जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने गुरुवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की आम बैठक के दौरान उसकी तारीफ की। संघ की शताब्दी पर हाल ही में आयोजित एक समिति के प्रस्ताव का हवाला देते हुए, मदनी ने कहा, 'अगर बात हिंदू-मुस्लिम एकता की है, तो हम RSS के खिलाफ नहीं हैं।'
मदनी ने खुलासा किया कि उन्होंने लगभग आठ साल पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी और उन्हें भी यही संदेश दिया था। उन्होंने आगे कहा, 'हालांकि ऐसा मौका बाद में नहीं आया, लेकिन अगर फिर आया तो हम मिलेंगे।'
मोहन भागवत ने तीन बच्चे पैदा करने की बात की। इस पर मदनी ने कहा, 'हर कोई अपनी मर्जी से फैसला लेने के लिए आजाद है।' वहीं, मस्जिदों में शिवलिंग मिलने के विवाद पर उन्होंने जोर देकर कहा कि जमीयत 1991 के वर्शिप ऐक्ट को मानता है।
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हिमंता बिस्वा सरमा पर क्या कहा?
मौलाना मदनी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगााय कि हिमंता सरमा कांग्रेस के साथ राजनीतिक रोटियां सेकते रहे लेकिन RSS की मानसिकता बनाए रखी।
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने सोनिया गांधी चिट्ठी लिखकर सरमा को टिकट न देने की अपील भी की थी लेकिन कांग्रेस ने उनकी चेतावनी को अनसुना कर दिया।
मौलाना मदनी ने कहा, 'जिसने रोटियां हमेशा कांग्रेस की तोड़ीं लेकिन दिमाग RSS का था। हमने कहा सोनिया जी से कि आप इसको टिकट मत दीजिए, मैंने खत भेजा उनको मगर उन्होंने नहीं माना और टिकट दे दिया। आज वही हिमंता ने कांग्रेस की उस पॉलिसी और दस्तूर के खिलाफ असम में आग लगा रखी है।' उन्होंने कहा कि हिमंता सरमा जैसे लोग हैं जो मुल्क को बर्बाद कर रहे हैं।
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'हमारी लड़ाई सांप्रदायिक तत्वों से'
मदनी ने मौजूद लोगों को याद दिलाया कि भारत की आजादी के बाद सांप्रदायिक ताकतों को मुसलमानों के खिलाफ जगह मिल गई, और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सबसे पहले उनका विरोध किया।
उन्होंने कहा, 'हमारी लड़ाई सड़कों पर नहीं, बल्कि उस सरकार से है जो सांप्रदायिक तत्वों को पनपने देती है। सड़कों पर होने वाली लड़ाइयां देश को ही नुकसान पहुंचाएगी।'