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कर्नाटक: फिर होगी जाति जनगणना, सिद्धारमैया ने दी 90 दिनों की डेडलाइन

कर्नाटक सरकार ने एक बार फिर से जाति जनगणना करवाने की बात कही है। सिद्धारमैया ने इसे लेकर हाईकमान से मुलाकात की है।

Siddaramaiah and dk shivakumar । Photo Credit: PTI

सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार । Photo Credit: PTI

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को घोषणा की कि उनकी सरकार जल्द ही एक नई जाति गणना करवाएगी। यह निर्णय कई समुदायों और नेताओं द्वारा 2015-16 में हुई पिछली जाति गणना पर उठाए गए सवालों के बाद लिया गया है। सिद्धारमैया ने कहा कि नया सर्वे 90 दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। यह घोषणा दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के साथ बैठक के बाद आई, जहां मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने इस मुद्दे पर चर्चा की।

 

सिद्धारमैया ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'जाति गणना को लेकर चर्चा हुई। कुछ संगठनों, धार्मिक नेताओं और मंत्रियों ने इस पर चिंता जताई है। हमने सिद्धांत रूप से पिछली गणना की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, लेकिन चूंकि यह 2015-16 में हुई थी, इसलिए नई गणना की जरूरत है। हम अनुसूचित जातियों के लिए सर्वे की तरह ही नया सर्वे करेंगे और इसे 90 दिनों में पूरा करेंगे।'

 

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पिछली जनगणना पर विवाद

2015 में सिद्धारमैया के पहले कार्यकाल के दौरान शुरू हुई सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वे, जिसे आमतौर पर जाति जनगणना कहा जाता है, को 2018 में पूरा किया गया था। इस सर्वे पर करीब 160 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। फरवरी 2024 में कर्नाटक पिछड़ा वर्ग आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष जयप्रकाश हेगड़े ने इसकी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को मौजूदा 32% से बढ़ाकर 51% किया जाए, क्योंकि राज्य की लगभग 70% आबादी पिछड़ा वर्ग से है।

 

हालांकि, इस रिपोर्ट को लेकर कई समुदायों, खासकर प्रभावशाली वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायत समुदायों ने विरोध जताया। इन समुदायों ने सर्वे को 'वैज्ञानिक न होने' की बात कहते हुए इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि सर्वे में उनकी आबादी को कम दिखाया गया और कई घरों को शामिल नहीं किया गया। वोक्कालिगा और लिंगायत नेताओं, जिनमें कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं, ने इस रिपोर्ट को खारिज करने और नया सर्वे कराने की मांग की है।

कांग्रेस हाईकमान से मुलाकात

दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के साथ बैठक में सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार ने जाति जनगणना और हाल के बेंगलुरु भगदड़ की घटना पर चर्चा की। 4 जून को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की IPL जीत के जश्न के दौरान हुई भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद विपक्षी दलों BJP और JD(S) ने सरकार पर हमला बोला था। कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, 'हमने जाति जनगणना पर चर्चा की। कांग्रेस का मानना है कि कर्नाटक सरकार ने जो सर्वे किया, उसे सिद्धांत रूप में स्वीकार करना चाहिए, लेकिन कुछ समुदायों की चिंताओं को देखते हुए नई गणना जरूरी है।'

 

उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, जो वोक्कालिगा समुदाय से हैं, ने कहा, 'हाईकमान ने हमें निर्देश दिया है कि सभी की बात सुनी जाए। हम उन लोगों को नया मौका देंगे जो मानते हैं कि पिछली जनगणना में उनकी गिनती नहीं हुई। हमारी सरकार सभी के साथ न्याय करेगी।'

 

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राजनीतिक चुनौतियां

जाति गणना का मुद्दा कर्नाटक में राजनीतिक रूप से संवेदनशील रहा है। वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय, जो राज्य की राजनीति में प्रभावशाली हैं, इस सर्वे के खिलाफ हैं। वोक्कालिगा संगठन और वीरशैव-लिंगायत महासभा ने इसे खारिज करने की मांग की है। दूसरी ओर, दलित और OBC समुदाय इसकी रिलीज करने और कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस के भीतर भी इस मुद्दे पर मतभेद हैं। कुछ नेताओं का भी कहना है कि अगर यह लागू किया गया तो इसका उल्टा असर हो सकता है।

 

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