जम्मू-कश्मीर में 25 किताबों पर लगा बैन, युवाओं को गुमराह करने का आरोप
राज्य
• SRINAGAR 07 Aug 2025, (अपडेटेड 07 Aug 2025, 3:02 PM IST)
जम्मू-कश्मीर के गृह मंत्रालय ने अरुंधति रॉय समेत कई नामी लेखकों की 25 किताबों को बैन कर दिया है। इन किताबों को अलगाववाद की भावना को बढ़ावा देने वाला बताया गया है।

अरुंधति रॉय, Photo Credit: PTI
जम्मू-कश्मीर के गृह मंत्रालय ने बुधवार को 25 किताबों को राज्य में बैन करने का फैसला लिया है। इन 25 किताबों में अरुंधति रॉय, सुमंत्र बोस, एजी नूरानी और आयशा जलाल जैसे मशहूर लेखकों की किताबें शामिल हैं। गृह मंत्रालय ने इन किताबों को झूठा नैरेटिव, हिंसा और अलगाववाद का प्रचार करने वाला बताया। बता दें कि जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है और राज्य का गृह मंत्रालय उपराज्यपाल के अधीन आता है। सरकार का कहना है कि खुफिया इनपुट के आधार पर यह फैसला लिया गया है।
गृह मंत्रालय ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएस) की धारा 98 के तहत इन 25 किताबों को बैन किया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा, 'सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ किताबें जम्मू-कश्मीर में झूठे नैरेटिव और अलगवाद का प्रचार करती हैं। ये किताबें भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने वाली पाई गई हैं, इसलिए इन पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 152, 196 और 197 के प्रावधान लागू होते हैं।'
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खुफिया जानकारी के आधार पर लिया फैसला
गृह मंत्रालय के सचिव ने जो आदेश जारी किया है उसमें बताया गया है कि अलगाववादी और झूठे साहित्य के बारे में एक जांच और खुफिया जानकारी के बाद इन किताबों पर बैन लगा दिया गया है। सरकार ने इन पुस्तकों को जब्त करने का आदेश भी दे दिया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि ऐसा साहित्य भारत के खिलाफ युवाओं को गुमराह करने, आतंकवाद का महिमामंडन करने और हिंसा भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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क्यों बैन की गईं किताबें?
सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि ये किताबें युवाओं के मन पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं और देश विरोधी भावना को जन्म देती हैं। आदेश नें लिखा है, 'इन किताबों ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में जिन तरीकों से योगदान दिया है, उनमें ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ना, आतंकवादियों का महिमामंडन, सुरक्षा बलों का अपमान, धार्मिक कट्टरता,हिंसा और अलगाव को बढ़ावा देना शामिल है।'
कई प्रमुख लेखकों की किताबें भी बैन
जिन किताबों पर बैन लगाया गया है उनमें इस्लामिक विद्वान और जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदादी की 'अल जिहादुल फिल इस्लाम', ऑस्ट्रेलियाई लेखक क्रिस्टोफर स्नेडेन की 'इंडिपेंडेंट कश्मीर', डेविड देवदास की 'इन सर्च ऑफ ए फ्यूचर', विक्टोरिया स्कोफील्ड की 'कश्मीर इन कॉन्फ्लिक्ट', एजी नूरानी की ‘कश्मीर डिस्प्यूट’ (1947-2012) और अरुंधति रॉय की 'आजादी' समेत कुल 25 किताबें शामिल हैं।
बैन की गई किताबों की लिस्ट
- आजादी – अरुंधति रॉय
- कश्मीर (द केस फॉर फ्रीडम) – अरुंधति रॉय, तारिक अली, अंगना पी. चटर्जी, पंकज मिश्रा, हिलाल भट्ट
- द कश्मीर डिस्प्यूट 1947–2012 – ए. जी. नूरानी
- ए डिस्मैंटल्ड स्टेट (अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कश्मीर आफ्टर आर्टिकल 370) – अनुराधा भसीन
- ह्यूमन राइट्स वायलेशंस इन कश्मीर – पिओत्र बालसेरोविज़ और अग्निएश्का कुशेवस्का
- कश्मीर का स्वतंत्रता संग्राम – मोहम्मद यूसुफ सराफ
- कॉलोनाइजिंग कश्मीर: स्टेट बिल्डिंग अंडर इंडियन ऑक्युपेशन – हाफसा कंजवाल
- कश्मीर पॉलिटिक्स एंड प्लेबिसाइट – डॉ. अब्दुल जब्बार गोक्खामी
- क्या तुम्हें कुनन पोशपोरा याद है? – एस्सर बटूल व अन्य
- मुजाहिद की अजान – इमाम हसन अल-बना शहीद
- अली जिहादुल फिल इस्लाम – मौलाना मौदूदी
- स्वतंत्र कश्मीर – क्रिस्टोफर स्नेडन
- रेजिस्टिंग ऑक्युपेशन इन कश्मीर – हेली दुशिंस्की, मोना भट, अतर जिया, सिंथिया महमूद
- बिटवीन डेमोक्रेसी एंड नेशन (कश्मीर में जेंडर और सैन्यीकरण) – सीमा काजी
- कॉन्टेस्टेड लैंड्स – सुमंत्रा बोस
- इन सर्च ऑफ अ फ्यूचर (द स्टोरी ऑफ़ कश्मीर) – डेविड देवदास
- कश्मीर इन कॉन्फ्लिक्ट (इंडिया, पाकिस्तान एंड द अनएंडिंग वॉर) – विक्टोरिया स्कोफील्ड
- कश्मीर एट द क्रॉसरोड्स (इनसाइड ए 21वीं सदी का संघर्ष) – सुमंत्रा बोस
- रेजिस्टिंग डिसअपियरेंस (कश्मीर में सैन्य कब्जा और महिलाओं का आंदोलन) – अतर जिया
- कॉनफ्रंटिंग टेररिज्म (संपादक: मारूफ रजा) – स्टीफन पी. कोहेन
- फ्रीडम कैप्टिविटी (कश्मीरी सीमा पर पहचान की बातचीत) – राधिका गुप्ता
- यूएसए एंड कश्मीर – डॉ. शमशाद शान
- लॉ एंड कॉन्फ्लिक्ट रेजोल्यूशन इन कश्मीर – पिओत्र बालसेरोविज और अग्निएश्का कुशेवस्का
- तारीख-ए-सियासत कश्मीर – डॉ. आफाक
- कश्मीर एंड द फ्यूचर ऑफ साउथ एशिया – सुगाता बोस और आयशा जलाल
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