मेघालय हाई कोर्ट ने बुधवार को कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने के लिए जिलों में एनिमल बर्थ कंट्रोल कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका की सुनवाई पर दिया है जिसमें राज्य में बढ़ रही कुत्तों की आबादी को लेकर कदम उठाने की मांग की गई थी। कोर्ट को बताया गया था कि सरकार ने साउथ गारो हिल और वेस्ट जयंतिया हिल को छोड़कर हर जिले में एनिमल बर्थ कंट्रोल कमेटी बनाई है। इस पर कोर्ट ने सभी जिलों में कमेटी बनाने के आदेश दिए।
हाई कोर्ट ने कहा, 'इन कमेटियों का गठन पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और एनिमल बर्थ कंट्रोल (डॉग्स) नियम, 2001 के तहत किया जाए। कुत्तों की जनसंख्या को मानवीय तरीकों से नियंत्रित किया जाए। जिसमें उनका टीकाकरण और नसबंदी हो, जरूरत के मुताबिक उनका इलाज भी हो।'
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मेघायल को क्यों पड़ी कुत्तों के बर्थ कंट्रोल की जरूरत?
पूर्वोत्तर के राज्यों में डॉग बाइट के सबसे ज्यादा केस मेघालय में हैं। PIB की रिपोर्ट के मुताबिक, मेघायल में 2025 के सिर्फ जनवरी के महीने में 2466 डॉग बाइट के मामले सामने आ चुके हैं। साल 2024 में यहां 17,784 लोग डॉग बाइट का शिकार हुए थे।
मेघालय में आवारों कुत्तों की समस्या शिलॉन्ग से शुरू हुई थी और फिर पूरे राज्य को जकड़न में ले लिया था। कुत्ते आते-जाते लोगों, खासकर बुजुर्गों और बच्चों पर हमले करते हैं। पशुपालन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, मेघालय में आवारा कुत्तों की आबादी 10 हजार से ज्यादा है। वहीं, भारत की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा आवारा कुत्ते उत्तर प्रदेश में हैं। वहां आवारा कुत्तों की आबादी 20 लाख 59 हजार से ज्यादा है।
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आवारा कुत्ते बन गए हैं समस्या
दरअसल, पिछले साल कई राज्यों में आवारा कुत्तों के हमलों से जुड़े मामले सामने आए थे। जिन पर अलग-अलग राज्यों के हाई कोर्ट ने अलग-अलग आदेश दिए थे। बॉम्बे, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा था कि स्थानीय अधिकारियों के पास आवारा कुत्तों को मारने की शक्तियां हैं और वे ABC यानी एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों के अधीन नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों पर कई याचिकाएं दायर की गई।
केंद्र सरकार ने तो राज्यों को 23 डॉग ब्रीड्स पर बैन लगाने के निर्देश भी दिए थे। वहीं, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से जुड़े मामले में याचिकाकर्ता को ही फटकार लगा दी थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि उन्हें जानवरों को खाना खिलाने में परेशान किया जा रहा है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा था, 'क्या हर गली और सड़क को पशु प्रेमियों के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए?' कोर्ट ने सुझाव भी दिया था कि अगर कुत्तों को खाना खिलाना है तो याचिकाकर्ता घर में शेल्टर खोल लें। फिलहाल, आवारा कुत्तों और जानवरों को सड़क पर खाना खिलाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई आखिरी फैसला नहीं दिया है।