महाराष्ट्र में 'अर्बन नक्सल' के खिलाफ बिल पास; क्या है इसमें खास?
राज्य
• MUMBAI 11 Jul 2025, (अपडेटेड 11 Jul 2025, 9:23 AM IST)
महाराष्ट्र में कथित 'अर्बन नक्सल' पर नकेल कसने के लिए बिल पास हो गया है। इसके साथ ही इस तरह का कानून लाने वाला महाराष्ट्र पांचवां राज्य बन गया है। इस बिल में क्या प्रावधान है? अर्बन नक्सल क्या होता है? समझते हैं।

देवेंद्र फडणवीस। (Photo Credit: PTI)
महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में एक नया बिल पास किया है। यह बिल कथित अर्बन नक्सलवाद को रोकने के लिए लाया गया है। इसे 'महाराष्ट्र स्पेशल पब्लिक सिक्योरिटी बिल' नाम दिया गया है। इस बिल पर विपक्ष को कई आपत्तियां थीं। हालांकि, बिल पेश करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ किया कि इस बिल का राजनीतिक प्रदर्शनकारियों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ दुरुपयोग नहीं किया जाएगा।
बिल पेश करते हुए सीएम फडणवीस ने कहा, 'माओवादियों ने महाराष्ट्र में अपनी पकड़ खो दी है और अब वे शहरों के युवाओं का ब्रेनवॉश करने और उन्हें लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।'
उन्होंने 'अर्बन माओवाद' को लेकर कहा कि यह कानून इन पर लगाम लगाएगा। फडणवीस ने बताया कि महाराष्ट्र में 64 कट्टरपंथी संगठन हैं, जो देश में सबसे ज्यादा है।
क्यों लाया गया यह बिल?
इस बिल को पिछले साल लाया गया था। तब फडणवीस ने दावा किया था कि नक्सलवाद अब सिर्फ महाराष्ट्र के दूरदराज के इलाकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अलग-अलग संगठनों के जरिए शहरों में भी बढ़ रहा है।
उनका कहना था कि शहरों में बने ये संगठन नक्सलियों को हथियार और पैसा मुहैया कराते हैं और मौजूदा कानून इन गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकने में नाकाम है।
अब महाराष्ट्र में भी पब्लिक सिक्योरिटी कानून लाया जा रहा है। ऐसा करने वाला महाराष्ट्र पांचवां राज्य बन गया है। इससे पहले 4 नक्सल प्रभावित राज्य- छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में भी ऐसे कानून हैं।
This law empowers action against organisations that continuously call for rebellion against the country’s constitutional system.
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) July 10, 2025
एखादी संघटना सातत्याने संवैधानिक संस्थांच्या विरोधात लोकांना बंड पुकारायला सांगत असेल, तर अशा संघटनेवर 'या' कायद्याअंतर्गत कारवाई होईल.
(विधानसभा,… pic.twitter.com/VS35CKnTem
गुरुवार को इस बिल को पेश करते हुए फडणवीस ने बताया कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को आंध्र और ओडिशा की तर्ज पर कानून बनाने को कहा है, क्योंकि UAPA सिर्फ आतंकी गतिविधियों के मामलों में ही लागू होता है।
उन्होंने कहा, 'कुछ संगठन जो दूसरे राज्यों में प्रतिबंधित हैं, वे अब हमारे राज्य में सक्रिय हैं। इनके मुख्यालय हमारे राज्य में है। ऐसा लगता है कि इन संगठनों के लिए महाराष्ट्र सुरक्षित जगह बन गया है कानून के अभाव में इन संगठनों पर प्रतिबंध नहीं लगा पा रहे हैं। इसलिए यह कानून जरूरी है।'
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क्या है इस बिल में प्रावधान?
इस बिल के कानून बनने के बाद सरकार को किसी भी संदिग्ध संगठन को 'गैर-कानूनी' घोषित करने का अधिकार मिल जाएगा। ऐसे संगठनों पर सरकार प्रतिबंध लगा सकेगी और इनसे जुड़े लोगों को सजा दे सकेगी।
इस बिल में 'गैर-कानूनी गतिविधि' को परिभाषित किया गया है। किसी गतिविधि को गैर-कानूनी कब माना जाएगा? इसे लेकर कानून में कुछ परिस्थितियां बताई गई हैं।
- कोई भी व्यक्ति या संगठन लिखकर, बोलकर या किसी भी तरह से सार्वजनिक व्यवस्था, शांति और सौहार्द के लिए खतरा बनता है या खतरा पैदा करता है।
- कोई भी व्यक्ति या संगठन लिखकर, बोलकर या किसी भी तरह से सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने में दखल डालता है या इरादा रखता है।
- कोई भी व्यक्ति या संगठन लिखकर, बोलकर या किसी भी तरह से सरकार, सरकारी संस्थानों या सरकारी कर्मी के कामकाज में दखल करता है या ऐसा इरादा रखता है।
- कोई भी व्यक्ति या संगठन किसी तरह की हिंसा, तोड़फोड़, डराना-धमकाने या हथियार-विस्फोटकों का इस्तेमाल करता है या संचार बाधित करने की कोशिश करता है।
- कोई भी व्यक्ति या संगठन किसी तरह के विद्रोह को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, इन सारे कामों के लिए पैसा और सामान जुटाना भी गैरकानूनी माना जाएगा।
दोषी पाए जाने पर सजा कितनी होगी?
अगर यह बिल कानून बनता है तो सरकार एक नोटिफिकेशन जारी कर किसी भी संगठन को 'गैर-कानूनी' घोषित कर सकती है।
अगर किसी संगठन को 'गैर-कानूनी' घोषित किया जाता है तो वह 15 दिन के भीतर इसे चुनौती दे सकता है। इसकी सुनवाई सरकार की तरफ से गठित एडवाइजरी बोर्ड में होगी। एडवाइजरी बोर्ड में तीन सदस्य होंगे, जिन्हें सरकार चुनेगी। इस बोर्ड में उन सदस्यों को रखा जाएगा, जो किसी हाई कोर्ट का जज बनने की काबिलियत रखते होंगे। एडवाइजरी बोर्ड का फैसला आखिरी माना जाएगा।
अब तक UAPA के तहत किसी संगठन को 'गैर-कानूनी' घोषित किया जाता था और ऐसे संगठन पर प्रतिबंध लग जाता था। अगर कानून बनता है तो महाराष्ट्र में इस कानून के जरिए किसी संगठन पर प्रतिबंध लगेगा।
अगर कोई व्यक्ति ऐसे किसी संगठन से जुड़ा होता है या किसी भी गतिविधि में शामिल होता है तो दोषी पाए जाने पर 3 साल की जेल और 3 लाख रुपये के जुर्माने की सजा होगी। अगर कोई व्यक्ति ऐसे संगठन का सदस्य नहीं है लेकिन इसको फंड करता है तो दोषी पाए जाने पर 2 साल की जेल और 2 लाख रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
अगर घोषित किए गए गैरकानूनी संगठन की कोई मदद करता है या प्रबंध करता है तो 3 साल की जेल और 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति ऐसे गैर-कानूनी संगठनों के लिए गैर-कानूनी गतिविधि करने का दोषी पाया जाता है तो उसे 7 साल की जेल और 5 लाख रुपये के जुर्माने की सजा होगी।
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क्या है अर्बन नक्सल?
2017 में फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री ने ऐसे लोगों को 'अर्बन नक्सल' बताया था, जो शहरों में रहकर सत्ता विरोधी भावनाओं को भड़काते हैं। उन्होंने 'अर्बन नक्सल' के नाम से एक किताब भी लॉन्च की थी।
इसके बाद 2018 में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की थी। इस मामले में पकड़े गए आरोपियों को 'अर्बन नक्सल' कहा गया था।
ऐसा कहा जाता है कि ऐसे लोग शहरों में रहकर कवि, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, प्रोफेसर या कलाकार जैसे पेशे से जुड़े होते हैं। इन्हें आमतौर पर बुद्धिजीवी जमात कहा जाता है।
पिछले साल लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अर्बन नक्सल का जिक्र किया था। उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि कांग्रेस पर अर्बन नक्सल की सोच का कब्जा हो गया है।
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