महाराष्ट्र की राजनीति ने एक बार फिर से करवट ले ली है। ठाकरे ब्रदर्स 20 साल के बाद राजनीतिक मोर्चे पर एक हो गए हैं। दशकों की अनबन भूलकर दोनों भाई, मुंबई के वर्ली में एक साथ, एक मंच पर नजर आए। दोनों ने गले मिलकर मराठी एकता का मंत्र दोहराया। दोनों राजनीतिक तौर पर बंटे थे, मराठी भाषा के मामले की वजह से एक हो गए हैं।
महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को 1 से 5वीं कक्षा तक अनिवार्य किए जाने वाले फैसले को लेकर दोनों भाई हमलावर हैं। हालांकि विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वापस ले लिया, जिसके बाद दोनों भाई ने मराठी विजय दिवस मनाने का फैसला कर दिया। अब दोनों सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार पर हमलावर हैं।
भाषा महाराष्ट्र के छोटे बच्चों पर नहीं थोप सकते
राज ठाकरे ने कहा कि बहुमत है तो क्या अनिवार्य भाषा आप महाराष्ट्र के छोटे बच्चों पर थोप देंगे। कुछ ऐसे ही तेवर, उद्धव ठाकरे के भी नजर आए। हालांकि, इस दौरान राज ठाकरे ने कुछ ऐसा बोला कि एक बार फिर से महाराष्ट्र में लोगों के साथ मारपीट की घटनाएं सामने आने की संभावना बढ़ गई। दरअसल, राज ठाकरे ने मंच से अपने कार्यकर्ताओं को कहा कि जो लोग मराठी नहीं बोलते हैं कि उन्हें पीट सकते हैं।
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मारपीट करने की दी छूट
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना चीफ राज ठाकरे ने कहा, 'चाहे गुजराती हो या कोई और उसे मराठी आनी चाहिए। अगर कोई मराठी नहीं बोलता तो उसे पीटने की जरूरत नहीं है। अगर कोई ड्रामा करता है तो आपको उसके कान के नीचे मारना चाहिए। मैं आपको एक और बात बताता हूं। अगर आप किसी को पीटते हैं तो घटना का वीडियो न बनाएं। पीटे गए व्यक्ति को बताएं कि उसे पीटा गया है। आपको हर किसी को यह बताने की जरूरत नहीं है कि आपने किसी को पीटा है।'
हम गुंडे हैं...
राज्य में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने मराठी एकता की बात की और दोनों ने 48 मिनट तक हिंदी-मराठी भाषा विवाद, मुंबई-महाराष्ट्र, बीजेपी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तीन भाषा का फॉर्मूला केंद्र सरकार से आया है। हिंदी से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसे थोपा नहीं जाना चाहिए। अगर मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी तो हम गुंडे हैं।
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उद्धव ठाकरे ने कहा कि हां हम गुंडे हैं। अगर न्याय के लिए गुंडागर्दी करनी पड़े तो हम करेंगे। उद्धव ने यह बयान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के उस बयान के बाद दिया है जिसमें उन्होंने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र में किसी साथ जो लोग मारपीट कर रहे हैं... ये गुंडागर्दी नहीं चलेगी।
पहले भी लगे मारपीट के आरोप
बता दें कि इससे पहले शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पर कई बार लोगों से मारपीट करने के आरोप लग चुके हैं। साल 2008 में एमएनएस ने महाराष्ट्र के सभी दुकानदारों को अपनी दुकान के आगे मराठी में साइनबोर्ड लगाने का हुक्म दिया था। वहीं, 2017 में उसके कार्यकर्ताओं ने कई गुजराती दुकानों के साइनबोर्ड जबरन हटा दिए थे और दावा किया था कि वे मराठी भाषा का अपमान कर रहे हैं।
अक्टूबर 2008 में मुंबई में रेलवे की परीक्षा देने के लिए सैकड़ों छात्र उत्तर प्रदेश और बिहार से पहुंचे थे। तब राज ठाकरे की एमएनएस ने इन छात्रों का विरोध किया और कुछ ही समय में इस विरोध ने हिंसक रूप ले लिया था। कई छात्रों को साथ मारपीट हुई थी। इस हिंसा का असर तब महाराष्ट्र में रहने वाले उत्तर भारतीयों तक भी पहुंची थी।
यही नहीं इसी दौर में शिव सेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना दोनों मिलकर स्थानीय मराठी वोटों का समर्थन पाने की खातिर उत्तर प्रदेश, बिहार और दूसरे उत्तर भारतीय राज्यों से आए लोगों को निशाने पर लेती थीं। कार्यकर्ता मुंबई में महापर्व छठ मनाने को लेकर भी विरोध करते थे।