2014 बैच की आईएएस अधिकारी रानी नागर को जबरन रिटायर करने की तैयारी है। हरियाणा सरकार ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को जबरन रिटायरमेंट का प्रस्ताव भेजा है। लंबे समय से अनुपस्थित चल रहीं रानी नागर को हरियाणा सरकार ने चार बार नोटिस भेजा था। जवाब नहीं मिलने पर यह कदम उठाया है। रानी नागर साल 2020 में तब चर्चा में आई थीं जब उन्होंने एक वरिष्ठ अधिकारी पर उत्पीड़न का आरोप लगाया और साल 2020 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
11 मार्च 2020 को रानी नागर को आखिरी बार हरियाणा सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग का अतिरिक्त सचिव और अभिलेखागार विभाग का निदेशक बनाया था। 27 अक्टूबर 2020 तक वह उपस्थित रहीं। ड्यूटी से गायब होने पर हरियाणा सरकार ने उनको नोटिस भेजे। मगर कोई जवाब नहीं मिला। बाद में हरियाणा सरकार ने केंद्र से रानी नागर की सेवा समाप्त करने की सिफारिश की। हालांकि संघ लोक सेवा आयोग ने एक और नोटिस भेजकर आखिरी मौका देने का निर्देश दिया। इसके बाद हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने सेवा समाप्त करने का चौथा नोटिस भेजा।
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यूपी की रहने वाली हैं रानी नागर
आईएएस अधिकारी रानी नागर उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने साल 2020 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हरियाणा के मुख्य सचिव को भेजे ईमेल में रानी ने सरकारी नौकरी में अपनी सुरक्षा को इस्तीफे की वजह बताई थी। उन्होंने ईमेल की प्रति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, हरियाणा के राज्यपाल और सीएम को भी भेजी थी। हरियाणा सरकार से इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह किया था। अपने इस्तीफे की जानकारी आईएएस अधिकारी ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक की थी।
हरियाणा की तत्कालीन मनोहर लाल सरकार ने रानी नागर का इस्तीफा नामंजूर कर दिया था। बाद में हरियाणा सरकार ने केंद्र से उनका काडर यूपी करने की सिफारिश भी की थी। उस वक्त केंद्रीय राज्य मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने एक्स पर यह जानकारी साझा की थी।
- 2020 में रानी का इस्तीफा हरियाणा की सियासत की केंद्र में आ गया था। यूपी की पूर्व सीएम मायावती, कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने न केवल रानी का समर्थन किया, बल्कि हरियाणा सरकार पर भी निशाना साधा था। केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने भी रानी को सुरक्षा देने की मांग की थी।
- इस्तीफा देने के बाद रानी नागर अपनी बहन रीमा नागर के साथ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद आ गईं थीं। इस्तीफे के वक्त रानी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में अतिरिक्त सचिव के पद पर तैनात थीं। उनके पास अभिलेखागार विभाग के निदेशक का भी अतिरिक्त प्रभार था।
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- साल 2018 में रानी नागर ने पशुपालन विभाग में तैनात एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री तक मामला पहुंचा। बाद में नागर ने चंडीगढ़ के कुछ पुलिस अधिकारियों और दुर्व्यवहार करने वाले आईएएस के खिलाफ केस दर्ज कराया था। सोशल मीडिया पर ही रानी ने अपनी और बहन की जान का खतरा जताया था।
- कोरोना लॉकडाउन के दौरान रानी नागर और उनकी बहन को यूटी गेस्ट हाउस पर रखा गया था। 17 अप्रैल 2020 को एक वीडियो में उन्होंने खाने में कील परोसने का आरोप लगाया था। रानी नागर गाजियाबाद में अपने भाई के खिलाफ भी प्रापर्टी हड़पने की शिकायत पुलिस को दे चुकी हैं।