महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने हाल ही में पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के बढ़ते मामलों को लेकर जनता को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने खासतौर पर लोगों को अधपके चिकन के सेवन से बचने के लिए कहा है, क्योंकि इस बीमारी को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि, प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि चिकन को लेकर कोई सीधा खतरा नहीं है लेकिन खाने को पूरी तरह पकाकर खाने की सलाह दी गई है।
GBS क्या है और यह क्यों फैलता है?
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारी है, जिसमें शरीर के वह तत्व जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं वे गलती से खुद के तंत्रिकाओं पर हमला करने लगती है। इससे मरीज के हाथ-पैरों में कमजोरी, झनझनाहट, दर्द और कई मामलों में लकवे जैसी स्थिति हो सकती है।
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यह बीमारी आमतौर पर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद होती है। कुछ मामलों में, यह किसी खाने से संबधित वायरस या गंदे पानी के सेवन से भी जुड़ी हो सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी (Campylobacter jejuni) नामक बैक्टीरिया, जो अक्सर अधपके चिकन में पाया जाता है, GBS का कारण बन सकता है। हालांकि, अभी तक पुणे में पैदा हुई स्थिति में चिकन की भूमिका की पुष्टि नहीं हुई है।
पुणे में GBS का प्रकोप
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पुणे और उसके आसपास के इलाकों में अब तक 181 मरीजों में GBS की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 27 मामलों की जांच की जा रही है। इस बीमारी से अब तक 8 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जिनमें से 4 मामलों में GBS की पुष्टि हो चुकी है और 4 अन्य संदिग्ध हैं।
संक्रमित मरीजों का क्षेत्रवार आंकड़ा इस प्रकार है:
पुणे म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (PMC) क्षेत्र – 42 मरीज
PMC से जुड़े नए गांव – 94 मरीज
पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम (PCMC) क्षेत्र – 30 मरीज
पुणे ग्रामीण इलाका – 32 मरीज
अन्य जिलों से – 9 मरीज
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इसमें से 120 मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं, जबकि 47 मरीज अब भी ICU में भर्ती हैं और 20 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।
बीमारी को रोकने और बचाव के उपाय
- स्वच्छता का ध्यान रखें – हाथों को अच्छे से धोना और भोजन पकाने से पहले सामग्री को अच्छे से साफ करना जरूरी है।
- भोजन को पूरी तरह पकाएं – अधपका चिकन या मांस खाने से बचें, क्योंकि इससे बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है।
- स्वच्छ पानी का सेवन करें – दूषित पानी से संक्रमण का खतरा रहता है, इसलिए केवल उबला या फ़िल्टर किया हुआ पानी ही पिएं।
- संक्रमण के लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें – शरीर में कमजोरी, सुन्नपन, झनझनाहट या चलने-फिरने में परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- भीड़भाड़ वाले स्थानों में सावधानी बरतें – संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता बनाए रखें।