ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी और उस दौरान मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाले की पुण्यतिथि के मौके पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के परिसर में गुरुवार को खास हलचल देखी गई। इस मौके पर शिरोमणि अकाली दल (मान गुट) के नेता सिमरनजीत सिंह मान जैसे चर्चित चेहरे स्वर्ण मंदिर पहुंचे। उनके पहुंचते ही वहां मौजूद भीड़ ने 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाने शुरू कर दिए।
बता दें कि ऑपरेशन ब्लू स्टार जून 1984 में 1 से 10 तारीख के बीच चलाया गया था। यह भारतीय सेना का एक बड़ा अभियान था, जिसका मकसद अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे हथियारबंद आतंकवादियों को बाहर निकालना था। इस ऑपरेशन के दौरान जरनैल सिंह भिंडरावाले की भी मौत हुई थी, जिन्हें कुछ लोग सिखों का नेता मानते हैं और श्रद्धांजलि देते हैं। जबकि भारत सरकार उन्हें आतंकवादी मानती है।
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कौन था जरनैल सिंह भिंडरावाले?
जरनैल सिंह भिंडरावाले एक सिख धार्मिक नेता था, जो 1970 और 1980 के दशक में पंजाब की राजनीति और धार्मिक माहौल में बहुत चर्चा में रहा। वह दमदमी टकसाल नाम की एक धार्मिक संस्था का मुखिया था, जो सिख धर्म की शिक्षा देती है।
शुरुआत में भिंडरावाले को एक धार्मिक प्रचारक के तौर पर देखा जाता था लेकिन धीरे-धीरे उसने कट्टरपंथी विचारों को बढ़ावा देना शुरू किया। वह सिखों के लिए ज्यादा अधिकारों की मांग करता था और कई बार ऐसा लगता था कि वह खालिस्तान एक अलग सिख देश की भी वकालत कर रहा है।
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सिखों का नेता- भिंडरावाले
1980 के दशक की शुरुआत में, पंजाब में हालात बिगड़ने लगे, वहां हिंसा, आतंकवाद और टकराव बढ़ गया। भिंडरावाले और उसके समर्थकों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हथियारों के साथ डेरा डाल लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि भारत सरकार ने जून 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया, जिसमें सेना ने स्वर्ण मंदिर में घुसकर भिंडरावाले और उसके हथियारबंद साथियों को मार गिराया। कुछ लोग भिंडरावाले को शहीद और सिखों का नेता मानते हैं, जबकि भारत सरकार और बाकी देश उसे आतंकवाद फैलाने वाला व्यक्ति मानते हैं।
यह पहली बार नहीं, पहले भी लग चुके ऐसे नारे
स्वर्ण मंदिर सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थान है। वहां आम तौर पर शांतिपूर्ण धार्मिक गतिविधियां होती हैं। हालांकि, कुछ अवसरों पर, खासकर ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी के आसपास, कुछ चरमपंथी समूह या व्यक्ति वहां 'खालिस्तान' के समर्थन में नारे लगाते हैं।
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क्या था ऑपरेशन ब्लू स्टार?
ऑपरेशन ब्लू स्टार जून 1984 में भारतीय सेना द्वारा चलाया गया एक सैन्य अभियान था। इसका मकसद था स्वर्ण मंदिर में छिपे हथियारबंद आतंकवादियों को बाहर निकालना, जिनकी अगुवाई जरनैल सिंह भिंडरावाले कर रहा था।
सेना को मंदिर में घुसकर कार्रवाई करनी पड़ी, जिसमें कई लोगों की मौत हुई और स्वर्ण मंदिर को भी नुकसान पहुंचा। यह ऑपरेशन आज भी बहुत विवादास्पद माना जाता है और इसकी राजनीतिक और सामाजिक गूंज आज तक महसूस की जाती है।