न बड़े उद्योग, न तगड़ा रेवेन्यू, कैसे चलती है बिहार की अर्थव्यवस्था?
राज्य
• PATNA 17 Jul 2025, (अपडेटेड 19 Jul 2025, 9:11 AM IST)
बिहार की राजनीति में उतरी नई नवेली पार्टी जन सुराज के कर्ता-धर्ता हैं प्रशांत किशोर। उन्होंने कहना है कि बिहार में पूंजी लाए बिना बिहार का भला नहीं होगा। बिहार के पास सर्विस सेक्टर में सुनहरा मौका है, जिसे भुनाने की जरूरत है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव। (AI Generated Image, Sora GPT)
बिहार। 13 करोड़ से ज्यादा आबादी वाला राज्य। पश्चिम में उत्तर प्रदेश, पूर्व में पश्चिम बंगाल, दक्षिण झारखंड जैसे प्रदेशों से घिरा हुआ अतीत का सबसे गौरवशाली राज्य। मौर्य वंश से लेकर गुप्त राजवंश तक, जिस प्रदेश की सीमाओं का विस्तार अफगानिस्तान तक था, अंग, मगध और वज्जी महाजनपदों की बागडोर जिस राज्य से संभलती थी, वहां का वर्तमान, अतीत से बेहद अलग है। बिहार, देश के सबसे समृद्धशाली राज्यों में से एक था। यहां के राजवंशों के प्रभाव की जद में पूरा एशिया था, यहां की कला, संस्कृति और धर्म की स्वीकार्यता, आज भी दुनिया के कई देशों में है, उसी बिहार की सरकार, विपक्ष और सामाजिक संस्थाएं, पलायन से परेशान हैं। 94,163 वर्ग किलोमीटर में फैले बिहार में खनिज संपदाओं की भरमार है, प्रकृति मेहरबान है फिर भी एक तथ्य यह भी है कि बिहार से कमाई-धमाई के लिए 7 फीसदी आबादी पलयान कर चुकी है। यह आंकड़े साल 2011 के हैं, अब यह और बढ़ सकता है।
देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले राज्यों की टॉप 10 लिस्ट से बिहार बहुत बाहर है। महाराष्ट्र 13.30 प्रतिशत, तमिलनाडु 8.90 प्रतिशत, कर्नाटक 8.20 प्रतिशत, गुजरात 8.10 प्रतिशत और बिहार का पड़ोसी यूपी भी देश की अर्थव्यवस्था में 8.40 प्रतिशत का योगदान देता है लेकिन बिहार का योगदान 4 प्रतिशत के आसपास है। एस एंड पी ग्लोबल का अनुमान है कि साल 2030-31 तक देश की नॉमिनल जीडीपी दोगुनी हो जाएगी, 7 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा देश छू लेगा लेकिन बिहार के भविष्य पर सवाल हैं। बिहार के वित्त मंत्रालय के मुताबिक साल 2023-24 के लिए बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 8.59 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जिसमें 2022-2 की तुलना में 8.9% की वृद्धि देखी जा सकती है।
यह भी पढ़ें: बिहार: गठबंधन से आगे कभी क्यों नहीं निकल पाई BJP? पूरी कहानी
बिहार में दशकों तक अपराध का बोलबाला रहा। उद्योग-धंधे बदहाल स्थिति में हैं। कृषि में अपार संभावनाएं हैं लेकिन संसाधनों की किल्लत है। देश के किसी हिस्से में बिहार के बारे में सवाल किया जाए कि यहां के किसी औद्योगिक शहर का नाम बताओ तो बताने वाले को गूगल करना पड़ जाए। बिहार की 89 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है। यह भारत का सबसे घनी आबादी वाला राज्य भी है। यहां प्रति वर्ग किलोमीटर 1,388 व्यक्ति रहते थे। सामाजिक असामनता, गरीबी, बेरोजगारी भी बिहार की बड़ी समस्या है। बिहार की 7.2 प्रतिशत आबादी, कमाने-धमाने, राज्य से बाहर है। ऐसे में सवाल यह है कि बिहार की अर्थव्यवस्था चलती कैसे है? कमाई-धमाई कैसे होती है?
कितना कर्जदार है बिहार?
बिहार सरकार के आर्थिक सर्वे के मुताबिक, 2024-25 तक सरकार पर 3.62 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। इसमें से 44,608 करोड़ रुपये का कर्ज केंद्र सरकार का है।
यह भी पढ़ें: बिहार में मुसलमानों को साधने में लगे नीतीश, क्या RJD से कटेंगे वोट?
बिहार की अर्थव्यवस्था चलती कैसे है? 5 फैक्टर
- कृषि: बिहार की 89 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है। राज्य के कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने विधानसभा में भी कहा है कि बिहार की सकल घरेलू आय में कृषि का हिस्सा 20 प्रतिशत है। बिहार के कृषि विभाग की मानें तो 56.03 लाख हेक्टेयर जमीन कृषि योग्य है, वहीं कुल कृषि योग्य जमीन 79.46 लाख हेक्टेयर है। बिहार में धान, गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहन की खेती खूब होती है। बिहार आम और लीची का उत्पादन प्रमुख केंद्र है। मक्का उत्पादन में बिहार देश में चौथे स्थान पर रहा है। बिहार में कृषि से होने वाली प्रति व्यक्ति आय 7,542 रुपये प्रति माह है, जो देश के अन्य राज्यो की तुलना में काफी कम है।
- सर्विस सेक्टर: बिहार में सर्विस सेक्टर में अपार संभावनाएं हैं। ट्रेड, बैंकिंग, रियल स्टेट जैसे क्षेत्र, अब भी लाखों लोगों को रोजगार दे सकते हैं। बिहार के बजट विश्लेषण का अनुमान है कि बिहार के सकल घरेलू राज्य उत्पाद में सर्विस सेक्टर ने करीब 58.6 प्रतिशत से 61 प्रतिशत तक योगदान दिया है। पटना जैसे शहरी इलाकों में सर्विस सेक्टर का योगदान 26 फीसदी तक है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे में सुधार ने इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं पैदा की हैं।
- लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs): बिहार में बड़े उद्योगों की कमी है। लघु और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। मुख्यमंत्री लघु उद्यमी योजना लागू की गई हैं। ये योजनाएं अनुसूचित जाति, जनजाति, और अन्य पिछड़े वर्गों के युवाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता दे रही हैं। देश के जीडीपी में 30% से ज्यादा का योगदान MSME का है। इसे देखते हुए अब बिहार सरकार ने गरीब परिवारों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए लघु व्यवसाय स्थापित करने के लिए दो लाख रुपए के अनुदान की योजना को मंजूरी दी है। इस योजना पर साल 2024-25 में 1,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
- पशु और मत्स्य पालन: कृषि के साथ-साथ पशुपालन और मत्स्य पालन बिहार की अर्थव्यवस्था में करीब 6 प्रतिशत तक योगदान देते हैं। ये क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं और रोजगार के बड़े अवसर देते हैं।
- निर्माण क्षेत्र: बिहार में हाल के वर्षों में सड़क, बिजली, और सिंचाई जैसे बुनियादी ढांचे में व्यापक सुधार देखने को मिल रहा है। राज्य में शहरीकरण तेजी से बढ़ा है। पटना, बेगूसराय, और मुंगेर जैसे जिलों में आर्थिक विकास की गति सुधरी है। इसके जरिए सर्विस सेक्टर में नए अवसर पैदा हो रहे हैं। बिहार आर्थिक समीक्षा के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 2021-22 से 2022-23 के बीच निर्माण गतिविधियां 22 प्रतिशत की दर से बढ़ीं हैं। इसने द्वितीयक क्षेत्र के जीएसडीपी में 50.2 प्रतिशत का योगदान दिया। इसके बाद विनिर्माण का स्थान आता है और 2022-23 में विनिर्माण क्षेत्र ने द्वितीयक क्षेत्र के जीएसडीपी में 37.0 प्रतिशत का योगदान दिया।
बिहार को शराबबंदी से कितना नुकसान होता है?
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने साल 2022 में कहा था कि बिहार को शराबबंदी की वजह से 35 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो चुका है। एक अनुमान के मुताबिक बिहार को हर साल शराब पर बैन होने की वजह से 4000 करोड़ के राजस्व का नुकसान होता है।
यह भी पढ़ें: बिहार के लिए 'जमाई आयोग' क्यों मांग रही RJD? परिवारवाद पर नया बवाल
बिहार की अर्थव्यवस्था, एक नजर में जानिए सबकुछ
GSDP में इजाफा: बिहार की GSDP 10.6% की दर से बढ़ी है। यह राष्ट्रीय जीडीपी की वृद्धि दर (7.2%) से ज्यादा है।
- बिहार के किस सेक्टर की कितनी हिस्सेदारी?
- कृषि : 6.7% वृद्धि, अर्थव्यवस्था में 25% योगदान।
- मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर: 6.8% वृद्धि, 17% योगदान।सर्विस सेक्टर: 13% वृद्धि, 58% योगदान।
- प्रति व्यक्ति GSDP बिहार में कितनी है
59,637 रुपए
राष्ट्रीय स्तर: 1,96,983 रुपए - बेरोजगारी: बिहार में बेरोजगारी दर: 3.9%
राष्ट्रीय दर: 3.2%)
15-29 आयु वर्ग में: 13.9%
राष्ट्रीय दर: 10%
बिहार में उद्योग धंधों का क्या हाल है?
बिहार में बीते कुछ साल में करीब 2 से ज्यादा नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई हैं। इनमें छोटे, मध्यम और बड़े पैमाने के उद्योग शामिल हैं। बिहार की जनसंख्या के हिसाब से ये आंकड़े अभी बेहद कम हैं। बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) का दावा है कि खाद्य प्रसंस्करण, चमड़ा, कपड़ा, जूट, प्लास्टिक, और बिस्किट जैसे उद्योगों में निवेश बढ़ा है। 2017-19 के दौरान खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में 742.54 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।
गया, मुंगेर और मधुबनी जैसे जिलों में औद्योगिक पार्क को बनाने की कवायद की जा रही है। बिहटा के बाद अब गया को सबसे बड़े औद्योगिक हब के रूप स्थापित करने का दावा किया जा रहा है। सरकार यहां 1670 एकड़ में एक अत्याधुनिक औद्योगिक पार्क तैयार करने वाली है।
आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार में नई औद्योगिक इकाइयों ने 70,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान किया है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है। खाद्य प्रसंस्करण, जूट, और गन्ना-आधारित उद्योग जैसे इथेनॉल उत्पादन से राज्य को अच्छी कमाई हो रही है।
बिहार के बड़े औद्योगिक शहरों पर एक नजर
- पटना: यहां कांच उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण, और छोटे पैमाने की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, राज्य की अर्थव्यवस्था को गति दे रही हैं। यहां 7 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश हो रहा है।
- मुजफ्फरपुर: बिस्किट, रस्क, और लेदर उद्योग तेजी से बढ़ा है। 6 हजार करोड़ से ज्यादा निवेश।
- वैशाली: केला-आधारित खाद्य प्रसंस्करण और कपड़ा उद्योग फल-फूल रहा है। वैशाली में 10 हजार करोड़ से ज्यादा निवेश आ रहा है।
- नालंदा: पारबॉयल्ड राइस और अन्य कृषि-आधारित उद्योग तेजी से बढ़ रहे हैं। 1400 करोड़ से ज्यादा का निवेश।
- भागलपुर: सिल्क और कपड़ा उद्योग तेजी से स्थापित हो रहे हैं। 1 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश।
- पूर्णिया: जूट उत्पादन के प्रमुख केंद्र के तौर पर पूर्णिया उभर रहा है। पूर्णिया में 2 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश हो सकता है।
- कटिहार: जूट और कृषि-आधारित उद्योग। 200 करोड़ से ज्यादा के निवेश की संभावना बन रही है।
- गया: औद्योगिक कॉरिडोर और कैलसिंड पेट्रोलियम कोक जैसे उद्योग तेजी से बढ़ रहे हैं। नए इंडस्ट्रियल हब के तौर पर इस शहर को विकसित किया जा रहै है। 2 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश हो सकता है।
- बक्सर: खाद्यान्न, सब्जियां, और मछली निर्यात के लिए व्यापारिक केंद्र है। 1 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश हो सकता है।
बिहार के प्रमुख उत्पाद जो दुनिया में सराहे जाते हैं
- जूट: पूर्णिया और कटिहार में जूट उत्पादन प्रमुख है। पूर्णिया में भारत का पहला जूट पार्क स्थापित हो रहा है।
- केला: वैशाली में केले की खेती 32,000 हेक्टेयर में होती है। 13 लाख टन उत्पादन है। इससे चिप्स, आचार, आटा, और रेशे से कपड़ा बनाया जा रहा है।
- मखाना: दरभंगा और मधुबनी में मखाना उत्पादन प्रसिद्ध है। केंद्र सरकार ने मखाना बोर्ड का गठन किया है। करीब 35 हजार हेक्टेयर में मखाने की खेती होती है। 25 हजार किसान इससे जुड़े हुए हैं।
- भागलपुरी सिल्क: भागलपुर में उत्पादित सिल्क कपड़ा विश्व प्रसिद्ध है।
- खाद्य प्रसंस्करण: बिस्किट, रस्क, पारबॉयल्ड राइस, और भुजिया चावल।
- फल: बिहार की लीची और आम राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं।
- चमड़ा और कपड़ा: चमड़ा उत्पाद, जूता, और बैग निर्माण।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap