फर्रुखाबाद के बहुचर्चित लोक निर्माण विभाग (PWD) के ठेकेदार शमीम हत्याकांड में सत्र न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने माफिया अनुपम दुबे और उसके साथी बालकृष्ण उर्फ शिशु को उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोनों पर 2.6 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। 26 जुलाई 1995 को दिनदहाड़े ठेकेदार शमीम की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शमीम हत्याकांड में सीबीसीआईडी ने माफिया अनुपम दुबे, कौशल किशोर दुबे, लक्ष्मीनारायन, राजू लंगड़ा, बालकिशन उर्फ शिशु और नेमकुमार बिलैया के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
फतेहगढ़ कचहरी परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। इस बीच माफिया अनुपम दुबे को मथुरा जेल से फतेहगढ़ अदालत लाया गया। अदालत के फैसले के बाद अनुपम दुबे को दोबारा मथुरा जेल भेज दिया गया है। अनुपम दुबे को इंस्पेक्टर हत्याकांड में भी उम्रकैद की सजा हो चुकी है। उसका एक भाई भी इन दिनों सलाखों के पीछे है।
यह भी पढ़ें: चंदन गुप्ता हत्याकांड: जेल में बंद सलीम की मौत, इसी साल हुई थी उम्रकैद
फर्रखाबाद में अनुपम दुबे की पहचान एक माफिया के तौर पर होती है। प्रशासन अभी तक उसकी करोड़ों की संपत्ति कुर्क कर चुकी है। 2023 में उसके होटल पर बुलडोजर भी चल चुका है।
कन्नौज के रहने वाले थे शमीम
1995 में पिता की हत्या का बदला लेने के लिए ठेकेदार शमीम की हत्या की गई थी। शमीम के छोटे भाई नसीम खान ने 26 जुलाई 1995 को फतेहगढ़ थाने में मामला दर्ज कराया था। शमीम मूलरूप से कन्नौज जिले के थाना गुरसहायगंज के कस्बा समधन के रहने वाले थे।
यह भी पढ़ें: 1000 लड़कियों का जबरन धर्मांतरण, पाकिस्तान में निशाने पर क्यों हिंदू?
कैसे हुई थी शमीम की हत्या?
एफआईआर में नसीम खान ने बताया था कि बड़े भाई शमीम और गांव के रहने वाले इदरीश और सरफराज के साथ वह फतेहगढ़ आया था। मैं एक काम से अदालत चला गया था। भाई शमीम इदरीश और सरफराज के साथ मोहल्ला बजरिया अलीगंज के रहने वाले अपने व्यापारिक पार्टनर राजेंद्र प्रसाद तिवारी से मिलने पहुंचे।तिवारी के मकान के बाहर आरोपियों ने उन्हें घेर लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग में शमीम की जान चली गई थी।