logo

ट्रेंडिंग:

3 भाषा फॉर्मूले पर पीछे हटी महाराष्ट्र सरकार, वापस लिया गया आदेश

महाराष्ट्र सरकार ने विवादित त्रिभाषा नीति को रद्द कर दिया है। इस फैसले का विपक्ष, शिक्षाविद और नागरिक संगठन बड़े पैमाने पर विरोध कर रहे थे।

Maharashtra three language policy

देवेंद्र फडणवीस। Photo Credit- PTI

महाराष्ट्र सरकार ने विवादित त्रिभाषा नीति को रद्द कर दिया है। इस फैसले का विपक्ष, शिक्षाविद और नागरिक संगठन बड़े पैमाने पर विरोध कर रहे थे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री फडणवीस ने नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में समिति बनाने का ऐलान किया है। राज्य मंत्रिमंडल ने कक्षा 1 से त्रिभाषा नीति के जीआर वापस लिए हैं।

 

देवेंद्र फडणवीस सरकार के इस फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 5 जुलाई को बड़ा आंदोलन करने का ऐलान किया था। दरअसल, कक्षा 1 से 5 तक हिंदी भाषा अनिवार्य करने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच, देवेंद्र फडणवीस कैबिनेट ने तीन-भाषा नीति को वापस लेने का फैसला किया।

 

यह भी पढ़ें: पटना में बाल-बाल बचे तेजस्वी यादव, भाषण के दौरान मंच से टकराया ड्रोन

मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस का बयान

मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा, 'राज्य में त्रिभाषा फॉर्मूले के क्रियान्वयन पर चर्चा के लिए डॉ. नरेन्द्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी। जब तक समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करती, सरकार ने दोनों सरकारी प्रस्तावों (16 अप्रैल और 17 जून के) को रद्द कर दिया है।'

 

सरकार अपनी ताकत खो चुकी है- उद्धव

महायुति सरकार के तीन-भाषा नीति को वापस लेने के बाद शिवसेना (यूबीटी) चीफ उद्धव ठाकरे ने मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उद्धव ने कहा, 'सरकार ने मराठी मानुष को 5 जुलाई के मोर्चे के लिए एकजुट न होने देने के लिए जीआर वापस ले लिया है। सरकार को यह एहसास नहीं था कि मराठी मानुष इस तरह से एकजुट हो जाएगा।'

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख ने महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी पर जीआर वापस लेने पर आगे कहा कि मराठी मानुष की वजह से सरकार अपनी ताकत खो चुकी है।

 

यह भी पढ़ें: साड़ी पहनते ही उड़ गया रंग! कोर्ट ने दिया रु36,500 भुगतान करने का आदेश

 


हिंदी को लेकर अड़ियल क्यों थी सरकार? राज

वहीं, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, 'पहली कक्षा से तीन भाषाएं पढ़ाने के नाम पर हिंदी भाषा थोपने का फैसला आखिरकार वापस ले लिया गया है। सरकार ने इससे संबंधित दो सरकारी आदेशों को रद्द कर दिया है। इसे देर से लिया गया विवेक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह थोपा जाना सिर्फ मराठी लोगों के दबाव के कारण वापस लिया गया था। सरकार हिंदी भाषा को लेकर इतनी अड़ियल क्यों थी और इसके लिए सरकार पर कौन दबाव बना रहा था, यह रहस्य बना हुआ है।'

'उद्धव-राज ठाकरे के डर से वापस लिया फैसला'

महायुति सरकार के फैसला वापस लेने के बाद शिवसेना (यूबीटी) का बयान सामने आया है। पार्टी नेता आनंद दुबे ने कहा, 'यह उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) की ताकत है कि महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी आदेश (तीन-भाषा नीति के कार्यान्वयन पर) वापस ले लिया है। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 5 जुलाई को तीन-भाषा नीति के खिलाफ एक रैली करने वाले थे। राज्य सरकार को इस बात का डर था और इसीलिए उन्होंने जीआर वापस ले लिया है।'

 

5 जुलाई का विरोध-प्रदर्शन रद्द

शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने इस मामले में कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा हिंदी और राज्य के स्कूलों के लिए तीन-भाषा नीति पर जीआर वापस लेने के बाद 5 जुलाई को उनकी पार्टी और एमएनएस द्वारा संयुक्त विरोध-प्रदर्शन को रद्द कर दिया गया है। राउत ने कहा, 'सरकार ने हिंदी को अनिवार्य बनाने वाले जीआर को वापस ले लिया। यह मराठी एकता और ठाकरे के एक साथ आने के डर की जीत है। 5 जुलाई का मोर्चा अब नहीं होगा। यह ब्रांड ठाकरे है।'

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap