झारखंड के हजारीबाग जिले में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। यहां प्रसव पीड़ा से गुजर रही महिला को सरकारी अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया। अस्पताल की नर्सों ने तर्क दिया कि गर्भ में ही बच्चे की मौत हो चुकी है। बाद में महिला को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। अब मामला संज्ञान में आने के बाद हजारीबाग जिला प्रशासन ने मामले की जांच का आदेश दिया है।
महिला के पति विनोद साओ ने बताया कि वह चलकुशा प्रखंड का रहने वाला है। लगभग 120 किमी का सफर तय करके पत्नी मनीषा को हजारीबाग लाया। यहां के हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पहुंचा, जहां नर्सों ने बताया कि पत्नी का हीमोग्लोबिन स्तर कम है और भ्रूण गर्भ में ही मर चुका है।
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'हमने हिम्मत नहीं हारी'
पति का कहना है कि हमने हिम्मत नहीं हारी। सरकारी अस्पताल से पत्नी को एक निजी अस्पताल ले गया। यहां पत्नी ने एक सेहतमंद बच्चे को जन्म दिया। विनोद ने बच्चे के सुरक्षित पर जन्म पर सेंट कोलंबा मिशन अस्पताल के डॉक्टरों को धन्यवाद दिया।
मां और बच्चा सुरक्षित
निजी अस्पताल का संचालन करने वाले श्रीनिवास मंगलम ट्रस्ट के मालिक डॉ. प्रवीण कुमार ने कहा कि मनीषा ने कई परीक्षण करवाने के बाद बच्चे को जन्म दिया। रिपोर्ट ठीक रही है। मां और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।
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जांच समिति गठित करने का निर्देश
हजारीबाग के उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह ने शुक्रवार को शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अधीक्षक को घटना की जांच करने का निर्देश दिया है। उपायुक्त ने कहा, 'सरकारी अस्पतालों का काम मरीजों को कम पैसे पर बेहतरीन इलाज मुहैया कराना है, लेकिन यहां कथित तौर पर इससे इनकार किया गया। मैंने अस्पताल प्रशासन को इस संबंध में जांच समिति गठित करने का निर्देश दिया है।"