3 दशक का करियर, 57 ट्रांसफर, अब रिटायर, अशोक खेमका की पूरी कहानी
राज्य
• NEW DELHI 30 Apr 2025, (अपडेटेड 30 Apr 2025, 1:54 PM IST)
अशोक खेमका को कुछ महीने पहले ट्रांसपोर्ट विभाग का एडिशनल चीफ सेक्रेटरी का पद मिला। इसी पद से वह रिटायर हो रहे हैं।

IAS अधिकारी अशोक खेमका। (File Photo Credit: PTI)
33 साल तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपनी सेवाएं देने के बाद देश के सबसे चर्चित IAS अधिकारियों में से एक अशोक खेमका रिटायर हो रहे हैं। 12 साल पहले उन्होंने एक ऐसे लैंड डील को रद्द किया था, जिसके तार रॉबर्ट वाड्रा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से कथित तौर पर जुड़े हुए हैं। 33 साल के करियर में 50 से ज्यादा तबादला झेलने वाले अशोक खेमका को हर सरकार से शिकायत रही। खुद वह भी मानते हैं कि उन्हें 'ईमानदरी' की सजा मिलती रही और कम महत्वपूर्ण पदों पर उन्हें सरकारें नियुक्त करती रहीं।
अशोक खेमका 1991 बैच के IAS अधिकारी हैं। वह 30 अप्रैल को अपने जन्मदिन पर ही रिटायर हो रहे हैं। बुधवार को वह जीवन के 6वें दशक में पहुंच रहे हैं। वह हरियाणा के ट्रांसपोर्ट विभाग में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी का पद संभाल रहे थे। करीब 7 महीने की सेवा के बाद अब यह उनका आखिरी विभाग होगा। वह एक दशक पहले भी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के तौर पर यह विभाग संभाल चुके थे। इस पद पर वह करीब 4 महीने रहे। उन्होंने जस्ट ट्रांसफर्ड: दी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अशोक खेमका में भी लिखा कि ईमानदारी की वजह से उनके साथ ऐसा होता रहा।
सरकारों से बनी नहीं
वह पद पर रहते हुए भी सरकारों से कड़े सवाल पूछते रहे। 8 अप्रैल 2024 को उन्होंने X पर पोस्ट किया, 'वाड्रा-डीएलफ सौदे की जांच सुस्त क्यों? 10 वाड्रा-DLF सौदे की जांच सुस्त क्यों? 10 साल हुए। और कितनी प्रतीक्षा। ढींगरा आयोग की रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में। पापियों की मौज। शासक की मंशा कमजोर क्यों? प्रधान मंत्री जी का देश को वर्ष 2014 में दिया गया वचन एक बार ध्यान तो किया जाए।'
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अशोक खेमका का यह पहला सवाल नहीं था। उन्होंने कई मौकों पर राज्य और केंद्र सरकार से कड़े सवाल पूछे। उनके बयानों की वजह से अक्सर कहा जाता रहा कि वह राजनीति में उतरेंगे। साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले ऐसी खूब खबरें चलीं कि अशोक खेमका को आम आदमी पार्टी राजनीति में उतरने वाले हैं लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
7 मुख्यमंत्रियों संग किया काम
अशोक खेमका ने हरियाणा के 7 अलग-अलग मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया। ओम प्रकाश चौटाला, भजन लाल, बंसी लाल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मनोहर लाल खट्टर और नायब सिंह सैनी जैसे मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में वह काम कर चुके हैं। उनकी छवि कट्टर ईमानदार IAS अधिकारी की रही है।
तबादले पर तबादले लेकिन करते रहे नए खुलासे
33 साल के करियर में 57 बार ट्रांसफर झेलने वाले अशोक खेमका की नजर में जब भी कोई अनियमितता या धांधली आती, वह सार्वजनिक मंचों से इसके खिलाफ बोलते। अशोक खेमका से जुड़े करीबी भी बताते हैं कि उन्हें अनुभव होने के बाद भी हमेशा कम अहमियत वाले पद ही मिले। वह पुरातत्व, विज्ञान और प्रिंटिंग और स्टेशनरी जैसे विभागों में पोस्टिंग दी गई।
कौन हैं अशोक खेमका?
अशोक खेमका का जन्म कोलकाता के हुआ था। साल 1988 में उन्होंने IIT खड़गपुर से बीटेक की पढ़ाई की। वह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटर रिसर्च (TIFR) से कंप्युटर साइंस में पीएचडी हैं, उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में एमबीए भी किया है। साल 1991 में वह सिविल सेवा में शामिल हुआ था। वह लॉ ग्रुजेएट भी हैं। पंजाब विश्वविद्याल से उन्होंने कानून की पढ़ाई की है।
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किस खुलासे ने सबसे ज्यादा शोर मचाया?
साल 2012 में अशोक खेमका हरियाणा सरकार के लैंड रजिस्ट्रेशन डायरेक्टर थे। फरवरी 2008 में रॉबर्ट वाड्रा के स्वामित्व वाली कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के बीच एक जमीन सौदा हुआ। सौदे में गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन का सौदा 7.5 करोड़ रुपये में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने खरीद ली। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे। उनकी सरकार ने इस जमीन पर 2.7 एकड़ के लिए एक कॉमर्शियल कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस स्काईलाइट को दे दिया।
कॉलोनी बनाने की जगह रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने इस जमीन को DLF को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया। स्काईलाइट को सीधे 50 करोड़ रुपये का तत्काल मुनाफा हुआ। अशोक खेमका ने कहा कि इस जमीन सौदे में गड़बड़ी हुई है। उन्होंने 3.5 एकड़ लैंड डील के म्यूटेशन को रद्द कर दिया था। तब देश में यूपीए की सरकार थी और हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की। नतीजा यह हुआ कि अशोक खेमका का तबादला बीज निगम में कर दिया गया। प्रशासनिक तौर पर इस पद पर जूनियर अधिकारियों को भेजा जाता है।
धांधली पर हमेशा सख्त रहे तेवर
अशोक खेमका ने कई बार जमीन से जुड़े घोटालों के बारे में खुलासे किए। अशोक खेमका ने सोनीपत के इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप के केस का भी खुलासा किया है। नेताओं के साथ उनका बार-बार विवाद होता रहा है।
अशोक खेमका से जुड़े विवाद
संजीव शर्मा और अशोक खेमका के बीच कहासुनी हुई थी। संजीव वर्मा ने आरोप लगाए थे कि अशोक खेमका ने वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में गलत नियुक्तियां की हैं। अशोक खेमका ने कहा कि यह नियुक्तियां हाइ पावर कमेटी ने की है। मामला इतना बढ़ा कि पुलिस केस तक हो गया। अशोक खेमका ने कहा कि फिर साजिशन कीचड़ उछाला जाने लगा, यह इम्तिहान भी मंजूर है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साल 2016 और 2017 के बीच अशोक खेमका के मूल्यांकन रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणी की थी। अशोक खेमका कोर्ट तक चले गए थे।
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सरकार कोई भी हो, तबादले होते रहे
हरियाणा में चाहे कांग्रेस की सरकार रही, इंडियन नेशनल लोकदय या बीजेपी की, अशोक खेमका का बार-बार ट्रांसफर होता रहा। अशोक खेमका खुद इन तबादलों को सजा के तौर पर देखते रहे। वह कई बार कह चुके हैं कि उन्हें उन्हें अक्सर महत्वहीन विभागों में भेजा गया। वह अभिलेखागार विभाग में 4 बार नियुक्त किए जा चुके हैं। इसे लेकर उन्होंने कई बार नाराजगी भी जाहिर की।
ट्रांसफर या सजा, दर्द पर लिख दी किताब
अशोक खेमका ने एक बार आरोप लगाया था कि हरियाणा सरकार ने IAS के तौर पर उन्हें मिली गाड़ी तक छीन ली है। उन्होंने कई बार उत्पीड़न के आरोप लगाए, अपनी ईमानदारी को लेकर सरकारों पर आरोप लगाए। साल 2023 में एक बार उन्होंने कहा कि साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग जहां कोई काम ही नहीं था, वहां भी उनका तबादला करा दिया गया। उन्होंने जस्ट ट्रांसफर्ड: दी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अशोक खेमका नाम से एक किताब भी लिखी है। इस किताब में उन्होंने अपना दर्द साझा किया है।
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