कोई भी मजदूर जब मजदूरी करता है तो उसे अपने मेहनताना मिलने का सबसे ज्यादा इंतजार रहता है। यह मेहनताना मजदूर की खून-पसीने की कमाई का होता है लेकिन जब वही मेहनताना नकली निकले यानि कि जो पैसे मेहनत के रूप में मिले हों वह नकली नोट हों तो इससे बड़ा धोखा क्या हो? ऐसा करना किसी भी मजदूर की मेहनत और इंसानियत के खिलाफ होता है।
दरअसल, झारखंड में मजदूरी करने के बाद कुछ मजदूरों को नकली नोट 'मनोरंजन बैंक ऑफ इंडिया' के नोट दे दिए गए। मामला झारखंड की राजधानी रांची से करीब 25 किलोमीटर दूर खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड क्षेत्र के ऐरमेरे गांव का है। यहां मजदूरों को उनके काम के बदले नकली नोट दिए गए। इन नोटों पर मनोरंजन बैंक ऑफ इंडिया और लॉट्स ऑफ फन लिखा हुआ था।
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प्रधान बेर्नाड ने लगाया आरोप
गांव के प्रधान बेर्नाड आइंड ने आरोप लगाया है कि वन विभाग की ओर से गांव में 25,000 पौधे लगाने का काम चल रहा है, जिसके लिए मजदूरों को गड्ढे खोदने का काम दिया गया था। मजदूरी के पैसे देने के लिए वन विभाग के गार्ड राहुल महतो ने रविवार की शाम नकली नोटों का एक बंडल ग्राम प्रधान को थमा दिया और मजदूरों में बांटने को कह दिया।
बाजार में इस्तेमाल करने पर खुली असलियत
मेहनताना मिलने और नकली नोटों से अनभिज्ञ मजदूरों ने जब इन नोटों को बाजार में इस्तेमाल करने की कोशिश की, तो दुकानदारों ने उन्हें फटकारा और बताया कि ये नकली नोट हैं। ऐसे में कई मजदूरों को शर्मिंदगी उठानी पड़ी और उन्हें निराश होकर घर लौटना पड़ा। मामला सामने आने के बाद गांव वालों में भारी गुस्सा है।
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मजाक किया गया है- मजदूर
गांव वालों का कहना है कि उनका कहना है कि यह उनके साथ गंभीर मजाक किया गया है और यह धोखा है। एक मजदूर ने बताया, 'हमने दिन भर पसीना बहाया और बदले में हमें खिलौने के नोट दे दिए गए। ये अपमान है।' वहीं, इस पूरे मामले पर वन विभाग के प्रभारी वनरक्षी अविनाश लुगुन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विभाग मजदूरों को सीधा भुगतान करता है, न कि गार्ड के जरिए नकद पैसे भेजता है। उनका दावा है कि यह सब उन्हें बदनाम करने की साजिश है और मजदूरों के बीच आपसी मजाक का परिणाम हो सकता है।
हालांकि, मामला इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है और मजदूर इस घटना को लेकर नाराज हैं। लोगों ने प्रशासन से मामले की जांच करके दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।