तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। शहर में फर्टिलिटी क्लिनिक (IVF) की आड़ में सरोगेसी और बच्चे बेचने वाला रैकेट चलाया जा रहा था। हैदराबाद पुलिस ने फर्टिलिटी क्लिनिक और उसकी आड़ में बच्चे बेचने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह के तार तेलंगाना से लेकर आंध्र प्रदेश और केरल तक फैले हुए थे। आरोपी कुछ हजारों में नवजात बच्चों तो खरीदकर लाखों रुपये में बेच रहे थे। गिरोह के लोग नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त में शामिल थे। इस रैकेट की अगुवाई एक 64 साल की नामचीन फर्टिलिटी डॉक्टर कर रही थी। पुलिस ने फर्टिलिटी सेंटर की निदेशक, आईवीएफ विशेषज्ञ, तकनीशियन, वकील समेत कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया है।
यह आईवीएफ सेंटर नकली दस्तावेजों, फर्जी प्रक्रिया और नवजात शिशुओं की अवैध बिक्री कर रहा था। इस पूरे रैकेट का खुलासा तब हुआ जब एक दंपत्ति ने हैदराबाद के गोपालपुरम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
यह भी पढ़ें: शादी का दबाव बनाया तो होटल में बुलाकर कर दी हत्या, हुआ गिरफ्तार
राजस्थान का दंपत्ति बच्चा चाहता था
दरअसल, अगस्त 2024 में राजस्थान के एक दंपत्ति ने आईवीएफ में इलाज के लिए सिकंदराबाद स्थित यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर से संपर्क किया। इलाज के दौरान इस सेंटर ने सही प्रक्रिया के बजाय, दंपत्ति को एक शॉर्टकट रास्ता अपनाने को कहा। दंपत्ति से कहा गया कि वे अपने स्पर्म और एग के जरिए सरोगेसी के जरिए अपना बच्चा पैदा कर सकते हैं। दंपत्ति को आश्वासन दिया गया कि बच्चा जैविक रूप से उनका होगा।
कई महीने बाद जून 2025 में दंपत्ति को बताया गया कि एक सरोगेट ने विशाखापत्तनम में सी-सेक्शन के जरिए एक लड़के को जन्म दिया है। फिर उनसे डिलीवरी के लिए 2 लाख रुपये और मांगे गए। बच्चे को जाली दस्तावेजों के साथ सौंप दिया गया, जिसमें कहा गया था कि वह उनका जैविक बेटा है।
यह भी पढ़ें: सरकार की आलोचना नहीं कर सकते सरकारी कर्मचारी, महाराष्ट्र Govt का फरमान
शक होने पर दंपत्ति ने डीएनए टेस्ट की मांग
हालांकि, शक होने के बाद जब दंपति ने आईवीएफ सेंटर से डीएनए टेस्ट की मांग की, तो क्लिनिक लगातार टालमटोल करता रहा। आखिरकार, उन्होंने दिल्ली में खुद से बच्चे का डीएनए टेस्ट करवाया। जब इसकी रिपोर्ट आई तो दंपति के पैरों तले जमीन खिसक गई। डीएनए रिपोर्ट से पता चला कि बच्चा दंपति का था ही नहीं। इसके बाद दंपति ने हैदराबाद पुलिस में जाकर शिकायत दर्ज करवाई।
शिकायत के आधार पर जांच के बाद हैदराबाद पुलिस को पता चला कि बच्चा असल में हैदराबाद में रहने वाले असम के एक गरीब दंपति से खरीदा गया था। बच्चे के जैविक माता-पिता को बच्चे के बदले 90,000 रुपये दिए गए थे। मां को प्रसव के लिए विशाखापट्टनम भेजा गया, और फिर बच्चे को सरोगेट बच्चे के रूप में दंपत्ति के सामने पेश किया गया। बता दें कि राजस्थान के दंपत्ति से इस प्रक्रिया के लिए 35 लाख रुपये लिए गए थे।
20 से 30 लाख लेती थी डॉक्टर
आरोपी डॉ. अथलुरी नम्रता उर्फ पचीपाला नम्रता, जो यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर्स की मालिक है, वह पिछले कई सालों से इस नेटवर्क का संचालन कर रही थी। वह हर जोड़े से 20 से 30 लाख लेती थी। उनके फर्टिलिटी सेंटर से नि:संतान दंपति को जैविक बच्चे पैदा कराने का झांसा दिया जाता था, लेकिन असलियत में आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर महिलाओं को थोड़े से पैसों में अपनी गर्भावस्था जारी रखने के लिए मजबूर किया जाता था। उनके नवजात बच्चों को दूसरे जोड़ों को उनके बच्चों के रूप में सौंप दिया जाता था। शिकायतकर्ताओं के केस में भी यही पैटर्न अपनाया गया। उन्हें भरोसा दिलाया गया।
आरोपियों के खिलाफ पहले भी हैदराबाद, विशाखापत्तनम और गुंटूर में 10 से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं। पुलिस जांच में ये भी सामने आया है कि स्वास्थय विभाग द्वारा इन फर्टिलिटी सेंटर्स के लाइसेंस पहले ही रद्द किए जा चुके थे, लेकिन आरोपी खामियों का फायदा उठाकर अपनी अवैध गतिविधियों को जारी रखे हुए थे।