हरियाणा का परिवहन विभाग अब पुलिस नियंत्रण से जल्द बाहर होगा। राज्य के परिवहन मंत्री अनिल विजय ने रीजनल ट्रांस अथॉरिटी (RTA) और अन्य पदों पर तैनात पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को हटाने के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं।
मोटल व्हीकल अधिकारी (MVO) पद पर जितने पुलिस इंस्पेक्टर तैनात होंगे, उन्हें वापस कर दिया गया है। विभाग के नए प्रस्ताव में पहले की तरह विभागीय कर्मियों की ही तैनाती की जाएगी। RTA के पदों पर अब हरियाणा सिविल सर्विस (HCS) अधिकारियों की तैनाती होगी।
परिवहन विभाग ने अपने नए प्रस्ताव में कहा है कि पहले विभागीय कर्मचारियों की ही तैनाती होगी। रीजनल ट्रांसपोर्ट अधिकारियों के पदों पर गैर हरियाणा सिविल सर्विस रीजनल ट्रांसपोर्ट अधिकारियों की नियुक्ति हुई थी। अनिल विज को यह लागू करने के लिए नियमों में फिर से बदलाव करने पड़ेंगे।
क्या बदलाव चाहते हैं अनिल विज?
अनिल विजय ने परिवहन विभाग में पुलिस अधिकारियों की तैनाती पर ऐतराज जताया था। उन्होंने मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने कहा था कि जो अधिकारी हरियाणा सिविल सर्विसेज के नहीं हैं, उन्हें हटाया जाए और नियमों में बदलाव किया जाए। पुलिस अधिकारियों को तत्काल परिवहन विभाग के पदों से मुक्त कर दिया जाए।
अनिल विज की नाराजगी का असर क्या?
अनिल विज ने मुख्य सचिव को आधिकारिक चिट्ठी भेजी थी। परिवहन विभाग के प्रधान सचिव IPS अधिकारी नवदीप सिंह विर्क को विभाग से जाना पड़ा। उन्हें खेल विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। परिवहन विभाग में उनकी जगह IAS अधिकारी अशोक खेमका को कमान मिली। उन्हें एडिशनल चीफ सेक्रेटरी की जिम्मेदारी दी गई थी।
क्यों पुलिस अधिकारियों की हो रही थी नियुक्ति?
परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर सरकार ने हरियाणा ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के पदों पर हरियाणा सिविल सर्विसेज से इतर अधिकारियों की नियुक्ति का नियम तैयार किया था। विजिलेंस ब्यूरो, RTA के पद पर नियुक्त कई अधिकारियों को भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाने के बाद गिरफ्तार किया था। मनोहर लाल खट्टर ने सीनियर अधिकारी IPS शत्रुजित कपूर को भ्रष्टाचार खत्म करने की जिम्मेदारी दी थी। शत्रुजित कपूर ने प्रस्ताव दिया था कि RTA के पदों पर HCS के अलावा हरियाणा पुलिस सर्विस और अन्य विभागों के अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। मोटर व्हिकल अधिकारी (MAO) के पदों पर पुलिस इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर की तैनाती की गई थी।
विवाद किस बात का था?
हरियाणा सरकार में अनिल विज का दबदबा रहा है। जब मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री थे, तब भी अनिल विज अक्सर चर्चा में रहते थे। साल 2014 से लेकर 2019 तक के कार्यकाल में अनिल विज ने कई बार अपने विभागीय कार्यों में मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप पर आपत्ति जताई थी। अनिल विज की नाराजगी के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी की नियुक्ति वापस ली थी।
कई ऐसे मौके आए जब मनोहर लाल खट्टर और अनिल विज में टकराव दिखा। अनिल विज के पास 2020 तक CID विभाग का चार्ज था, जिसे वापस ले लिया गया था। 2021 में अनिल विज से शहरी स्थानीय निकाय विभाग वापस लिया गया। कुछ अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर भी विवाद की खबरें सामने आईं थीं।
अनिल विज का राजनीतिक सफर कैसा है?
अनिल विज हरियाणा के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं। उनके बयान आए दिन सुर्खियों में रहते हैं। साल 2014 से लेकर अब तक लगातार वह हरियाणा सरकार में मंत्री रहे हैं। 2014 में उनके पास आयुष मंत्रालय, मेडिकल एजुकेशन, हेल्थ जैसे विभाग थे। 2016 में ही उन्हें साइंस टेक्नोलॉजी विभाग की भी जिम्मेदारी मिली। टेक्निकल एजुकेशन, अर्बन डेवलेपमेंट और गृह मंत्रालय भी उनके पास रहा है।