पद्मश्री पुरस्कार विजेता तैराक बुला चौधरी के घर में चोरी की बड़ी वारदात हुई है। 120 से अधिक गोल्ड मेडल और पद्मश्री पुरस्कार की प्रतिकृति घर से गायब है। चोरों ने शुक्रवार को घटना को अंजाम दिया। 10 साल पहले 2015 में भी बुला चौधरी के घर में चोरी की घटना हुई थी। इसके बाद वहां सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई थी। मगर कोविड के वक्त इन्हें हटा लिया गया था। बुला चौधरी अभी दक्षिण कोलकाता में रहती हैं। उनका पैतृक घर हुगली जिले के हिंदमोटर में है। बुला चौधरी ने बताया कि चोरी की जानकारी एक पड़ोसी ने दी है।
बंगाल पुलिस ने बुला चौधरी की शिकायत पर मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। पत्रकारों से बातचीत में पूर्व तैराक बुला चौधरी ने कहा कि 120 गोल्ड मेडल समेत मैंने 150 से ज्यादा पदक गंवा दिए हैं। कड़ी मेहनत और लगन से पूरे जीवन में जो कुछ भी कमाया, चोरों ने सबकुछ छीन लिया।
एसएएएफ खेलों में जीते गए छह स्वर्ण पदक और पद्मश्री ब्रोच समेत सभी पदक चोरी हो गए हैं। चोरों ने सभी स्मृति चिह्न भी चुरा ले गए हैं। सिर्फ अर्जुन पुरस्कार और तेनजिंग नोर्गे पदक छोड़े हैं। उनका कहना है कि शायद आकार में छोटे होने के कारण अर्जुन पुरस्कार और तेनजिंग नोर्गे पदक बच गए हैं।
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बुला चौधरी के आवास में तीसरी बार चोरी
बुला चौधरी के पैृतक आवास की देखरेख उनके भाई मिलन चौधरी करते हैं। वह वहां से कुछ दूरी पर रहते हैं। पूर्व तैराक का आरोप है कि इस आवास में यह तीसरी चोरी है। शिकायत दर्ज कराने के बावजूद पुलिस ने कोई जांच नहीं की।
भाई पहुंचा तो गायब मिला सामान
पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। स्वतंत्रता दिवस पर छुट्टी के दिन भाई मिलन अपनी बहन के कहने पर घर की सफाई करने पहुंचे थे। घर में अंदर दाखिल होते हुए उन्हें पिछला गेट टूटा मिला। कमरे से सामान गायब था।
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मैं अंदर से टूट चुकी हूं: बुला चौधरी
साल 2008 में बुला चौधरी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इससे पहले 2006 में उन्होंने सीपीएम के टिकट पर नंदनपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा था। 2011 तक यहां से विधायक रहीं। पदकों की चोरी पर चौधरी ने कहा कि मैं पूरी तरह टूट चुकी हूं। अधिकारी अगर इनकी सुरक्षा नहीं कर सकते तो इन्हें जीतने का क्या मतलब? वे पदक क्यों ले गए हैं। इनके बदले उन्हें कोई पैसा नहीं मिलेगा। पदक मेरे जीवन की अनमोल धरोहर हैं। मेरा घर खाली रहता है। इस वजह से हर बार निशाना बनाया जाता है।