महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सट्टेबाजी पर शिकंजा कसा है। डब्बा ट्रेडिंग की जानकारी मिलने के बाद ED ने मुंबई में 4 अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की है। इस कार्रवाई के दौरान ED ने करोड़ रुपये, लग्जरी घड़ियां, गहने, विदेशी करेंसी और लग्जरी गाड़ियां जब्त की गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, छापेमारी के दौरान पैसा गिनने वाली मशीनें भी बरामद की गई हैं। डब्बा ट्रेडिंग पर ED की रेड के बाद कुछ ऐप्स की भी जांच की जा रही है। इस लिस्ट में VMoney, VM Trading, Standard Trades Ltd, IBull Capital, LotusBook, 11Starss और GameBetLeague के नाम शामिल हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ED ने छापेमारी के दौरान 3.3 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। अधिकारियों ने बताया कि जब्त किए गए पैसों का अभी तक कोई हिसाब नहीं मिला है। डब्बा ट्रेडिंग को ऑपरेट करने वाले लोगों की पहचान की जा चुकी है। इसमें विशाल अग्निहोत्री, धवल देवराज जैन और मयूर के नाम सामने आए हैं। अब सवाल आता है कि आखिर डब्बा ट्रेडिंग क्या है और कैसे काम करता है? आइए जानते हैं।
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डब्बा ट्रेडिंग क्या है?
डब्बा ट्रेडिंग एक गैर कानूनी ट्रेडिंग है, जिसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भी मान्यता नहीं देता है। इसे बॉक्स ट्रेडिंग और बकेट ट्रेडिंग के नाम से भी जानते हैं। इसमें स्टॉक पर बोली लगाई जाती है, जिसके लिए कैश या ऑनलाइन पेमेंट की जाती है।
क्या है पूरा मामला?
ईडी की जांच से पता चला है कि VMoney और 11Starss के मालिक विशाल अग्निहोत्री ने 5% प्रॉफिट शेयरिंग की व्यवस्था पर लोटसबुक सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म का एडमिन अधिकार हासिल किया था। बाद में उन्होंने यह अधिकार धवल देवराज जैन को ट्रांसफर कर दिया। उसके बाद 0.125% का प्रॉफिट विशाल के पास बचा। वहीं, देवराज के पास 4.875% प्रॉफिट चला गया। धवल जैन ने अपने सहयोगी जॉन स्टेट्स उर्फ पांडे के साथ मिलकर एक व्हाइट-लेबल सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म डेवलप किया और 11Starss डॉट in चलाने के लिए विशाल अग्निहोत्री को इसकी आपूर्ति की। एक हवाला ऑपरेटर मयूर पाड्या उर्फ पाड्या, सट्टेबाजी संचालन के लिए नगद आधारित मनी ट्रांसफर और भुगतान का काम संभालता था।
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कैसे काम करता है डब्बा ट्रेडिंग?
- डब्बा ट्रेडिंग के अंदर ट्रेडर्स को एक अनरजिस्टर्ज ब्रोकर्स के पास जाकर ऑर्डर प्लेस करना होता है। इसके लिए ब्रोकर के प्राइवेट बैंक अकाउंट में पैसे भेजने होते है या फिर उन्हें कैश के रूप में पैसे दिए जाते हैं।
- यहां हैरान करने वाली बात यह है कि इस दौरान रजिस्टर्ड शेयर मार्केट के स्टॉक नहीं खरीदे जाते हैं। ये पैसे असल में शेयर की मूमेंट पर लगाई जाती है कि वे ऊपर जा रहे हैं या फिर नीचे।
- अगर शेयर ऊपर जाता है तो ब्रोकर प्रॉफिट के पैसे ट्रेडर्स को देने पड़ते हैं। वहीं अगर शेयर नीचे की तरफ जाता है तो ट्रेडर्स, ब्रोकर को पैसे शेयर करते हैं।