हरियाणा में अब उन दंपतियों को इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के जरिए बच्चा पैदा करने के लिए जिला अथॉरिटी से पहले अनुमति लेनी होगी, जिनके पास पहले से एक जीवित बेटी है और वे दूसरा बच्चा चाहते हैं। यह नियम उन दंपतियों पर भी लागू होगा, जिनके पास एक बेटी और एक बेटा पहले से है। यह फैसला मंगलवार को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में हुई राज्य टास्क फोर्स (STF) की बैठक में लिया गया। यह बैठक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री आरती सिंह राव के निर्देश पर हुई, जिसमें ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत लिंगानुपात सुधारने पर चर्चा हुई।
सुधीर राजपाल ने कहा, 'यह अभी सिर्फ एक विचार है। हमें इसके लिए दिशा-निर्देश और नियम तैयार करने हैं। हम चाहते हैं कि लोग IVF का उपयोग कर सकें, लेकिन इसका दुरुपयोग न हो।’ हरियाणा का लिंगानुपात इस साल 7 जुलाई तक 904 (प्रति 1,000 पुरुषों पर 904 महिलाएं) हो गया है, जो पिछले साल की तुलना में बेहतर है। सरकार का कहना है कि यह सुधार चल रहे अभियानों का नतीजा है।
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सख्त कार्रवाई के निर्देश
बैठक में राजपाल ने मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) को 24 सप्ताह तक के गर्भपात की जांच करने और इसमें शामिल डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसके लिए एक विस्तृत प्रक्रिया सभी अधिकारियों को दी गई है।
बैठक में अवैध गर्भपात रोकने की कोशिशों की भी समीक्षा हुई। राजपाल ने ऐसे मामलों में शामिल डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द करने और आयुर्वेदिक डॉक्टर व झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसके लिए साप्ताहिक रिपोर्ट भी मांगी गई है।
नूंह में सील हुए थे नर्सिंग होम
हाल ही में नूंह जिले में दो नर्सिंग होम को अवैध गर्भपात के लिए सील किया गया। पूरे राज्य में करीब 500 अवैध गर्भपात केंद्र बंद किए गए हैं, जिससे पिछले दो महीनों में कानूनी गर्भपात की संख्या में कमी आई है।
अधिकारियों ने बताया कि जून में जन्म पंजीकरण के आंकड़े मई की तुलना में बढ़े हैं। राजपाल ने वरिष्ठ अधिकारियों को पलवल, नूंह, गुरुग्राम और फरीदाबाद के झुग्गी-झोपड़ी और कम आय वाले क्षेत्रों में गैर-पंजीकृत बच्चों को ढूंढने और उनका पंजीकरण करने के लिए आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया। यह काम एक महीने में पूरा करने का लक्ष्य है।
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चल रहे जागरुकता अभियान
महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत सार्वजनिक पार्कों में जागरूकता अभियान चल रहे हैं। टेलीकॉम कंपनियों के साथ मिलकर मोबाइल अलर्ट के जरिए भी यह संदेश फैलाया जा रहा है। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक रिपुदमन सिंह ढिल्लन भी शामिल थे।