झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने अटल मोहल्ला क्लीनिक का नाम बदल दिया है। अब इन्हें मदर टेरेसा एडवांस हेल्थ क्लीनिक के नाम से जाना जाएगा। झारखंड सरकार के इस फैसला पर भाजपा ने कड़ा विरोध जताया। गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का कहना है कि नाम बदलने से मदर टेरेसा की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी। अगर झारखंड सरकार को कुछ करना है तो मदर टेरेसा के नाम पर अलग से करे।
मोहल्ला क्लीनिकों का नाम बदलने का फैसला हाल ही झारखंड सरकार ने कैबिनेट बैठक में लिया था। झारखंड की कैबिनेट सचिव वंदना दादेल ने बताया कि प्रदेश कैबिनेट ने अटल मोहल्ला क्लीनिक योजना का नाम बदलकर मदर टेरेसा एडवांस हेल्थ क्लीनिक करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी है। झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम हटाकर झारखंड सरकार सियासत के निचले स्तर पर उतर आई है।
रघुबर दास ने शुरू की थी योजना
अटल मोहल्ला क्लीनिक की शुरुआत 2019 में झारखंड के तत्कालीन सीएम और भाजपा नेता रघुबर दास ने की थी। इनका लक्ष्य प्रदेश की मलिन बस्तियों में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। अभी झारखंड में 140 अटल मोहल्ला क्लीनिक चल रहे हैं। यहां लोगों को मुफ्त प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं। बता दें कि हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ गठबंधन में सरकार चला रही है।
मदर टेरेसा की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी: निशिकांत
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, 'मदर टेरेसा से कोई समस्या नहीं है। वह विदेशी थीं। इस राज्य को अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाया था। यदि आपको मदर टेरेसा के नाम पर कोई काम करना है तो अलग से करिए। किसी के नाम को मिटाकर किसी और के नाम को स्थापित करने से मदर टेरेसा की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी। मुझे लगता है कि राज्य सरकार ने बहुत ही गलत और घटिया काम किया है। राज्य सरकार की गतिविधियों को देखकर मैं कह सकता हूं कि मुख्यमंत्री दोबारा जेल जाने की तैयारी करें।'
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झारखंड भाजपा भी भड़की
झारखंड भाजपा ने सरकार के फैसले की तीखी आलोचना की। उसके इस कदम को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का अपमान बताया। भाजपा प्रवक्ता अजय शाह का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी झारखंड राज्य के निर्माता थे। राजनीतिक स्वार्थ की खातिर उनका नाम हटाना न केवल भारत रत्न का अपमान है, बल्कि झारखंड की आत्मा का भी अपमान है। राज्य की जनता इसे सहन नहीं करेगी।
वाजपेयी की सरकार में बना था झारखंड
15 नवंबर 2000 को तत्कालीन केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने छोटानागपुर क्षेत्र को बिहार के दक्षिणी भाग से अलग करके झारखंड की स्थापना की थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा समेत कई सियासी दल लंबे समय से अलग राज्य की मांग कर रहे थे। झारखंड के अलग होने के बाद बिहार ने कई बार केंद्र से विशेष राज्य का दर्जा मांगा। उसका तर्क था कि अधिकांश खनिज संसाधन झारखंड के हिस्से में आ गए हैं, ऐसे में उसे विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, लेकिन उसकी यह मांग आज तक पूरी नहीं हो सकी।
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कौन थीं मदर टेरेसा?
मदर टेरेसा को निस्वार्थ सेवा और परोपकारी कामों के लिए जाना जाता है। साल 1979 में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को उत्तरी मैसेडोनिया के स्कोप्जे में हुआ था। उनका असली नाम एग्नेस गोंक्सा बोजाक्सीउ था। मदर टेरेसा का परिवार अल्बानियाई मूल का था। उनकी संस्था द मिशनरीज ऑफ चैरिटी दुनियाभर के 123 देशों में काम कर रही है। मदर टेरेसा के पास भारत के अलावा चार अन्य देशों की अलग-अलग समय में नागरिकता रही। 1948 में कोलकाता की मलिन बस्तियों में मदर टेरेसा ने निस्वार्थ सेवा का काम शुरू किया और यह जीवन पर्यंत जारी रहा। मदर टेरेसा को भारत रत्न भी मिल चुका है।