प्रयागराज में महाकुंभ मेले में हुई भगदड़ के दो दिन बाद, पुलिस ने झूसी इलाके में हुई एक और घटना की जांच करने का फैसला किया है। झूसी इलाका भगदड़ वाली जगह से करीब 2 किलोमीटर दूर है। कुंभ के डीआईजी वैभव कृष्ण ने कहा कि घटना की फुटेज की गहन जांच की जाएगी, जिसमें साइट पर लगे कैमरों की रिकॉर्डिंग भी शामिल है।
पुलिस का यह फैसला संगम नोज में भगदड़ के तुरंत बाद झूसी इलाके में दहशत के माहौल की रिपोर्ट के बाद आया है। बता दें कि पहले पुलिस ने झूसी में भगदड़ जैसी स्थिति और जानमाल के नुकसान के दावों का खंडन किया था।
30 लोगों की मौत, 60 घायल
भगदड़ में मारे गए लोगों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर डीआईजी कृष्णा ने बताया कि 30 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि मृतकों की सूची शनिवार को जारी की जाएगी। यूपी सरकार ने भगदड़ में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को 25 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।
आने-जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए केवल एक ही रास्ता
झूसी इलाके के निवासियों और दुकानदारों ने एक मीडिया को बताया कि संगम नोज पर भगदड़ की खबर फैलने के बाद सेक्टर 21 चौराहे पर बुधवार को अफरा-तफरी मच गई। 34 वर्षीय एक विक्रेता राजू निषाद के मुताबिक, सुबह साढ़े 6 बजे के करीब सेक्टर 21 चौराहे पर भारी भीड़ थी। दोनों तरफ से बड़ी संख्या में लोग आ रहे थे। कुंभ में आने वाले और वहां से जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए केवल एक ही रास्ता था, जिसके कारण भगदड़ मची। चाय की दुकान चलाने वाले शिव चरण ने भी बताया कि इलाके में पुलिस तैनात थी लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि वे उसे संभाल नहीं पाए।
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महिलाएं और बच्चे चीख रहे थे!
घटना के बारे में बताते हुए, एक निवासी सौरभ मिश्रा ने कहा कि उन्होंने महिलाओं और बच्चों को चीखते हुए सुना था। प्रयागराज में एक निजी फर्म में काम करने वाले 32 वर्षीय मिश्रा ने कहा कि अचानक, बच्चों और महिलाओं सहित कुछ श्रद्धालु गिर गए। उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे उनके परिवार के सदस्य भी गिर गए। घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई।
2 घंटे के भीतर इलाके को किया साफ
सेक्टर 21 चौराहे से कुछ ही दूर चाय की दुकान चलाने वाले अशोक निषाद ने कहा कि अफरा-तफरी के बीच, कई लोग चौराहे पर एक मिठाई की दुकान में घुस गए। अतिरिक्त बलों के पहुंचने के बाद स्थिति को नियंत्रण में लाया गया। हमने देखा कि कई लोग सड़क पर पड़े थे और सामान इधर-उधर बिखरा हुआ था।
एक महिला पुलिसकर्मी रोने लगी, क्योंकि भीड़ ने उसे घेर लिया था और सवाल कर रहे थे कि वह देर से क्यों पहुंची? कपड़े, जूते और चप्पल सहित बिखरे सामान को हटाने के लिए एक क्रेन मंगाई गई। प्रशासन ने दो घंटे के भीतर इलाके को साफ कर दिया। ऐसा लगने लगा जैसे वहां कोई घटना हुई ही नहीं थी!