मध्य प्रदेश के गुना में हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित शोभायात्रा के दौरान पथराव हुए। अब इस घटना के विरोध में विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने हनुमान चौक पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान जब कार्यकर्ता आक्रामक हुए, तो पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के सदस्यों ने जुलूस पर पथराव करने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंदू संगठनों ने आरोपियों के घरों को बुलडोजर से गिराने की मांग की है। गुना के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार सिन्हा ने कहा कि स्थिति अब सामान्य है और पुलिस बल उचित तरीके से तैनात है। उन्होंने कहा, 'हम असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।' सिन्हा ने आगे कहा कि हिंसा के सिलसिले में अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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हनुमान जयंती शोभा यात्रा पर पथराव
दरअसल, शनिवार को गुना में हनुमान जयंती के अवसर पर जुलूस निकाला गया। जुलूस जब शहर के कर्नलगंज इलाके में एक मस्जिद के पास पहुंचा तो दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए। गुना कलेक्टर किशोर कन्याल ने बताया कि पथराव की घटना शाम करीब 7:45 बजे हुई।
कन्याल ने कहा कि उस इलाके में जुलूस निकालने की अनुमति नहीं थी। हालांकि, जुलूस के आयोजकों में से एक रंजीत खटीक ने कहा कि उनके पास सारे सबूत हैं कि प्रशासन ने इसकी अनुमति दी थी। उन्होंने दावा किया कि जब कुछ लड़कों ने 'जय श्री राम' के नारे लगाए तो पथराव किया गया, जबकि दूसरे समूह ने जवाबी कार्रवाई में 'अल्लाह हू अकबर' का नारा लगाया। पुलिस अधीक्षक संजीव सिन्हा ने बताया कि पुलिस को पथराव की घटना के बारे में शाम करीब 7:45 बजे सूचना मिली। उन्होंने बताया कि टेकरी धाम पर तैनात पुलिस बल को मौके पर भेजा गया।
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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने की मांग
बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी इस घटना पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा करने वालों को फांसी पर लटका देना चाहिए। मैं मुख्यमंत्री से उनके घर पर बुलडोजर चलवाने की मांग करता हूं।
बाबा बागेश्वर ने कहा, 'गुना में जो हुआ वह निंदनीय है। देश को तोड़ने वाले लोग हिंदुओं को डराने और एक विशेष महजब के लोग अपने महजब का मौकाल बनाने के लिए इस प्रकार की हिंसा करते हैं। जो हनुमान जी की शोभा यात्रा पर हुआ है, वह कोई भी किसी भी धर्म का हो चाहे यहूदी हो, ईसाई हो, पारसी हो या मुस्लिम हो सबकी अपनी-अपनी आस्था होती है। किसी की भी आस्था पर पत्थर फेंकना यह दर्शाता है कि वह ना जीने और ना ही मनुष्य कहलाने के लायक है।