीनिक का है, जहां 2022 में एक महिला को 15 लाख रुपये में किडनी दान करने के लिए फर्जी पत्नी बनाकर पेश किया गया। इस किडनी अदला-बदली के जरिए दो सर्जरी हुई। सर्जरी के बाद में महिला को पैसा नहीं दिए गए जिसके कारण उसने पुलिस को इस रैकेट की जानकारी दी।'

 

2022 में रीजनल ऑथोराइजेशन कमेटी के अध्यक्ष अजय टावरे ही थे। किडनी ट्रांसप्लांट उनकी मंजूरी के बिना नहीं हो सकता था। कमेटी के अध्यक्ष होने के नाते उनके साइन के बाद ही किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन हुआ। इस केस में 2022 में ही 15 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया था। इसके बाद पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी और इस रैकेट के तार किस-किस से जुड़े हैं यह पता लगाने की कोशिश कर रही थी। अब अजय टावरे की भूमिका की जांच भी की जा रही है। हालांकि, पुलिस ने इस मामले में अभी यह नहीं बताया है कि उनके पास अजय के खिलाफ सबूत हैं या उन्होंने उसे सिर्फ पूछताछ के लिए कस्टडी में लिया है। 

 

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पोर्श कार केस से कनेक्शन


अजय टावरे पहले ही जेल में बंद हैं। उन पर मई 2024 के पोर्श एक्सीडेंट केस में 17 साल के नाबालिग लड़के के ब्लड सैंपल से छेड़छाड़ करने का भी आरोप है। इसी मामले में वह पहले से यरवडा जेल में बंद है। हिरासत में लेने के बाद डीसीपी निखिल पिंगले ने बताया, 'डॉ. अजय टावरे को किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट मामले में हिरासत में लिया गया है। उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस केस में उनसे पूछताछ जारी है।'

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