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यात्रा के पहले लंगर में खाना खा रहे थे लोग, किश्तवाड़ हादसे के 5 फैक्ट

किश्तवाड़ हादसे में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। करीब 100 से ज्यादा लोग घायल हैं और 120 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। ऐसे में 5 बातें जो जाननी चाहिए।

after cloudburst in kishtwar । Photo Credit: PTI

किश्तवाड़ में बादल फटने के बाद । Photo Credit: PTI

उत्तराखंड के बाद धराली में बादल फटने की घटना के बाद जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में गुरुवार को बादल फटने की वजह से अब तक करीब 38 लोगों की जान जा चुकी है और 100 से ज्यादा लोग घायल हैं। घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आ गया और रेस्क्यू टीम वहां पर भेज दी गई। हालांकि, बाढ़ की वजह से रास्ते टूट गए थे और बंद हो गए थे जिसकी वजह से रेस्क्यू टीम को मौके तक पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

 

पिछले 15 दिनों से इस क्षेत्र में भारी मात्रा में बारिश ने पहले से ही स्थिति को खराब कर रखा था। पीएम मोदी ने भी दुख जताते हुए एक्स पर लिखा कि वह परिस्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। सीएम ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर होने वाले सांस्कृतित प्रोग्राम को रद्द कर दिया। लगातार हो रही बारिश बचाव कार्य में बड़ी चुनौती बनी हुई है। इस समय यात्रा की वजह से भीड़ भी ज्यादा थी क्योंकि 15-16 अगस्त को भाद्रपद संक्रांति के मौके पर हजारों श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं।

 

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इन तमाम बातों के बीच किश्तवाड़ घटना से जुड़ी पांच खास बातें हैं जो जाननी चाहिए-

1. भोजन के वक्त हादसा

जिस वक्त यह हादसा हुआ उस वक्त लोग लंगर से भोजन ले रहे थे। यह सारे यात्री मचैल माता जाने के लिए आगे की यात्रा शुरू करने वाले थे, लेकिन अचानक आई तेज़ बाढ़ ने सबको बहा दिया। यह बाढ़ दोपहर करीब 12 से 1 बजे के बीच हुए क्लाउडबर्स्ट के बाद आई।

2. मौतें और घायल

जिलाधिकारी पंकज कुमार शर्मा के अनुसार, इस हादसे में कम से कम 38 लोगों की मौत हुई है। 100 से ज्यादा लोग घायल हैं और अब तक 120 से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है। लगातार बारिश के कारण राहत और बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

3. यात्रा का शुरुआती गांव

यह हादसा एक छोटे नाले के किनारे हुआ, जो मचैल माता मंदिर जाने वाले लोकप्रिय तीर्थ मार्ग पर पड़ता है। चशोती वह जगह है जहां तक वाहन से पहुंचा जा सकता है, इसके बाद 8.5 किलोमीटर का पैदल सफर शुरू होता है, जो समुद्र तल से 9,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर तक जाता है।

4. काफी थी लोगों की संख्या

इस समय यात्रा पर श्रद्धालुओं की संख्या अधिक थी क्योंकि यह सप्ताह धार्मिक कैलेंडर में खास है। हर साल भाद्रपद संक्रांति (15 या 16 अगस्त) पर पड्डर और आसपास के इलाकों से हजारों लोग मचैल माता के दर्शन के लिए जाते हैं। इस साल 25 जुलाई से यात्रा शुरू हुई थी और अब तक 1.3 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।

 

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5. क्लाउडबर्स्ट क्या होता है

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, क्लाउडबर्स्ट वह स्थिति है जब किसी क्षेत्र में एक घंटे के भीतर 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश होती है। पहाड़ी इलाकों में यह घटना अचानक बाढ़, भूस्खलन और भारी तबाही का कारण बन सकती है, खासकर मानसून के दौरान।

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