वडोदराः पुल टूटने से फंसा टैंकर 25 दिन बाद कैसे हटा? कलेक्टर ने बताया
राज्य
• VADODARA 06 Aug 2025, (अपडेटेड 06 Aug 2025, 8:03 AM IST)
गुजरात के वडोदरा में गंभीरा ब्रिज पर फंसे टैंकर को बाहर निकाल लिया गया है। टैंकर का रेस्क्यू करने के लिए विशेष गुब्बारों का इस्तेमाल किया गया था।

गंभीरा ब्रिज पर फंसा हुआ ट्रक| Photo Credit: PTI
गुजरात के वडोदरा में 9 जुलाई को गंभीरा पुल का एक हिस्सा टूट गया था। पुल टूटने के कारण एक टैंकर यहां अटक गया था, जिसे 25 दिन बाद हटा दिया गया है। हाइड्रो क्लोरिक एसिड के इस ट्रैंकर को हटाने के लिए 50 से ज्यादा लोगों की टीम काम कर रही थी। यह लोग पिछले पांच दिनों से टैंकर का रेस्क्यू करने की कोशिश कर रहे थे। इस टैंकर को हटाने के लिए विशेष 'गुब्बारे वाले जुगाड़' (न्यूमेटिक एयरबैग्स) का इस्तेमाल किया गया था। हीलियम गैस से भरे विशेष गुब्बारों की मदद से टैंकर को धीरे-धीरे हवा में उठाकर, संतुलन बनाते हुए सफलता पूर्वक पुल के टूटे हुए भाग से बाहर निकाला गया है। महिसागर नदी पर बने इस पुल के टूटने से 21 लोगों की जान गई थी। यह टैंकर भी उसी हादसे के बाद से पुल पर लटका हुआ था।
आणंद के कलेक्टर प्रवीण चौधरी ने बताया कि पुल पर लोड नहीं दिया जा सकता था। इसलिए फंसे हुए ट्रक को निकालने के लिए विशेष गुब्बारों का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने बताया कि यह पूरा रेस्क्यू सरकार की मदद से गुजरात पोरबंद के विश्वकर्मा ग्रुप के एमईआरसी (मरीन इमर्जेंसी रिस्पांस सेंटर) की टीम ने किया है। प्रवीण चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि एमईआरसी की टीम ने बिना पैसों के यह काम किया है।
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#WATCH | Gujarat: A truck that was stuck on the Gambhira bridge in Anand since the bridge collapsed on July 9, 2025, has been retrieved. (05/08)
— ANI (@ANI) August 5, 2025
Twenty people died when the bridge collapsed.
(Source: Information Department Anand) pic.twitter.com/xh4CtR86Z7
पिछले 5 दिनों से चल रही थी मशक्कत
कलेक्टर चौधरी ने बताया कि पोरबंदर के विश्वकर्मा ग्रुप की एमईआरसी टीम इंडिया के अंदर मरीन सैलवेजिंग में सबसे अच्छी और वेस्ट टीम मानी जाती है। जिन्होंने मिलकर इस ट्रक का रेस्क्यू किया है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया एमईआरसी के करीब 50 से 60 लोगों की टीम पिछले 5 दिनों से गंभीरा ब्रिज पर रहकर इस ट्रक का रेस्क्यू करने की योजना बना रही थी। उन्होंने बताया कि पिछले 5 दिनों में टीम के लोगों ने पूरे ब्रिज की रिडिंग लेकर इंजीनियरिंग मोडैलिटी डिजाइन तैयार की थी। उसके बाद ट्रक को निकालने का ट्रायल शुरू किया गया था।
#WATCH | Anand, Gujarat | Anand DC Praveen Choudhary says, "After the Gambhira Bridge accident, a truck was stuck here for a long time. It was a very challenging task to retrieve it as there were other constraints as well. No load could be used on the bridge. The structural… https://t.co/Gv27pbSSUb pic.twitter.com/CINMp2095S
— ANI (@ANI) August 6, 2025
एक बार में ट्रक को किया गया बाहर
प्रवीन चौधरी ने बताया कि ब्रिज की मोडैलिटी तैयार करने के बाद रेस्क्यू टीम ने टेस्टिंग शुरू किया था। टेस्टिंग के साथ ही ट्रक को सफलता पूर्वक बाहर निकाल लिया गया था। उन्होंने बताया कि पुल की स्थिति खराब होने की वजह से 900 मीटर दूर से ट्रक को खींचा गया था। प्रवीन चौधरी ने बताया कि ट्रक के आगे का पोर्शन 5 फीट नीचे चला गया था। उस पोर्शन को उठाने के लिए न्यूमेटिक एयरबैग्स (गुब्बारों का जुगाड़) का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने बताया कि पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन का सुपरवीजन 900 मीटर दूर से किया गया था। एयरबॉन्ड ड्रोन की मदद से इस रेस्क्यू का सुपरवीजन किया गया था।
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कैसे काम करती है यह तकनीक?
इसे 'एयर बलून टेक्नोलॉजी' कहा जाता है। आशान भाषा में कहें तो इसमें गुब्बारे होते हैं जो भारी चीज को ऊपर उठाते हैं। यह आर्कमिडीज के सिद्धांत पर काम करता है।
इस ऑपरेशन से जुड़े डॉ. निकुल पटेल ने मीडिया को बताया कि 'इसमें प्रोपेन गैस से भरे बड़े क्षमता वाले गुब्बारे लगाने के लिए नदी के तल को आधार बनाया जा रहे है। जब गुब्बारे टैंकर के नीचे और चारों ओर सुरक्षित हो जाएंगे तो इन्हें धीरे से ऊपर उठाने के लिए फुलाया जाएगा।' इन्हें न्यूमैटिक बलून कहा जाता है।
उन्होंने कहा, 'टैंकर का वजन करीब 10 से 15 टन है। इसलिए इससे ज्यादा वजन उठाने की क्षमता रखने वाले बलून का इस्तेमाल किया जाएगा।'
उन्होंने बताया कि दो बड़े गुब्बारों का इस्तेमाल होगा, ताकि बैलेंस बना रहा। अगर जरा सी भी बैलेंस बिगड़ा तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है। उन्होंने कहा, 'मैंने आजतक भारत में इस तकनीक का इस्तेमाल होते नहीं देखा है। अगर यह सफल होता है तो यह भविष्य की आपातकालीन स्थितियों के लिए बेंचमार्क होगा।'
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