डॉक्टर नीरज पाठक हत्याकांड में आरोपी पत्नी ममता पाठक को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है। उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की अदालत ने 29 जुलाई को अपने फैसले में ममता पाठक की सजा को बरकरार रखा। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष आवश्यक परिस्थितिजन्य साक्ष्य की कड़ी जोड़ने में सफल रहा।
साल 2021 में ममता के पति डॉ. नीरज पाठक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। शुरुआती जांच, फोरेंसिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद पुलिस ने ममता पाठक के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 2022 में निचली अदालत ने उन्हें पति की हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पुलिस के मुताबिक दोनों के बीच लंबे समय से झगड़ा चल रहा था।
अपनी जांच में पुलिस ने बिजली के झटकों को मौत की वजह बताई थी। ममता पाठक मध्य प्रदेश के छतरपुर में रसायन विज्ञान की प्रोफेसर रह चुकी हैं। उनके पति नीरज पाठक सेवानिवृत्त सरकारी डॉक्टर थे।
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ममता पाठक ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट ने चुनौती दी। उन्होंने अपना मुकदमा खुद ही लड़ा। अदालत से दोषी ठहराए जाने के बाद ममता पाठक को अपने मानसिक रूप से परेशान बच्चे की देखभाल की खातिर जमानत मिल गई थी।
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कुछ समय पहले ममता पाठक का अदालत में बहस करते एक वीडियो खूब वायरल हुआ था। इसमें उन्होंने अदालत को बताया था कि आग से और बिजली से जलने के निशान एक जैसे हो सकते हैं। अंतर सिर्फ रासायनिक विश्लेषण से ही किया जा सकता है। उनके धैर्य और तर्क शक्ति की इंटरनेट पर खूब वाहवाही हुई। न्यायाधीश के पूछने पर ममता पाठक ने बताया था कि वह रसायन विज्ञान की प्रोफेसर हैं। अब हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने 97 पन्नों के फैसले में अपराध को गंभीर प्रकृति का माना।
ममता पाठक पर क्या आरोप लगे थे?
1 मई 2021 को छतरपुर के थाना सिविल लाइन को ममता पाठक ने अपने पति की मौत की जानकारी दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेजा। रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक करंट के झटके से मौत का दावा किया गया था। पुलिस ने ममता पाठक के खिलाफ मामला दर्ज किया। अभियोजन पक्ष का दावा था कि ममता ने पहले अपने पति नीरज को नींद की दवा दी। इसके बाद इलेक्ट्रिक करंट से हत्या कर दी। पुलिस ने बिजली के तार, नींद की गोलियां और सीसीटीवी फुटेज जब्त किए थे।