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'राशन दे दो, भूखे न मर जाएं,' हिमाचल में बाढ़ पीड़ितों की आपबीती

हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से तबाही मची हुई है। अब स्थानीय लोग बाढ़ से प्रभावित परिवारों की मदद के लिए आगे आए और जरूरतमंदों को राशन किट बांटे।

Himachal Pradesh

बाढ़ प्रभावित इलाकों में जारी राहत कार्य, Photo Credit: @SukhuSukhvinder

देश के पहाड़ी राज्य हिमाचल में आसमान से बारिश नहीं तबाही बरस रही है। दो हफ्ते से ज्यादा समय हो गया है लेकिन बारिश का कहर अभी भी जारी है। बाढ़ में सबसे ज्यादा प्रभावित जिला मंड़ी है। अब तक 69 लोगों की इस तबाही में जान जा  चुकी है। राज्य में कई इलाके ऐसे हैं जिनकी मुख्य शहरों से कनेक्टिविटी टूट चुकी है ऐसे में स्थानीय लोग ही एक दूसरे का सहारा बन रहे हैं। मंडी में स्थानीय लोग बाढ़ से प्रभावित परिवारों की मदद के लिए आगे आए और जरूरतमंदों को राशन किट बांटे।

 

मुश्किल के इस दौर में स्थानीय लोगों ने ही राशन का इंतजाम किया और बाढ़ प्रभावित परिवारों तक राशन की किट पहुंचाई। राशन किट में चावल और गेहूं शामिल थे और इन्हें मंडी जिले के बाढ़ प्रभावित परिवारों को दिया गया। यूनियन के अध्यक्ष राज कुमार ठाकुर ने मीडिया को बताया, 'चैल चौक व्यापार मंडल के सभी व्यापारियों ने उन लोगों की मदद करने का फैसला किया है जिन्होंने इस त्रासदी में अपने घर खो दिए हैं या सड़क संपर्क खो दिया है। हमने 10 से 15 दिनों का राशन मुहैया कराया है।' 

 

राहत कार्य में जुटी सरकार

हिमाचल में हर साल इस तरह का मंजर देखने को मिलता है। इस साल बारिश थोड़ी देर से आई लेकिन तबाही लेकर आई। राज्य सरकार राहत और बचाव कार्य में लगी हुई है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने कहा,'जब से बारिश शुरू हुई है तब से 69 लोगों की जान जा चुकी है। इस त्रासदी में 37 लोग लापता हैं और 110 लोग घायल हुए हैं। राज्य को करीब 700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।' हिमाचल में बारिश से कई परियोजनाएं भी प्रभावित हुई हैं। बिजली के तार और खंभे उखड़ गए हैं, जिससे काफी नुकसान हुआ है।

 

#WATCH | Shimla: Himachal Pradesh Chief Minister Sukhvinder Singh Sukhu says, "Since the rains began, 69 people have lost their lives, 37 people are missing, 110 people have been injured, and damages worth approximately Rs 700 crore have been incurred... Roads and water projects… pic.twitter.com/z2ZPDpvGwJ

 

मुख्यमंत्री ने कहा, 'मानसून की शुरुआत में ही हिमाचल प्रदेश में ऐसी तबाही मची है और अभी भी रेड अलर्ट है। आज मैंने केंद्रीय गृह मंत्री से भी बात की और उन्होंने हमें पूरी मदद का आश्वासन दिया है और नुकसान का आकलन करने के लिए आज एक केंद्रीय टीम आ रही है। 14 जगहों पर बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं। हम इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि बादल फटने की इतनी घटनाएं क्यों हो रही हैं। बागवानी कॉलेज में फंसे 92 छात्रों को बचा लिया गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार आपदा प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है।'

 

 मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने उन लोगों के लिए घोषणाएं भी की जिन्होंने इस त्रासदी में अपने घरों को खो दिया है। मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित परिवारों को घर किराए पर लेने के लिए 5,00 रुपये देने का फैसला किया है। साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बाढ़ की स्थिति का आकलन करने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई जाएगी और इसमें राहत उपायों पर विचार किया जाएगा।

लोगों ने अपनों को खोया?

इस त्रासदी में कई लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया है। एक 11 महीने की बच्ची के माता-पिता की इस त्रासदी में मौत हो गई है। एक युवक ने बच्ची की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, 'यह सिर्फ 11 महीने की है। मुश्किल से मां या पापा बोल पाती थी और अब वे हमेशा के लिए चले गए हैं। हिमाचल की बाढ़ ने उसकी पूरी दुनिया छीन ली। उसे अभी तक पता भी नहीं है कि उसने क्या खोया है। लेकिन एक दिन उसे पता चल जाएगा।'

 

इस हादसे में प्रभावित लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं। एक युवक ने ऐसी ही एक महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा, 'आपदा के बाद नम आंखों से महिला ने सरकार से लगाई गुहार, बस 2 वक्त की रोटी मिल जाए ताकि कोई भूखा न मरे।'वीडियो में महिला को कह रही है कि हमारे गांव तक राशन नहीं पहुंचा है और लोगों के पास पर्याप्त खाना नहीं है। 

महिला ने सुनाई आपबीती?

बाढ़ से प्रभावित एक महिला ने अपनी आप बीती बताई। उन्होंने कहा कि रात को 10 से 11 बजे के बीच बारिश लगातार बारिश हो रही थी। मेरे सास ससुर बाहर देखने निकले तो उन्होंने बताया कि बारिश बढ़ गई है। जब मैंने देखा तो मैंने परिवार को वहां से भागने के लिए कहा। हम अपनी जान बचाकर पड़ोस में आए। जब वहां भी हालत खराब हो गई तो हम गांव के स्कूल में इकट्ठा हो गए। इस बारिश से सारे गांव वालों के घर क्षतिग्रसत हो गए हैं। हम सभी अपनी जान बचाने के लिए गांव के स्कूल में रह रहे हैं।

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