मध्यप्रदेश के शहडोल जिले की महिला DIG सविता सोहाने का एक वीडियो हाल ही में वायरल हुआ है, जिसमें वह स्कूल के विद्यार्थियों को ओजस्वी और श्रेष्ठ संतान पैदा करने के लिए सुझाव देती नजर आ रही हैं। यह व्याख्यान पिछले साल 4 अक्टूबर को, शहडोल के एक निजी स्कूल में हुए 'मैं हूं अभिमन्यु' कार्यक्रम के दिया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 10वीं से 12वीं क्लास तक के बच्चों को बालिकाओं की सुरक्षा, उनके प्रति सम्मान और समाज में जागरूकता फैलाना था।
सविता सोहाने ने बच्चों से कही ये बातें
वायरल वीडियो में सविता सोहाने ने विद्यार्थियों से कहा कि यदि वे भविष्य में पृथ्वी पर एक नई पीढ़ी को जन्म देना है तो उन्हें इसके लिए सही योजना बनानी चाहिए। उन्होंने पूर्णिमा की रात को गर्भधारण से बचने और सूर्य देव को जल चढ़ाकर नमस्कार करने की सलाह दी। उनका मानना है कि इन परंपराओं का पालन करने से ओजस्वी और बेहतर संतान का जन्म होता है।
सविता सोहाने ने बताया कि उनकी बातें हिंदू धर्मग्रंथों, संतों के प्रवचनों और आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित थीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके एक घंटे लंबे व्याख्यान का उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देना था। हालांकि, उनके व्याख्यान के केवल एक हिस्से को कार्यक्रम में कही गई सभी बातों से हटाकर प्रसारित किया गया, जिससे यह एक विवाद का विषय बन गया।
सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देना है उद्देश्य- सविता सोहाने
पुलिस सेवा में 31 वर्षों से कार्यरत सविता सोहाने ने इससे पहले सागर जिले में एक सरकारी कॉलेज में प्राध्यापक के रूप में भी कार्य किया है। उन्हें धर्मग्रंथ पढ़ने और आध्यात्मिक ज्ञान साझा करने में गहरी रुचि है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी बातों का उद्देश्य सामाजिक जागरूकता और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना था।
सविता सोहाने ने कहा कि उनकी बातों को सही संदर्भ में समझना जरूरी है और उनका मकसद केवल समाज में नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देना है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने दी ये प्रतिक्रिया
वीडियो के वायरल होने पर सियासत भी गरमा गई है। इस वीडियो को शेयर करते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने अपने X हैन्डल पर मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री से सवाल पूजा है कि 'क्या यह शिक्षा भी एमपी डीजीपी जी पुलिस अफसरों को देने के आदेश हुए हैं?' हालांकि, उनके सुझावों को लेकर समाज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई है। कुछ लोगों ने इसे व्यक्तिगत मान्यताओं का प्रचार बताया, जबकि कुछ उनके प्रयासों की सराहना भी कर रहे हैं।